अमेरिका का बड़ा ऐलान, कोरोना वायरस वैक्सीन से संबंधित वैश्विक प्रयासों में नहीं होगा शामिल
अमेरिका कोरोना वायरस की वैक्सीन विकसित करने और इसे बांटने के वैश्विक प्रयासों में शामिल नहीं होगा। इन प्रयासों में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के शामिल होने के कारण अमेरिका ने ये फैसला लिया है। मंगलवार को इसका ऐलान करते हुए अमेरिका ने कहा कि वह WHO जैसी भ्रष्ट संस्था के साथ काम नहीं करेगा। अमेरिका के इस ऐलान से कोरोना वायरस की वैक्सीन को सभी देशों में न्यायसंगत तरीके से बांटने के प्रयासों को एक बड़ा झटका लगा है।
कोरोना वायरस की वैक्सीन पर वैश्विक सहयोग के लिए बनाय गया कोवैक्स
जहां एक तरफ कई देशों ने कोरोना वायरस की वैक्सीन के लिए सीधे कंपनियों से सौदा कर लिया है, वहीं अन्य कई देश वैक्सीन विकसित करने और इसके न्यायसंगत वितरण के लिए एक वैश्विक तंत्र बनाने के प्रयासों में लगे हुए हैं। इन्हीं प्रयासों के तहत WHO और गरीब देशों में वैक्सीन वितरण के लिए बने अंतरराष्ट्रीय गठबंधन 'गावी' ने अन्य संगठनों के साथ मिलकर कोविड-19 वैक्सीन्स ग्लोबल एक्सेस (कोवैक्स) अभियान चलाया है, जिसे 172 देशों का साथ हासिल है।
चल रहे थे अमेरिका को अभियान में शामिल करने के प्रयास
कोवैक्स अभियान को जापान, जर्मनी और यूरोपीय आयोग समेत अमेरिका के कई पारंपरिक सहयोगियों का समर्थन हासिल है और अमेरिका को भी इसमें शामिल करने के प्रयास चल रहे थे। अब अमेरिका ने इसमें शामिल होने से इनकार कर दिया है। मंगलवार को व्हाइट हाउस ने अपने बयान में कहा, "अमेरिका वायरस को हराने के लिए अपने अंतरराष्ट्रीय सहयोगियों के साथ काम करता रहेगा, लेकिन भ्रष्ट WHO और चीन द्वारा प्रभावित बहुपक्षीय संगठनों द्वारा विवश नहीं किया जाएगा।"
अमेरिका के लिए खतरनाक साबित हो सकता है फैसला
कोरोना वायरस के लिए वैश्विक प्रयासों से पीछे हटने का अमेरिका का ये फैसला उसके और पूरे विश्व के लिए बेहद अहम है। विशेषज्ञों का मानना है कि अकेले आगे बढ़ने की अमेरिका की ये रणनीति खतरनाक साबित हो सकती है। विशेषज्ञों के अनुसार, अगर अमेरिका की कोई भी वैक्सीन कोरोना वायरस के खिलाफ प्रभावी साबित नहीं होती है तो कोवैक्स अभियान से न जुड़ने के कारण वह अन्य देशों में विकसित की गई वैक्सीनों से भी वंचित रह जाएगा।
बैकअप के तौर पर काम करता कोवैक्स में शामिल होना
विशेषज्ञों के अनुसार, अमेरिका वैक्सीन बना रही कंपनियों से सौदा करने के साथ-साथ कोवैक्स में शामिल हो सकता था और इनमें से किसी भी वैक्सीन के सफल न रहने पर यह एक बैकअप की तरह काम करता। WHO भी यही बात कह चुका है। हालांकि अमेरिका ने ऐसा न करते हुए अकेले आगे बढ़ने का ऐलान किया है। रिपोर्ट्स के अनुसार, अमेरिकी अधिकारियों को भरोसा है कि उनके पास पर्याप्त वैक्सीन होंगी।
विशेषज्ञ बोले- लाखों जानों को खतरे में डालने वाला फैसला
विशेषज्ञों का कहना है कि अपने इस फैसले के जरिए ट्रंप प्रशासन ने लाखों जानों को खतरे में डाला है और जब तक सभी पूरी दुनिया सुरक्षित नहीं होगी, अमेरिका भी सुरक्षित नहीं हो सकता। इसके कारण अमेरिकी अर्थव्यवस्था को भी उबरने में दिक्कत आएगी।
WHO से बाहर निकलने का ऐलान कर चुका है अमेरिका
बता दें कि कोरोना वायरस महामारी की शुरूआत से ही अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप WHO पर हमलावर बने हुए हैं। वह उस पर चीन के साथ सांठगांठ करने और दुनिया को समय रहते वायरस के बारे में न बताने का आरोप लगा चुके हैं। अप्रैल में उन्होंने WHO को अमेरिका की फंडिंग रोक दी थी, वहीं जुलाई में इससे एक कदम आगे जाते हुए उन्होंने WHO से बाहर निकलने का ऐलान किया था।