बिहार विधानसभा चुनाव: दूसरे चरण की वोटिंग जारी; आठ राज्यों में भी हो रहे उपचुनाव

बिहार विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण में 17 जिलों की 94 सीटों पर वोटिंग जारी है। इस चरण में लगभग 2.85 करोड़ वोटर्स विभिन्न पार्टियों के 1,463 उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला करेंगे। इसके अलावा मध्य प्रदेश की 28, गुजरात की आठ, उत्तर प्रदेश की सात, ओडिशा, नागालैंड, कर्नाटक और झारखंड की दो-दो और छत्तीसगढ़, तेलंगाना और हरियाणा की एक-एक विधानसभा सीट पर भी उपचुनाव के लिए वोटिंग हो रही है। वोटिंग शाम 6 बजे तक चलेगी।
बड़े उम्मीदवारों की बात करें तो राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के तेजस्वी यादव की राघोपुर विधानसभा सीट पर इस चरण में वोटिंग हो रही है। वहीं उनके बड़े भाई तेज प्रताप यादव की समस्तीपुर की हसनपुर सीट से अपनी किस्मत आजमा रहे हैं और यहां वोटिंग जारी है। राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन (NDA) की बात करें तो 46 सीटों पर भाजपा, 43 पर जनता दल यूनाइटेड (JDU) और पांच पर मुकेश साहनी की विकासशील इंसान पार्टी के उम्मीदवार मैदान में हैं।
बता दें कि बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण में 28 अक्टूबर को 16 जिलों की 71 सीटों पर वोटिंग हुई थी। इस चरण में कुल 55.69 प्रतिशत लोगों ने अपना वोट डाला था। वहीं तीसरे और आखिरी चरण की वोटिंग 7 नवंबर को होनी है और इस चरण में 15 जिलों की 78 सीटों पर वोटिंग होगी। 10 जिलों में दो चरणों में वोटिंग होगी। चुनाव के नतीजे 10 नवंबर को आएंगे।
बिहार की 243 विधानसभा सीटों पर मुख्य मुकाबला भाजपा और JDU के नेतृत्व वाले NDA और RJD और कांग्रेस के नेतृत्व वाले महागठबंधन के बीच है। NDA की तरफ से नीतीश कुमार मुख्यमंत्री पद के चेहरे हैं और वे चौथी बार मुख्यमंत्री बनने की जुगत में लगे हुए हैं। वहीं महागठबंधन ने लालू प्रसाद यादव के बेटे तेजस्वी यादव को अपना मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया है। दोनों पक्षों में तीखे शब्द बाण चल रहे हैं।
अभी बिहार विधानसभा चुनाव में बेरोजगारी सबसे बड़ा मुद्दा बना हुआ है और इसलिए ज्यादातर पार्टियों ने अपने-अपने घोषणापत्रों में बंपर नौकरियों का वादा किया है। RJD ने सबसे पहले उसकी सरकार बनते ही पहली कैबिनेट बैठक में ही 10 लाख सरकारी नौकरियों को मंजूरी देने का वादा किया था। इसके बाद भाजपा ने भी अपने घोषणापत्र में 19 लाख नौकरियां पैदा करने का वादा कर दिया। कोरोना वायरस महामारी और मजदूरों का गुस्सा भी बड़े मुद्दे हैं।
NDA का चेहरा होने के बावजूद नीतीश चुनाव में अकेले पड़ते हुए नजर आ रहे हैं और सुशील कुमार मोदी और केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद को छोड़कर अन्य किसी बड़े भाजपा नेता ने JDU के उम्मीदवारों के लिए प्रचार नहीं किया है। दोनों पार्टियों के पोस्टर्स पर भी एक-दूसरे का जिक्र नहीं है। लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) प्रमुख चिराग पासवान के NDA से अलग होने और नीतीश पर लगातार हमले करने के पीछे भी भाजपा को माना जा रहा है।
महागठबंधन के नेता तेजस्वी यादव की रैलियों में आती भीड़ और 10 लाख नौकरियों के उनके वादे पर लोगों के उत्साह ने भी नीतीश कुमार की झुंझलाहट को बढ़ाया है और इसका असर उनके भाषणों में भी दिख रहा है। कभी अपने शांत स्वभाव के लिए चर्चित रहे नीतीश इस चुनाव में तेजस्वी और अन्य नेताओं पर व्यक्तिगत हमला करने से भी पीछे नहीं हटे हैं। इसके अलावा वे रैलियों में लोगों पर गुस्सा करते हुए भी नजर आए हैं।