किसान आंदोलन: गंदगी के कारण बिगड़ रहे सिंघु बॉर्डर के हालात, बीमारियों की चपेट में किसान
नए कृषि कानूनों सहित अन्य मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे किसान गत 25 नवंबर से कड़ाके ठंड में भी सिंघु बॉर्डर (दिल्ली-हरियाणा बॉर्डर) पर डटे हुए हैं। किसानों का कहना है कि वह नए कानूनों के वापस लिए जाने तक वहां से नहीं हटेंगे। इसी बीच सिंघु बॉर्डर पर व्याप्त गंदगी किसानों के लिए बीमारी का घर बन गई है। TOI के अनुसार गंदगी के कारण किसानों को त्वचा की एलर्जी और दस्त जैसी शिकायत हो रही है।
सरकार से कृषि कानूनों को निरस्त कराने के लिए प्रदर्शन कर रहे हैं किसान
किसान नए कृषि कानूनों को निरस्त कराने के लिए पिछले 25 नवंबर से गर्म कपड़ों और महीनों के राशन के साथ दिल्ली की सीमा पर डेरा डाले हुए हैं। सरकार और किसानों के बीच पांच दौर की वार्ता के बाद भी समाधान नहीं निकला है और बुधवार को छठे दौर की वार्ता निर्धारित है। सरकार किसानों को MSP पर लिखित आश्वासन देने के लिए तैयार है, लेकिन किसान तीनों कानूनों को निरस्त कराने की मांग पर अड़े हुए हैं।
सिंघु बॉर्डर पर शौचालयों की कमी और गंदगी के ढेरों से बढ़ी परेशानी
वर्तमान में सिंघु बॉर्डर पर किसानों के लिए परेशानियां बढ़ती जा रही है। वहां पर किसानों के लिए पर्याप्त शौचालयों की कमी है और सड़कों पर कचरे की ढेर लगे हुए हैं। हालांकि, किसान और अन्य कार्यकर्ता प्रतिदिन कचरे की सफाई करते हैं, लेकिन दर्जनों लंगरों के कारण शाम होने तक वहां काफी मात्रा में कचरा एकत्र हो जाता है। कुछ स्थानीय लोगों ने किसानों के लिए शौचालय खोल रखे हैं, लेकिन वह सभी किसानों के लिए पर्याप्त नहीं है।
त्वचा की एलर्जी से पीड़ित हैं कई किसान
गैर सरकारी संगठन के साथ काम करने वाली और पिछले एक सप्ताह में सिंघु बॉर्डर पर तैनात डॉ दविंदर कौर ने बताया कि प्रतिदिन उनके पास करीब 500 किसान अपनी समस्याएं लेकर आ रहे हैं। उन्होंने बताया कि अधिकतर किसानों को त्वचा की एलर्जी, खुजली और फंगल संक्रमण की शिकायत है। यह गंदगी और सामूहिक भीड़ के कारण हो रही है। इसके अलावा किसानों को उल्टी, कब्ज, दस्त आदि बीमारियां भी हो रही हैं।
स्थान और भोजन के बदलाव से प्रभावित हुआ किसानों का स्वास्थ्य
पटियाला के एक अन्य डॉक्टर हरमनप्रीत सिंह ने सैकड़ों किसानों को एक जगह जमा होने से त्वचा की एलर्जी और फंगल संक्रमण फैल रहा है। इसके अलावा स्थान, भोजन और मौसम के परिवर्तन ने भी प्रदर्शनकारी किसानों के स्वास्थ्य को खासा प्रभावित किया है। उन्होंने कहा कि किसानों के असहज रूप से सोने के कारण उन्हें बदन दर्द की शिकायत हो रही है। हालांकि, अभी तक किसी के कोरोना के लक्षण की शिकायत नहीं हुई है।
दो लोगों की मौत होने के बाद भी पीछे नहीं हट रहे किसान
जीरकपुर के डॉ जितेंद्र शर्मा ने बताया कि कई किसान मधुमेह और उच्च रक्तचाप से पीड़ित हैं और उनसे दवाइयों के लिए संपर्क कर रहे हैं। कथित तौर पर, अब तक दो किसानों की मौत हो चुकी है। इसके बाद भी किसानों ने कृषि कानूनों को निरस्त किए जाने तक धरना स्थल पर डटे रहने का निर्णय किया है। इससे पहले, केंद्र ने किसानों को बुराडी में प्रदर्शन के लिए कहा था, लेकिन उन्होंने प्रस्ताव को ठुकरा दिया।
किसानों ने मंगलवार सुबह 11 से दोपहर 3 बजे तक किया है 'भारत बंद' का आह्वान
बता दें कि कृषि कानूनों के विरोध में सितंबर से आंदोलनरत किसानों ने मंगलवार को सुबह 11 से दोपहर 3 बजे तक शांतिपूर्ण भारत बंद का आह्वान किया है। इसमें किसानों को विभिन्न राजनीतिक दलों सहित कई ट्रांसपोर्ट यूनियनों का समर्थन भी मिला है। किसानों की मांग है कि सरकार तीनों कृषि कानूनों को वापस ले, जबकि सरकार उनमें संशोधन करने के लिए तैयार है। किसानों ने गत 25 नवंबर से दिल्ली की सीमाओं पर डेरा जमा रखा है।