कोरोना वायरस: इलाज के सिलसिले में बड़ी कामयाबी, पुणे की लैब में कैंडिडेट वैक्सीन तैयार
चीन से शुरू हुए कोरोना वायरस (COVID-19) के इलाज के सिलसिले में बड़ी कामयाबी मिली है। पुणे के सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) और अमेरिकी बायोटेक्नोलॉजी कंपनी कोडाजेनिक्स (Codagenix) ने मिलकर एक ऐसी कैंडिडेट वैक्सीन तैयार की है जो कोरोना वायरस से लड़ने में काम आ सकती है। फिलहाल इसका प्री-क्लिनिकल ट्रायल होगा और माना जा रहा है कि अगले छह महीनों में इंसानों पर भी इसका ट्रायल किया जा सकता है। आइये, इस बारे में विस्तार से जानते हैं।
अभी तक नहीं मिला है कोरोना वायरस का इलाज
अभी तक सैंकड़ों लोगों की जान ले चुके कोरोना वायरस का कोई इलाज नहीं मिला है। दुनियाभर में इसका इलाज ढूंढने की कोशिश जारी है। SII और कोडाजेनिक्स द्वारा लैब में तैयार सिंथेटिक-बेस्ड वायरस से बनाई गई वैक्सीन को बड़ी कामयाबी माना जा रहा है क्योंकि यह कोरोना वायरस के खिलाफ शील्ड तैयार करने में लगने वाले समय को बहुत कम कर देगी। पशुओं पर इसका ट्रायल एक महीने में शुरू हो जाएगा।
छह महीनों में शुरू हो सकता है इंसानों पर ट्रायल- पूनावाला
TOI से बात करते हुए उद्योगपति और SII के CEO आदर पूनावाला ने बताया, "परंपरागत तरीके से वैक्सीन को इस्तेमाल लायक तैयार करने में 7-8 साल लगते हैं। हम हमारे अमेरिकी सहयोगी के लिए वैक्सीन विकसित करने के लिए पहले ही इससे आगे निकल गए हैं। हमारा वैक्सीन-वायरस स्ट्रेन असली वायरस से मिलता-जुलता है और यह शानदार प्रतिरोधक प्रतिक्रिया पैदा कर सकता है। हम छह महीने में इस वैक्सीन इंसानों पर ट्रायल करने के लायक बना लेंगे।"
2022 तक बाजार में आ सकती है वैक्सीन
पशुओं और चूहों आदि पर परीक्षण के बाद इसके डाटा लेकर इंसानी परीक्षण के लिए सरकार के पास जमा किए जाएंगे। यहां से अनुमति मिलने के बाद इंसानों पर इसका ट्रायल किया जाएगा। पूनावाला ने बताया, "स्वास्थ्य मंत्रालय से अनुमति मिलने के बाद इंसानी ट्रायल में एक साल लगेगा। उम्मीद है कि 2022 तक यह बाजार में उपलब्ध हो जाएगी। किसी महामारी का सामना करने में यह भारत की क्षमता दिखाता है।"
250-300 करोड़ रुपये है प्रोजेक्ट की लागत
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के वरिष्ठ वैज्ञानिक गंगाखेदकर ने कहा, "यह बात सुनने में काफी उत्साहित करने वाली है। अगर यह काम कर जाती है तो शानदार होगा, लेकिन अभी इसे कई ट्रायल से गुजरना है।" वैक्सीन के लिए SII और कोडाजेनिक्स के बीच चल रहे प्रोजेक्ट पर 250-300 करोड़ रुपये का खर्च आने का अनुमान है। माना जा रहा है कि चीन में इस वैक्सीन का क्लिनिक ट्रायल किया जा सकता है।
क्या है कोरोना वायरस?
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार कोरोना वायरस एक वायरस परिवार है। इससे पीड़ित होने पर जुकाम, सांस लेने में परेशानी और किडनी फेल होने से मौत तक हो सकती है। यह वायरस पशुओं के जरिए इंसानों में फैलता है। पीड़ित व्यक्ति के संपर्क में आने पर दूसरा व्यक्ति भी इससे संक्रमित हो जाता है। अभी तक इसका उपचार नहीं ढूंढा जा सका है। केवल लक्षणों के आधार पर पीड़ित व्यक्ति का इलाज किया जा सकता है।
WHO ने दिया COVID-19 नाम
वायरस के बढ़ते प्रकोप के बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इस वायरस को COVID-19 नाम दिया है। इसमें 'CO' को कोरोना, 'VI' को वायरस 'D' को डिजीज और 19 को वायरस की शुरुआत के साल (2019) के लिए इस्तेमाल किया गया है।
चीन में मरने वालों की संख्या 1,868 पहुंची
हुबेई प्रांत की राजधानी वुहान से शुरू हुए कोरोना वायरस से सोमवार तक चीन में 1,868 लोगों की मौत हो गई है। सोमवार को हुबेई में 93 और दूसरे हिस्सों में पांच मौतें हुईं। वुहान वुचांग अस्पताल के डायरेक्टर लिऊ झिमिंग की भी इस बीमारी से मौत हो गई। चीनी सरकार ने जानकारी दी है कि सोमवार को देशभर में वायरस के 1,886 नए मामले सामने आए, जिसके बाद वायरस से संक्रमित कुल लोगों की संख्या 72,436 पहुंच गई है।
ये हैं कोरोना वायरस के लक्षण और बचाव
इस वायरस से संक्रमित होने पर सबसे पहले बुखार की शिकायत होती है। उसके बाद खांसी और सांस लेने में परेशानी होने लगती है। यह छूने, हाथ मिलाने, खांसने और छींकने से हवा में फैलता है और दूसरे व्यक्ति को अपनी चपेट में ले लेता है। इससे बचने के लिए अपने हाथों को साफ रखें, बीमार व्यक्ति के पास जाने से बचें, खांसते या छींकते समय मुंह पर मास्क रखें और बीमार होने पर घर से बाहर निकलने से बचें।