भाजपा से कोई संबंध न रखें किसान, शादियों में न बुलाएं- नरेश टिकैत
कृषि कानूनों की खिलाफत कर रहे भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) के अध्यक्ष राकेश टिकैत ने किसानों से भाजपा से कोई संबंध न रखने की अपील की है। यही नहीं, उन्होंने लोगों से भाजपा प्रतिनिधियों को शादी और तेरहवीं आदि का न्यौता न देने को भी कहा है। उन्होंने कहा कि अगर कोई व्यक्ति ऐसा करता है तो उसे अगले दिन 100 आदमियों के लिए खाना बनाना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि इसे आदेश या सलाह कुछ भी माना जा सकता है।
क्या बोले टिकैत?
बुधवार को मुजफ्फरनगर के सिसौली के किसान भवन में मासिक पंचायत का आयोजन किया गया था। इस पंचायत में आसपास के कई गांवों के किसान पहुंचे और इन किसानों को संबोधित करते हुए टिकैत ने कहा, "आदेश मानते हो तो आदेश कर देंगे, सलाह मानते हो तो सलाह मान लो... कोई भी आदमी उन्हें (भाजपा के प्रतिनिधियों) चिट्ठी (निमंत्रण) नहीं देगा... जिस आदमी ने ऐसा किया, अगले दिन 100 व्यक्तियों का खाना उसी आदमी के यहां बनेगा।"
कार्यक्रम में आए भाजपा नेता तो हो सकती है गड़बड़- टिकैत
टिकैत ने अपने बयान के दौरान साफ किया कि वह भाजपा का बहिष्कार नहीं कर रहे, लेकिन अगर वे कार्यक्रमों में आते हैं तो उनके साथ गड़बड़ हो सकती है और ऐसा होने पर वह उनके ऊपर इसका दोष मढेंगे। उन्होंने कहा, 'उनका भी अपना काम-धंधा चल रहा है। वे अपने घर चले जाएं या रिश्तेदारी में चले जाएं, लेकिन किसी कार्यक्रम में न जाएं। अगर कोई कहता है कि यह आदेश है तो आदेश मान लो।"
टिकैत बोले- किसान आंदोलन अब मान-सम्मान की लड़ाई
अपने भाषण में टिकैत ने कहा कि किसान आंदोलन अब मान-सम्मान और किसान की पगड़ी की लड़ाई में बदल गया है और उन्हें अपनी जमीन बचानी है। उन्होंने कहा कि भाजपा की सरकार बनवाने में भारतीय किसान यूनियन ने भरपूर सहयोग किया था, लेकिन अब किसानों की कोई बात नहीं सुना जा रही है। उन्होंने कहा कि भाजपा के कई सांसद भी इस बात से दुखी हैं और टूटने की कगार पर हैं।
राकेश टिकैत के रोने के बाद मुख्य भूमिका में आए हैं नरेश टिकैत
बता दें कि नरेश टिकैत किसानों के बड़े नेता रहे स्वर्गीय महेश टिकैत के पुत्र हैं। वह किसान आंदोलन के शुरूआती दौर में उतने सक्रिय नहीं थे, लेकिन गाजीपुर बॉर्डर से किसानों को जबरदस्ती हटाने के विरोध में उनके छोटे भाई राकेश टिकैत के कैमरे पर रोने के बाद से वह मुख्य भूमिका में आ गए हैं। इसके बाद से वह पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कई महापंचायत कर चुके हैं और किसानों और जाटों को एकजुट कर रहे हैं।
जाटों की एकजुटता ने भाजपा को चिंता में डाला
राकेश टिकैत के आंसुओं का असर हरियाणा और राजस्थान के जाट इलाकों में भी देखने को मिला है और इसने भाजपा को चिंता में डाल दिया है। इन इलाकों की लगभग 40 लोकसभा सीटों पर जाटों का दबदबा है और अगर उनकी नाराजगी जारी रहती है तो इससे भाजपा को बड़ा नुकसान हो सकता है। अगले साल उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव भी होने हैं और जाटों के गुस्से का असर इन चुनावों में भी देखने को मिल सकता है।