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    ट्रैक्टर परेड में शामिल होने के लिए 23 जनवरी से दिल्ली कूच करेंगे हरियाणा के किसान
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    देश 1 मिनट में पढ़ें

    ट्रैक्टर परेड में शामिल होने के लिए 23 जनवरी से दिल्ली कूच करेंगे हरियाणा के किसान

    लेखन प्रमोद कुमार
    Jan 16, 2021
    02:45 pm
    ट्रैक्टर परेड में शामिल होने के लिए 23 जनवरी से दिल्ली कूच करेंगे हरियाणा के किसान

    सड़कों पर लंबे जामों से बचने के लिए हरियाणा के किसान 26 जनवरी को दिल्ली में प्रस्तावित 'ट्रैक्टर परेड' में भाग लेने के लिए 23 जनवरी को ही रवाना होने की योजना बना रहे हैं। किसान संगठनों का अनुमान है कि हरियाणा से लगभग एक लाख ट्रैक्टर परेड में शामिल होंगे। इसके अलावा कई गांवों से दूसरे वाहन भी दिल्ली जाने को तैयार हैं। परेड की तारीख नजदीक आते देख दिल्ली में किसानों की संख्या लगातार बढ़ रही है।

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    दोगुनी हो गई है दिल्ली की तरफ जाने वाले किसानों की संख्या- किसान नेता

    पिछले 50 दिनों से सिंघु बॉर्डर पर बैठे हिसार के एक किसान नेता सुरेश कौथ कहते हैं कि प्रस्तावित ट्रैक्टर परेड से पहले दिल्ली के बॉर्डर की तरफ जाने वाले लोगों और वाहनों की संख्या दोगुना हो गई है। इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए उन्होंने कहा कि हरियाणा से 23 जनवरी को ट्रैक्टर दिल्ली की तरफ बढ़ना शुरू कर देंगे। उम्मीद है कि हर गांव से 20 ट्रैक्टर और लगभग 200 लोग दिल्ली के बॉर्डर पर जाएंगे।

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    "रोजाना 300 ट्रैक्टर जा रहे दिल्ली"

    एक दूसरे किसान नेता ने बताया कि हरियाणा और पंजाब से रोजाना 300 ट्रैक्टर-ट्रॉलियां दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर पहुंच रही हैं। वहीं रोजाना 50-100 ट्रैक्टर-ट्रॉलियों में सवार होकर आंदोलन में आए किसान खेतों में काम करने के लिए वापस लौट रहे हैं।

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    किसानों की जमीन को कॉर्पोरेट से बचाने की लड़ाई- किसान नेता

    शुक्रवार को भी सिरसा और फतेहाबाद के अलग-अलग गांवों से लगभग 500 ट्रैक्टर दिल्ली की तरफ निकले हैं। किसान संघर्ष समिति के प्रमुख मनदीप नाथवान इस आंदोलन की स्वतंत्रता संग्राम से तुलना करते हुए कहते हैं कि दिल्ली में जारी आंदोलन कॉर्पोरेट घराने से किसानों की जमीनें बचाने की लड़ाई है। उन्होंने कहा कि यह आंदोलन देश का राजनीतिक माहौल बदल देगा। इसमें किसान, मजदूर और नौकरी पेशा समेत सब लोग मिलकर साथ आ रहे हैं।

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    किसान संगठनों ने शुरू किया जागरुकता अभियान

    नाथवान ने यह भी कहा कि किसान नेताओं ने लोगों में कृषि कानूनों के बारे में जागरुकता फैलाने के लिए अभियान शुरू किया है। उन्होंने कहा, "पिछले कुछ दिनों में हमने अलग-अलग लोगों से ट्रैक्टर परेड को लेकर कई तरह की बातें सुनी हैं जो आंदोलन को हिंसक कर किसानों का बदनाम करना चाहते हैं। इसे देखते हुए हमने लोगों को बताया है कि उन्हें केवल संयुक्त किसान मोर्चा की बात सुननी है। यह आंदोलन शांतिपूर्ण रहेगा।"

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    मांगें न माने जाने पर किसान करेंगे ट्रैक्टर परेड

    तीन नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों ने ऐलान किया है कि अगर सरकार इन कानूनों को वापस नहीं लेती है तो वो 26 जनवरी को दिल्ली की सड़कों पर ट्रैक्टर परेड निकालेंगे। किसान नेताओं का कहना है कि उनकी यह परेड शांतिपूर्ण रहेगी और वो गणतंत्र दिवस समारोह में किसी तरह की अड़चन पैदा नहीं करेंगे। नेताओं ने बड़ी संख्या में किसानों से इस परेड में शामिल होने की अपील करते हुए उन्हें दिल्ली बुलाया है।

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    किसानों और सरकार के बीच जारी है गतिरोध

    बता दें कि कृषि कानूनों को लेकर जारी गतिरोध का हल नहीं निकल सका है। शुक्रवार को किसानों और सरकार के बीच हुई नौवें दौर की बातचीत भी बेनतीजा साबित हुई। किसान तीनों कानूनों को रद्द कराने की मांग पर अड़े हैं, वहीं सरकार का कहना है कि वह कानूनों में संशोधन कर सकती है, लेकिन इन्हें रद्द नहीं किया जाएगा। दोनों पक्षों के बीच अगले दौर की बातचीत 19 जनवरी को 12 बजे होगी।

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    क्यों विरोध कर रहे हैं किसान?

    मोदी सरकार कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए तीन कानून लेकर लाई है। इनमें सरकारी मंडियों के बाहर खरीद के लिए व्यापारिक इलाके बनाने, अनुबंध खेती को मंजूरी देने और कई अनाजों और दालों की भंडारण सीमा खत्म करने समेत कई प्रावधान किए गए हैं। पंजाब और हरियाणा समेत कई राज्यों के किसान इन कानूनों का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि इनके जरिये सरकार मंडियों और MSP से छुटकारा पाना चाहती है।

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