चीन की कथनी और करनी अलग-अलग, कड़ा कदम उठाने को तैयार भारत- राजनाथ सिंह
क्या है खबर?
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को राज्यसभा में भारत-चीन सीमा विवाद के बारे में जानकारी दी।
उन्होंने एक बार फिर दोहराया कि चीन ने केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में 38,000 वर्ग किलोमीटर जमीन पर अवैध कब्जा किया हुआ है।
सिंह ने कहा कि चीन की कदमों को देखकर समझ आता है कि उसकी कथनी और करनी में बहुत अंतर है। इसका सबूत यह है कि बातचीत के बावजूद चीन ने 29-30 अगस्त को उकसावे वाली कार्रवाई की।
LAC
औपचारिक सीमाओं को नहीं मानता चीन- सिंह
राजनाथ सिंह ने कहा कि चीन औपचारिक सीमाओं को नहीं मानता। दोनों देशों के बीच शांति बहाली के लिए कई समझौते किए गए, लेकिन चीन ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर यथास्थिति बदलने की कोशिश की।
रक्षा मंत्री ने चीन-पाकिस्तान सीमा समझौता का भी जिक्र किया, जिसके तहत पाकिस्तान ने भारत की 5,180 वर्ग किलोमीटर जमीन अवैध तरीके से चीन को दी है।
सिंह ने कहा कि चीन अरुणाचल प्रदेश में 90,000 वर्ग किलोमीटर जमीन पर भी दावा करता है।
संदेश
"बड़ा और कड़ा कदम उठाने से पीछे नहीं हटेगा भारत"
उन्होंने कहा कि देशहित में जितना बड़ा या कड़ा कदम उठाना पडे भारत पीछे नहीं हटेगा।
सिंह ने कहा, "भारत हर कदम उठाने को तैयार है और सेना की तैयारी पूरी है। हमारे जवानों का हौसला बुलंद है। यह सच है कि लद्दाख में हम चुनौती से जूझ रहे हैं, लेकिन हम इसका सामना करेंगे। हम देश का माथा नहीं झुकने देंगे। हमारे सैनिक चीनी सेना से आंख से आंख मिलाकर खड़े हैं।"
सीमा पर स्थिति
जवानों ने जरूरत पड़ने पर शौर्य दिखाया
राज्यसभा में बयान देते हुए सिंह ने कहा कि LAC को लेकर दोनों देशों की राय अलग है और सीमा पर पहले भी तनाव रहा है।
उन्होंने मौजूदा तनाव की जानकारी देते हुए कहा कि चीन ने मई में गलवान घाटी में भारतीय सैनिकों की पैट्रोलिंग रोकी। 15 जून को भारतीय सैनिकों ने चीनी सेना को मुंहतोड़ जवाब दिया। इस दौरान जहां संयम की जरूरत पड़ी, वहां सैनिकों ने संयम दिखाया और शौर्य की जरूरत पर शौर्य भी दिखाया।
डाटा
जवानों का हौसला बढ़ाने लद्दाख गए प्रधानमंत्री मोदी
उन्होंने आगे कहा कि 15 जून को कर्नल संतोष बाबू और उनके साथ 19 बहादुर जवानों ने देश की क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा करते हुए गलवान घाटी में शहादत दी थी। प्रधानमंत्री मोदी भी जवानों का उत्साह बढ़ाने के लिए लद्दाख गए थे।
बयान
राजनाथ बोले- समझौतों के खिलाफ हैं चीन के कदम
राजनाथ सिंह ने कहा कि चीन ने द्विपक्षीय समझौतों का उल्लंघन करते हुए कदम उठाए हैं। चीन ने सीमा पर जो सैनिक जुटाएं हैं वो 1993 और 1996 में हुए समझौते के खिलाफ हैं।
सिंह ने कहा, "सीमाई इलाकों में शांति के लिए LAC का सम्मान बहुत जरूरी है। हमारी सेनाएं समझौते के मुताबिक काम करती है, लेकिन चीन की तरफ से ऐसा कभी नहीं होता। हम बातचीत के जरिये सभी मामलों को सुलझाने के पक्ष में हैं।"
साफ संदेश
भारत बातचीत का पक्षधर, लेकिन झुकने वाले में नहीं- सिंह
सिंह ने आगे कहा, "चीन ने कई दशकों में सीमावर्ती क्षेत्रों में अपनी तैनाती क्षमताओं को बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचों का निर्माण किया है। हमारी सरकार ने भी सीमावर्ती बुनियादी ढांचे के विकास के लिए बजट को पिछले सालों से लगभग दोगुना कर दिया है।"
उन्होंने चीन को संदेश देते हुए कहा कि भारत बातचीत का पक्षधर है, लेकिन झुकने वालों में नहीं हैं। चीन की तैनाती का जवाब देने के लिए भारत ने भी तैनाती की है।
जानकारी
"मौजूदा स्थिति के शांतिपूर्ण समाधान के लिए प्रतिबद्ध"
उन्होंने बताया कि सीमा पर इस साल सैनिकों की संख्या और विवादित क्षेत्रों के मामले में स्थिति काफी अलग है। उन्होंने कहा, "हम मौजूदा स्थिति के शांतिपूर्ण समाधान के लिए प्रतिबद्ध है। साथ ही हर प्रकार की स्थिति से निपटने के लिए भी तैयार हैं।
पूर्वी लद्दाख
दुनिया की कोई ताकत भारतीय सेना को पैट्रोलिंग से नहीं रोक सकती- राजनाथ सिंह
वहीं सेना की पैट्रोलिंग से जुड़े कांग्रेस सांसद एके एंटनी के सवाल पर राजनाथ सिंह ने कहा, "दुनिया की कोई ताकत भारतीय सेना को पैट्रोलिंग से नहीं रोक सकती। चीन के साथ हमारी लड़ाई का कारण ही यही है।"
उन्होंने सदन को आश्वासन दिया कि पूर्वी लद्दाख में विवाद की जगह पर सेना की पैट्रोलिंग के पैटर्न में कोई बदलाव नहीं होगा। पैट्रोलिंग पैटर्न लंबे से चला आ रहा है और यह पूरी तरह स्पष्ट है।