दो लाख कोरोना संक्रमितों के साथ देश का सबसे प्रभावित शहर कैसे बना पुणे?
क्या है खबर?
महाराष्ट्र के पुणे में सोमवार तक दो लाख से अधिक लोगों में संक्रमण की पुष्टि हो चुकी है।
2.03 लाख मामलों के साथ पुणे में देश के किसी भी अन्य शहर की तुलना में कोरोना का प्रकोप अधिक है।
पुणे की आबादी दिल्ली और मुंबई से काफी कम है, इसके बावजूद यहां इन दोनों शहरों से ज्यादा लोग इस खतरनाक वायरस की चपेट में आए हैं।
आइये, जानते हैं कि इसके पीछे क्या कारण रहे हैं।
कोरोना संक्रमण
चौंकाने वाला है पुणे में सर्वाधिक मामले होना
जनसंख्या घनत्व को कोरोना वायरस के फैलने के लिए सबसे मुफीद माना जाता है। इस लिहाज से भी पुणे मुंबई और दिल्ली से बेहतर स्थिति है।
इसके अलावा यहां प्रवासी और विदेशों से आने वाले लोगों की संख्या भी दिल्ली (1.93 लाख संक्रमित) और मुंबई (1.57 लाख संक्रमित) से कम रहती है, जो संंक्रमितों की संख्या के लिहाज से क्रमश: दूसरे और तीसरे नंबर पर हैं।
इस वजह से पुणे में सर्वाधिक संक्रमित होना काफी चौंकाने वाला है।
संक्रमण
विशेषज्ञ इतने मामलों के पीछे क्या वजह मानते हैं?
महामारी की शुरुआत से ही पुणे सर्वाधिक प्रभावित पांच शहरों में शामिल रहा है। इसकी एक वजह यहां होने वाली ज्यादा टेस्ट बताए जाते हैं।
यह सही है कि पुणे में महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा कोरोना टेस्ट हो रहे हैं, लेकिन इनकी संख्या राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से कम हैं।
वैज्ञानिक, स्वास्थ्य विभाग और कोरोना से लड़ाई में लगे अन्य अधिकारी निम्नलिखित वजहों को पुणे को सर्वाधिक प्रभावित शहर बनाने की वजह मानते हैं।
कोरोना संकट
संक्रमण का अधिक प्रसार
बीते महीने पुणे के कई इलाकों में हुए सीरोलॉजिकल सर्वे में सामने आया था कि वहां की 50 प्रतिशत से ज्यादा आबादी कोरोना की चपेट में आ चुकी है और उनमें से अधिकतर को इसका पता भी नहीं चला।
वहीं दिल्ली, मुंबई, चेन्नई और अहमदाबाद आदि शहरों में हुए ऐसे सर्वे में सामने आया कि वहां पर कम संख्या में लोग संक्रमित हुए हैं।
दिल्ली और मुंबई में यह आंकड़ा क्रमश: 29 और 40 प्रतिशत था।
जानकारी
पहले से संक्रमित हैं आबादी का बड़ा हिस्सा
इसका मतलब यह हुआ कि पुणे में आबादी का बड़ा हिस्सा पहले ही इस वायरस की चपेट में आ चुका है। अब जैसे-जैसे टेस्टिंग बढ़ रही है, तो उनमें संक्रमण की पुष्टि हो रही है। इस वजह से भी यहां मामले बढ़ रहे हैं।
कोरोना संकट
ज्यादा टेस्टिंग भी है एक वजह
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, पुणे में रोजाना औसतन 13,500-14,500 सैंपल टेस्ट किए जा रहे हैं। इनमें से अधिकतर RT-PCR टेस्ट होते हैं, जिन्हें सबसे ज्यादा भरोसेमंद माना जाता है।
दूसरी तरफ कुछ वैज्ञानिक यह भी कहते हैं कि पुणे पारदर्शी तरीके से कोरोना संक्रमण के मामलों की रिपोर्ट कर रहा है।
अन्य कई शहरों में आंकड़ों को लेकर कुछ हद तक संदेह हैं। इस वजह से भी पुणे में अभी तक ज्यादा मामले दर्ज किए गए हैं।
जानकारी
आइसोलेशन के नियमों का कड़ाई से पालन नहीं
महाराष्ट्र में कोरोना का पहला मामला पुणे में सामने आया था। इसके बाद वायरस ने मुंबई को अपनी चपेट में ले लिया था। जिस तरह मुंबई में जिस तरह कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग और आइसोलेशन पर काम किया गया, पुणे में वह तेजी देखने को नहीं मिली।
पुणे
लॉकडाउन के नियमों का नहीं हुआ कड़ाई से पालन
ये भी कहा जा रहा है कि पुणे में लॉकडाउन का कड़ाई से पालन नहीं किाय गया और न ही यहां पर दो गज की दूरी को लेकर सावधानी बरती गई।
इसे इस बात से समझा जा सकता है कि महाराष्ट्र में पुणे ऐसा शहर है, जहां सबसे ज्यादा लोगों पर मास्क न पहनने और दूसरे नियमों का पालन न करने के कारण जुर्माना लगाया गया है।
यहां लॉकडाउन के बावजूद संक्रमण की रफ्तार पर असर नहीं पड़ा था।