भारत-चीन तनाव: भारत ने पूर्वी सीमा पर बढ़ाई सुरक्षा, अरुणाचल प्रदेश में की सैनिकों की तैनाती
लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन के साथ लगातार बढ़ते तनाव के बीच भारत ने चीन से लगने वाली अपनी पूर्वी सीमा पर सुरक्षा बढ़ाना शुरू कर दिया है। इसके लिए अरुणाचल प्रदेश के पूर्वी जिले अंजाव में अतिरिक्त सैनिकों की तैनात की जा रही है। भारतीय सेना की ओर से उठाए जा रहे इस कदम ने नए विवाद की संभावनाओं को जन्म दिया है। हालांकि, सरकार और सैन्य अधिकारियों ने विवाद की स्थिति से इनकार किया है।
सतर्कता के चलते बढ़ाई जा रही है पूर्वी सीमा पर सेना की तैनाती
लद्दाख में पश्चिम सीमा पर जून से ही चीन और भारतीय सेना के बीच तनाव बढ़ता चला रहा है। 14-15 जून की रात को गलवान घाटी में दोनों देशों के सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प में 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे। उसके बाद से दोनों देशो के बीच तनाव बढ़ रहा है। चीन लगातार भारतीय सीमा में घुसपैठ की कोशिश कर रहा है। ऐस में भारत ने पूर्वी सीमा की सुरक्षा के लिए यह कदम उठाया है।
पूर्वी सीमा पर घुसपैठ की नहीं है कोई सूचना- आयुषी
TOI के अनुसार अंजाव की मुख्य सिविल सेवक आयुषी सूदान ने कहा, "सैन्य तैनाती में निश्चित रूप से वृद्धि हुई है, लेकिन जहां तक घुसपैठ का संबंध है, ऐसी कोई सत्यापित रिपोर्ट नहीं है। वहां पहले से ही भारतीय सेना की कई बटालियन तैनात है।" उन्होंने कहा कि लद्दाख में गलवान घटना के बाद से ही सीमा पर सेना की तैनाती बढ़ाई गई है। इससे पहले भी कई बार सीमा पर सेना की तैनाती में बढ़ोतरी की जा चुकी है।
नियमित रोटेशन प्रक्रिया के तहत पहुंचे हैं सैनिक
बता दें कि अरुणाचाल पदेश में स्थित अंतरराष्ट्रीय सीमा 1962 के युद्ध का प्रमुख कारण थी और सुरक्षा विश्लेषकों ने चेतावनी भी जारी की थी कि इस पर भविष्य में फिर विवाद हो सकता है। हालांकि, भारतीय सैन्य प्रवक्ता लेफ्टिनेंट कर्नल हर्ष वर्धन पांडे ने कहा कि चिंता की कोई बात नहीं है और सीमा पर पहुंचने वाले सैनिक नियमित रोटेशन प्रक्रिया का हिस्सा थे। हर बार की तरह बटालियनों को आपस में बदला जा रहा है।
सांसद तपीर गाओ ने कही घुसपैठ की बात
सन्य अधिकारियों के घुसपैठ करने की किसी भी घटना से इनकार करने के उलट अरुणाचल प्रदेश से सांसद तपीर गाओ का कहना है कि चीन सैनिक नियमित रूप से भारतीय सीमा में घुसपैठ कर रहे हैं और सैन्य अधिकारियों को इसकी जानकारी भी है।
वालोंग और चगलगाम पर है सरकार का फोकस
लेफ्टिनेंट कर्नल पांडे ने कहा कि अंजाव क्षेत्र में वालोंग और चगलगाम क्षेत्रों की सीमा की पहचान करना बहुत ही मुश्किल है। 1962 के युद्ध में भी भारतीय सैनिकों ने वालोंग में घुसे चीनी सैनिकों को खदेड़ दिया था। उन्होंने कहा कि वालोंग और चगलगाम में क्षेत्र के निपटारे के लिए वहां के पहाड़, मैदानी इलाके और नदियों पर सरकार का फोकस है। उन्होंने कहा कि सरकार इन विवादित क्षेत्र के लोगों की सुविधाओं की ओर ध्यान दे रही है।
चीन ने सोमवार को किया था घुसपैठ का प्रयास
बता दें कि चीन लगातार घुसपैठ की कोशिश कर रहा है। उसने 29-30 अगस्त की रात को पैंगोग झील के दक्षिणी किनारे भारतीय सीमा में घुसपैठ की कोशिश की थी, लेकिन भारतीय सैनिकों ने उसे नाकाम कर दिया। सोमवार को दोनों सेनाओं के कमांडरों ने स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए बातचीत की, लेकिन रात को चीनी सैनिकों ने फिर से उकसाने वाली कार्रवाई कर दी। हालांकि, भारतीय सेना उसे भी नाकाम कर दिया था।