कोरोना वायरस से अब तक 382 डॉक्टरों की मौत, सरकार पर भड़का भारतीय चिकित्सा संघ
क्या है खबर?
कोरोना वायरस महामारी के दौरान मरे डॉक्टरों के बारे में कोई जानकारी न होने के केंद्र सरकार के जबाव पर भारतीय चिकित्सा संघ (IMA) भड़क गया है। मामले पर बयान जारी करते हुए उसने कहा है कि ये सरकार की उदासीनता को दिखाता है और लोगों के लिए खड़े हुए राष्ट्रीय नायकों को त्यागने के बराबर है।
IMA ने अपने जबाव में बताया कि कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में अब तक 382 डॉक्टर अपनी जान गंवी चुके हैं।
पृष्ठभूमि
सरकार ने क्या कहा था?
दरअसल, संसद में कोरोना वायरस से प्रभावित हुए डॉक्टर, नर्स और अन्य स्वास्थ्यर्मियों से जुड़े एक सवाल का जवाब देते हुए स्वास्थ्य राज्यमंत्री अश्विनी चौबे ने कहा था कि केंद्र सरकार के पास इसके आंकड़े नहीं हैं क्योंकि स्वास्थ्य का मामला राज्यों के अंतर्गत आता है और केंद्रीय स्तर पर ये आंकड़े नहीं जुटाए जाते।
इससे पहले स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने भी कोरोना वायरस पर संसद में अपने बयान में जान गंवाने वालों डॉक्टरों का कोई जिक्र नहीं किया था।
बयान
IMA ने कहा- सरकार का रवैया घृणित
डॉक्टरों के प्रति केंद्र सरकार की इसी उदासीनता पर भड़के IMA ने अपने बयान में कहा कि अगर सरकार कोरोना वायरस से संक्रमित हुए और जान गंवाने वाले डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों के आंकड़े नहीं रखती तो वह महामारी अधिनियम, 1897 और आपदा प्रबंधन अधिनियम लागू करने का नैतिक अधिकार खो देती है।
बयान में आगे कहा गया है, "ये सोचना कि ये जानकारी देश के ध्यान के लायक नहीं है, घृणित है। ऐसा लगता है कि वे (डॉक्टर) तुच्छ हैं।"
बयान
किसी भी देश ने नहीं गंवाए भारत जितने डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मी- IMA
कोरोना वायरस के कारण 27 साल से लेकर 85 साल तक के 382 डॉक्टरों की मौत का आंकड़ा पेश करते हुए IMA ने कहा कि किसी भी देश ने कोरोना वायरस महामारी के कारण इतने डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मी नहीं गंवाए हैं, जितने कि भारत ने।
तीखी प्रतिक्रिया
सरकार का बयान राष्ट्रीय नायकों को त्यागने के बराबर- IMA
संसद में दिए गए स्वास्थ्य राज्यमंत्री अश्विनी चौबे के बयान का जिक्र करते हुए IMA ने अपने बयान में कहा, "ये कर्तव्य का त्याग और हमारे लोगों के लिए खड़े रहे राष्ट्रीय नायकों का परित्याग है।"
IMA ने कहा है कि इससे एक तरफ डॉक्टरों को कोरोना वॉरियर्स कहने और दूसरी उनके और उनके परिवार को शहीद का दर्जा और इसका लाभ देने से इनकार करने का पाखंड भी उजागर होता है।
देश की सेवा
"कोई सैनिक गोली घर नहीं लाता, डॉक्टर कोरोना घर ले जाते हैं"
कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में अग्रिम मोर्चे पर खड़े डॉक्टरों की तुलना सैनिकों से करते हुए IMA ने कहा, "सीमा पर लड़ने वाले हमारे बहादुर सैनिक अपनी जान खतरे में डालकर दुश्मन से लड़ते हैं, लेकिन कोई भी गोली अपने घर नहीं लाता और अपने परिवार के साथ साझा नहीं करता। लेकिन डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मी राष्ट्रीय कर्तव्य का पालन करते हुए न सिर्फ खुद संक्रमित होते हैं, बल्कि अपने घर लाकर परिवार और बच्चों को देते हैं।'
मांग
IMA ने सरकार के सामने रखी ये मांगें
अपने बयान में IMA ने केंद्र सरकार के सामने कुछ मांगे भी रखी हैं। इनमें कोरोना वायरस महामारी के दौरान जान गंवाने वाले डॉक्टरों को शहीद का दर्जा देने और उनके परिवार को मुआवजा देने की मांग सबसे अहम है।
इसके अलावा अन्य स्वास्थ्यकर्मियों के प्रतिनिधियों से भी आंकड़े इकट्ठा करने की मांग भी की गई है।
IMA ने ये भी कहा है कि अगर प्रधानमंत्री चाहें तो उसके राष्ट्रीय अध्यक्ष को बुलाकर डॉक्टरों की चिंताओं को समझ सकते है।