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आंदोलनकारी किसान नेताओं से मिलेंगे अरविंद केजरीवाल, कल दिल्ली विधानसभा में होगी बैठक

आंदोलनकारी किसान नेताओं से मिलेंगे अरविंद केजरीवाल, कल दिल्ली विधानसभा में होगी बैठक

Feb 20, 2021
04:58 pm

क्या है खबर?

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल कल केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसान नेताओं से मुलाकात करेंगे। अधिकारियों ने यह जानकारी देते हुए कहा कि केजरीवाल दिल्ली विधानसभा के परिसर में किसान नेताओं से मिलेंगे और बैठक में कृषि कानूनों समेत अन्य कई मुद्दों पर चर्चा की जाएगी। ये मुलाकात ऐसे समय पर होने जा रही है जब पंजाब के शहरी निकाय चुनावों में आम आदमी पार्टी (AAP) को करारी हार का सामना करना पड़ा है।

समर्थन

शुरू से किसान आंदोलन के समर्थन में है AAP

पिछले काफी समय से पंजाब में राजनीतिक विस्तार के रास्ते तलाश रही केजरीवाल की आम आदमी पार्टी (AAP) शुरू से ही कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन के समर्थन में है। यही नहीं, AAP और उसकी दिल्ली सरकार ने दिल्ली के बॉर्डर पर धरना दे रहे किसानों को पानी समेत तमाम मूलभूत सुविधाएं भी प्रदान की हैं और खुद केजरीवाल कई बार किसानों से मुलाकात कर चुके हैं। इसके अलावा उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया भी किसानों से मिले हैं।

राजनीति

AAP ने पंजाब की कांग्रेस सरकार की भी आलोचना की

AAP मामले में पंजाब की कांग्रेस सरकार और मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह पर भी हमलवार रही है और उसने अमरिंदर पर आंदोलन को गलत तरीके से संभालने का आरोप लगाया था। अमरिंदर सिंह ने भी केजरीवाल और AAP पर करारा पलटवार किया था। जानकारों के अनुसार, AAP का इरादा इस आंदोलन का लाभ उठा पंजाब में एक बार फिर से अपने पैर जमाने का है और इसलिए वह सत्तारूढ़ कांग्रेस और अमरिंदर पर हमलावर रही है।

आंदोलन को समर्थन के बावजूद

मंसूबों में कामयाब नहीं हुई AAP, शहरी निकाय चुनावों में सूपड़ा साफ

आंदोलन के समर्थन के बावजूद पंजाब में हुए शहरी निकाय चुनावों में AAP को कुछ खास फायदा नहीं हुआ और कांग्रेस ने इन चुनावों में उसका और भाजपा का सूपड़ा साफ कर दिया। इसी हफ्ते आए नतीजों में कांग्रेस ने सभी सात नगर निगमों पर कब्जा किया। इसके अलावा उसने 109 नगर निकायों और नगर पंचायतों में से अधिकांश पर भी जीत दर्ज की। इन नतीजों को आंदोलन के परिदृश्य में किसानों के मूड के तौर पर देखा गया है।

मुद्दा

क्या है कृषि कानूनों और किसान आंदोलन का पूरा मुद्दा?

मोदी सरकार कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए तीन कानून लेकर लाई है। इनमें सरकारी मंडियों के बाहर खरीद के लिए व्यापारिक इलाके बनाने, अनुबंध खेती को मंजूरी देने और कई अनाजों और दालों की भंडारण सीमा खत्म करने समेत कई प्रावधान किए गए हैं। इन कानूनों का विरोध कर रहे किसानों का कहना है कि इनके जरिये सरकार मंडियों और MSP से छुटकारा पाना चाहती है। पंजाब में इन कानूनों का सबसे अधिक विरोध देखने को मिला है।

बातचीत

सरकार और किसानों के बीच टूट चुका है बातचीत का सिलसिला

इन कानूनों को लेकर सरकार और किसानों के बीच बातचीत का सिलसिला पूरी तरह से टूट चुका है और गतिरोध टूटने का कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा है। सरकार साफ कर चुकी है कि वह कानूनों को 18 महीने तक निलंबित करने के लिए तैयार है, हालांकि किसान इस प्रस्ताव पर राजी नहीं हैं और कानूनों की वापसी चाहते हैं। इस बीच किसानों ने अपनी रणनीति में बदलाव करते हुए आंदोलन का विस्तार करने का फैसला लिया है।