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    टीवी मीडिया के लिए गाइडलाइंस: केंद्र ने कहा- पहले डिजिटल मीडिया को नियमित करे सुप्रीम कोर्ट

    टीवी मीडिया के लिए गाइडलाइंस: केंद्र ने कहा- पहले डिजिटल मीडिया को नियमित करे सुप्रीम कोर्ट

    लेखन प्रमोद कुमार
    Sep 17, 2020
    10:52 am

    क्या है खबर?

    केंद्र सरकार ने देश की शीर्ष अदालत को बताया है कि उसे इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को नियमित करने से पहले डिजिटल मीडिया के लिए नियम तय करने चाहिए क्योंकि इसका असर ज्यादा है।

    आज होने वाली एक सुनवाई से पहले सरकार ने इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के लिए मानक तय करने संबंधी हलफनामे में कहा कि कोर्ट को पहले डिजिटल मीडिया पर ध्यान देना चाहिए। इसका प्रभाव और पहुंच आबादी के बड़े हिस्से तक है।

    पृष्ठभूमि

    क्या है मामला?

    सरकार का यह हलफनामा सुदर्शन टीवी के एक शो से जुड़ा है।

    मंगलवार को एक याचिका पर सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने इस शो के प्रसारण पर यह कहकर रोक लगा दी थी कि यह एक समुदाय विशेष का अपमान करने की कोशिश है।

    मंगलवार को कोर्ट ने यह कहते हुए सुदर्शन टीवी के 'UPSC जिहाद' के एपिसोड के प्रसारण रोका था कि एक समुदाय को निशाना बनाकर उन्हें खास तरह से ब्रांड नहीं किया जा सकता।

    हलफनामा

    डिजिटल मीडिया के गंभीर प्रभाव- सरकार

    इस मामले में केंद्र की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामे में कहा गया है कि डिजिटल मीडिया की पहुंच बहुत तेज है और फेसबुक और व्हाट्सऐप जैसी ऐप्स के कारण यह किसी भी चीज को वायरल कर सकता है। डिजिटल मीडिया के गंभीर प्रभाव है इसलिए कोर्ट को पहले इस पर ध्यान देना चाहिए।

    सरकार ने यह भी मांग की है कि इस मामले में अदालत की सहायता के लिए एमिक्स क्यूरी या एक पैनल गठित किया जाए।

    जानकारी

    इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया के लिए पहले से पर्याप्त नियम- सरकार

    सरकार ने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया के लिए पहले से पर्याप्त फैसले और फ्रेमवर्क है। बोलने की स्वतंत्रता और जिम्मेदार पत्रकारिता के संतुलन के मुद्दे को पहले ही वैधानिक प्रावधानों और निर्णयों द्वारा नियंत्रित किया गया है।

    सुनवाई

    TRP की रेस को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने जताई थी चिंता

    इससे पहले मंगलवार को हुई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने टेलीविजन रेटिंग प्वाइंट (TRP) को 'सनसनीखेज खबरों' की रेस को लेकर चिंता व्यक्त करते हुए कहा था कि वह एक पैनल गठित करेगी जो इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के लिए मानक तय करने से जुड़े सुझाव देगा।

    जजों ने कहा था कि अमेरिका की तरह भारत में पत्रकारों की आजादी निर्बाध नहीं हैं और पत्रकारों के पास भी उतने ही अधिकार हैं, जितने आम लोगों के पास होते हैं।

    पक्ष

    मीडिया के लिए नियम पहले से लागू- PCI

    सुनवाई के दौरान प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया ने कहा कि मीडिया के लिए नियम पहले से लागू हैं।

    इस पर जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने पूछा- क्या सच में? अगर सब कुछ इतना ही सही चल रहा होता तो मीडिया पर वह नहीं दिखता जो आज दिखाया जा रहा है।

    वहीं न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एसोशिएशन ने कहा कि अगर कोई चैनल आचार संहिता का उल्लंघन करता है और दोषी पाया जाता है तो उस पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगना चाहिए।

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