
सियाचिन: बर्फीले तूफान की चपेट में आने से चार जवान शहीद, दो पोर्टर की भी मौत
क्या है खबर?
दुनिया के सबसे ऊंचे रणक्षेत्र सियाचिन में बर्फीले तूफान की चपेट में आकर चार जवान शहीद हो गए और दो पोर्टरों की जान चली गई।
सियाचिन के उत्तरी ग्लेशियर पर सोमवार दोपहर लगभग तीन बजे यह हादसा हुआ।
तूफान की चपेट में आए जवान और पोर्टर आठ सदस्यीय पेट्रोलिंग टीम का हिस्सा थे।
रक्षा अधिकारियों ने बताया कि यह हादसा 19,000 फीट की ऊंचाई पर हुआ है। यहां तापमान बेहद कम है। हाइपोथर्मिया से इन लोगों की मौत हुई है।
घटना
गंभीर हालत में करवाया गया अस्पताल में भर्ती
हादसे की सूचना मिलते ही नजदीकी पोस्ट से बचाव टीमों ने मौके पर पहुंच राहत अभियान चलाया और बर्फ में दबे लोगों को जवानों को ढूंढना शुरू किया।
बचाव टीमों ने बर्फ में दबे सभी आठ लोगों को निकाल लिया, जिनमें से सात की हालात बेहद गंभीर बनी हुई थी।
इन्हें हेलिकॉप्टर की मदद से नजदीकी अस्पताल में ले जाया गया, लेकिन छह लोगों की जान नहीं बचाई जा सकी। इनमें चार जवान और दो पोर्टर शामिल हैं।
जानकारी
राजनाथ सिंह ने घटना पर जताया दुख
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने जवानों की शहादत पर दुख व्यक्त किया है। उन्होंने ट्विटर पर लिखा कि देश इन जवानों के साहस को सलाम करता है। उन्होंने जवानों के परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त की।
ट्विटर पोस्ट
रक्षा मंत्री ने जवानों की शहादत को किया सलाम
Deeply pained by the demise of soldiers and porters due to avalanche in Siachen. I salute their courage and service to the nation. My heartfelt condolences to their families.
— Rajnath Singh (@rajnathsingh) November 19, 2019
घटना
गश्त पर थे शहीद जवान
एक वरिष्ठ सैन्य अधिकारी ने बताया कि शहीद हुए ये जवान गश्त पर थे। अचानक हिमस्खलन होने के कारण ये समुद्र तल से 18,000-19,000 फीट ऊंचाई पर बर्फीली चट्टानों के बीच फंस गए।
जानकारी के लिए बता दें कि सियाचिन दुनिया का सबसे ऊंचा रणक्षेत्र है। यहां पर जवान बेहद विपरित परिस्थितियों में अपनी ड्यूटी करते हैं।
पिछले महीने लद्दाख दौरे के दौरान रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने ग्लेशियर को पर्यटकों के लिए फिर से खोले जाने की घोषणा की थी।
पुरानी घटना
सियाचिन में 2016 में गई थी 10 जवानों की जान
सियाचिन पर हादसों की यह पहली घटना नहीं है। इससे पहले 2016 में 10 सैनिक बर्फ में दब गए थे।
तमाम प्रयासों के बावजूद उनमें से किसी को भी नहीं बचाया जा सका। इस हादसे में लांस नायक हनुमनथप्पा को कई दिनों के बाद बर्फ से जिंदा निकाला गया था। उन्हें बेहद गंभीर हालत में दिल्ली के अस्पताल में भर्ती किया गया था।
खुद प्रधानमंत्री मोदी हनुमनथप्पा से मिलने आये थे। कुछ दिन बाद हनुमनथप्पा की मौत हो गई थी।