आयकर की रडार में आएंगे एक लाख रुपये से ऊपर सोने की खरीद समेत कई लेनदेन
एक लाख रुपये से ऊपर की सोने की खरीद और 20,000 रूपये से अधिक के होटल बिल समेत अन्य कई तरह के लेनदेन जल्द ही आयकर विभाग की रडार में आने जा रहे हैं। एक ट्वीट के जरिए सरकार ने इस बात का संकेत दिया है। लेनदेन की रिपोर्टिंग के विस्तार के लिए आयकर विभाग ऐसा करने जा रहा है और इसके जरिए ऐसे लोगों की पहचान की जाएगी जो बड़ी खरीद कर रहे हैं, लेकिन टैक्स नहीं दे रहे।
वित्तीय संगठनों को करना होगा तय सीमा से अधिक लेनदेन के बारे में सूचित
'द प्रिंट' की रिपोर्ट के अनुसार, आयकर विभाग अपने लेनदेन रिपोर्टिंग ढांचे के दायरे में विस्तार के लिए कुछ नए लेनदेनों को इसके अंतर्गत लाने पर विचार कर रहा है। इसका मतलब वित्तीय संस्थानों और कंपनियों को तय सीमा से अधिक के लेनदेन के बारे में विभाग को सूचित करना होगा। इसके बाद विभाग इन लेनदेन का विश्लेषण करके ऐसे लोगों की पहचान करेगा जो बड़ी खऱीद कर रहे हैं, लेकिन टैक्स और टैक्स रिटर्न नहीं भर रहे हैं।
आयकर विभाग के दायरे में आ सकते हैं ये नए लेनदेन
जिन नए लेनदेनों को आय़कर विभाग के दायरे में लाने पर विचार किया जा रहा है, उनमें एक लाख रुपये से ऊपर की सोने, पेंटिंग या अन्य बड़े बिजली के सामानों की खरीद, एक लाख रुपये से अधिक के बिजली बिल, 20,000 रुपये से अधिक के होटल बिल, 50,000 रुपये से अधिक की जीवन बीमा की किस्त और 20,000 रुपये से अधिक की स्वास्थ्य बीमा की किस्त और प्रोपर्टी टैक्स आदि शामिल हैं।
बिजनेस क्लास के हवाई सफर के बारे में भी सूचना देना होगा जरूरी
इसके अलावा शिक्षा शुल्क, बड़ी राशि के दान और बिजनेस क्लास की घरेलू और विदेशी हवाई यात्राओं को भी आयकर विभाग के दायरे में लाने पर विचार किया जा रहा है। हालांकि अभी तक ये तय नहीं है कि ये सीमाएं ऑनलाइन भुगतान पर लागू होंगी या नकद भुगतान पर। बड़ी राशि के नकद लेनदेन, बॉन्ड और शेयरों की खरीद और क्रेडिट कार्ड बिलों के भुगतान आदि के बारे में बैंकों को पहले की तरह आयकर विभाग को बताना होगा।
टैक्स देने वाले लोगों की संख्या बढ़ाने के प्रयास कर रही है सरकार
बता दें कि केंद्र सरकार देश में टैक्स देने वाले लोगों की संख्या बढ़ाने का प्रयास कर रही है और ये कदम इसी का हिस्सा है। देश में अभी केवल 1.5 करोड़ लोग टैक्स भरते हैं, वहीं 6.4 करोड़ लोग टैक्स रिटर्न फाइल करते हैं। आयकर विभाग के एक प्रवक्ता ने मौजूदा प्रस्तावों पर 'द प्रिंट' को बताया कि इन्हें समझने के लिए सरकार के आधिकारिक नोटिफिकेशन का इंतजार करने की जरूरत है।
विशेषज्ञ बोले- सरकार ने जाहिर की अपनी मंशा
टैक्स विशेषज्ञों के अनुसार, इन प्रस्तावों के जरिए सरकार ने बड़े लेनदेनों की करीबी निगरानी की अपनी मंशा साफ कर दी है, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों को टैक्स के दायरे में लाया जा सके। उन्होंने इसे एक बड़ा फैसला बताया।