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गुजरात हाई कोर्ट की सरकार को फटकार, कहा- कोरोना पर दावों से अगल है वास्तविकता!

गुजरात हाई कोर्ट की सरकार को फटकार, कहा- कोरोना पर दावों से अगल है वास्तविकता!

Apr 12, 2021
04:20 pm

क्या है खबर?

देश में चल रही कोरोना वायरस संक्रमण की दूसरी लहर से गुजरात राज्य भी खास प्रभावित है। यहां प्रतिदिन हजारों की संख्या में नए मामले सामने आ रहे हैं। इसके बाद ठोस कदम नहीं उठाए जाने को लेकर सोमवार को गुजरात हाई कोर्ट ने सरकार को फटकार लगाई है। हाई कोर्ट स्वत: संज्ञान लेकर लेकर दाखिल करवाई एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि राज्य में कोरोना संक्रमण की स्थिति सरकार के दावों से बिल्कुल अलग है।

हालात

गुजरात में यह है कोरोना संक्रमण की स्थिति

गुजरात में कोरोना संक्रमण के मामलों में प्रतिदिन तेजी से इजाफा हो रहा है। रविवार को भी राज्य में संक्रमण के 5,469 नए मरीजों की पुष्टि हुई और 54 संक्रमितों की मौत हुई है। इसी के साथ राज्य में संक्रमितों की कुल संख्या बढ़कर 3,47,495 पर पहुंच गई है। इनमें से अब तक 4,800 मरीजों की मौत हो चुकी है और 3,15,127 उपचार के बाद ठीक हो गए। राज्य में सक्रिय मामलों की संख्या 27,568 पर पहुंच गई है।

जानकारी

हाई कोर्ट ने रविवार को दाखिल करवाई थी जनहित याचिका

बता दें कि हाई कोर्ट ने रविवार कोरोना वायरस के तेज प्रसार को देखते हुए स्वत: संज्ञान लेकर एक जनहित याचिका दायर करवाई थी। हाई कोर्ट ने कहा था कि बढ़ते मामलों के साथ गुजरात 'हेल्थ इमरजेंसी जैसी स्थिति' की तरफ बढ़ रहा है।

सुनवाई

सरकार की नीतियों से नहीं है संतुष्टि- हाई कोर्ट

जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस भार्गव करिया की खंडपीठ ने सोमवार को जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए बढ़ते कोरोना संक्रमण पर सरकार को फटकार लगाई। पीठ ने कहा कि लोग अब खुद को भगवान भरोसे समझ रहे हैं। कोर्ट सरकार की नीति से संतुष्ट नहीं हैं। इसे ठीक करने की जरूरत है ताकि लोग कुछ कर सकें। कोर्ट ने आगे कहा कि सरकार द्वारा क्या कार्रवाई की जाती है, इसकी जांच के लिए 15 अप्रैल को सुनवाई की जाएगी।

टिप्पणी

सरकार के दावों से बिल्कुल अलग है राज्य की स्थिति- हाई कोर्ट

सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता कमल त्रिवेदी ने कोरोना महामारी से निपटने के लिए गुजरात सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की जानकारी दी। इस पर कोर्ट ने कहा कि सरकार जो दावा करती है, वास्तविकता उससे काफी अलग है। आप कह रहे हैं कि सब कुछ ठीक है, लेकिन वास्तविकता इसके बिल्कुल विपरीत है। कोर्ट ने यह भी कहा कि राज्य के वर्तमान हालातों के कारण अब राज्य की जनता के विश्वास में कमी आती जा रही है।

टेस्ट

कोरोना टेस्ट की रफ्तार में आनी चाहिए तेजी- हाई कोर्ट

हाई कोर्ट ने कहा कि आम आदमी को कोरोना जांच रिपोर्ट मिलने में चार-पांच दिन का समय लगता है, लेकिन अधिकारी RT-PCR टेस्‍ट के जरिये मात्र कुछ घंटों में ही रिपोर्ट प्राप्‍त कर लेते हैं। कोर्ट ने कहा कि महामारी के प्रकोप को देखते हुए सैंपल संग्रह और टेस्ट को और तेज किया जाना चाहिए। महामारी इतनी तेजी से फैल रही और अभी तक सैंपल संग्रह और टेस्ट समय पर RT-PCR केंद्रों तक नहीं पहुंच पा रहे हैं।

हकीकत

नहीं है रेमेडिसविर की कोई कमी- हाई कोर्ट

कोरोना मरीजों के उपचार के लिए काम आने वाले रेमेडिसविर इंजेक्शन की कमी के सवाल पर हाई कोर्ट ने कहा, "राज्य में इसकी कोठर् नहीं है। सरकार के साथ सब कुछ उपलब्ध है। हम परिणाम चाहते हैं, कारण नहीं।" कोर्ट ने कहा कि वर्तमान में रेमेडिसविर इंजेक्शन बाजार में बहुत अधिक कीमत पर क्‍यों बेचे जा रहे हैं? जब आप कहते हैं कि मरीजों के लिए पर्याप्‍त बेड और ऑक्‍सीजन मौजूद हैं तो लोग लाइनों में क्‍यों लगे हुए हैं?