देश में हो रहे एक लाख से ज्यादा COVID-19 टेस्ट, सरकारी लैब्स का योगदान 80 प्रतिशत
क्या है खबर?
कोरोना वायरस (COVID-19) संकट के बीच भारत बीते कुछ दिनों में रोज होने वाले टेस्ट की संख्या तीन गुना बढ़ाकर रोजाना एक लाख से ज्यादा कर चुका है। अब लक्ष्य टेस्ट की संख्या दो लाख प्रतिदिन ले जाना है।
अभी तक हो रहे टेस्ट में से लगभग 80 फीसदी सरकारी लैब्स में हो रहे हैं।
वहीं टेस्ट करने की अनुमति के लिए लंबी लड़ाई लड़ने वाली प्राइवेट लैब्स रोजाना की संख्या में लगभग 20 प्रतिशत योगदान दे रही हैं।
कोरोना वायरस
ये है सरकारी और प्राइवेट लैब्स में हो रही टेस्टिंग से जुड़े आंकड़े
16 अप्रैल को देश की सरकारी लैब्स में 23,932 टेस्ट हुए थे। 23 मई को यह संख्या 270 प्रतिशत बढ़कर 88,497 पर पहुंच गई।
वहीं दूसरी तरफ 16 अप्रैल को प्राइवेट लैब्स में 4,408 टेस्ट हुए थे, जबकि 23 मई को यह संख्या 21,450 पर पहुंची।
इनकी तुलना करें तो 16 अप्रैल को देश में हुए कुल टेस्ट में से 15 प्रतिशत प्राइवेट लैब्स ने किए थे, जबकि 23 मई को इनका योगदान 19 प्रतिशत रहा।
संसाधन
प्राइवेट लैब्स के पास है टेस्टिंग का 30 प्रतिशत इंफ्रास्ट्रक्चर
देश में कोरोना वायरस टेस्ट का 30 प्रतिशत इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट सेक्टर के पास है।
इसके बावजूद प्राइवेट लैब्स में होने वाले टेस्ट की संख्या अभी तक 20 प्रतिशत से ऊपर नहीं बढ़ पाई है। देश में 178 प्राइवेट लैब और 431 सरकारी लैब्स में ये टेस्ट हो रहे हैं।
प्राइवेट लैब्स में टेस्ट की फीस का मामला सुप्रीम कोर्ट में भी पहुंचा था। कोर्ट ने इन लैब्स में टेस्टिंग की फीस 4,500 रुपये तय की थी।
बयान
टेस्टिंग की संख्या दो लाख रोजाना ले जाने का लक्ष्य
केंद्र सरकार ने सोमवार को बयान जारी कर कहा कि देश में 1.1 लाख सैंपल टेस्ट किए जा रहे हैं और रोजाना 1.4 लाख टेस्ट की क्षमता है। इसे दो लाख प्रतिदिन तक किया जाएगा। किसी भी राज्य में सैंपल का बड़ा बैकलॉग नहीं है।
बयान में कहा गया कि टेस्टिंग के लिए और लैब्स तैयार की जा रही है। उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और बिहार जैसे राज्यों में संभावित जरूरत को देखते हुए अतिरिक्त मशीनें भेजी जा रही हैं।
बयान
प्राइवेट लैब्स ने बताई अपनी सीमाएं
जब प्राइवेट लैब्स में कम टेस्टिंग के बारे में पूछा गया तो डॉक्टर डांग लैब के CEO अर्जुन डांग ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, "सभी प्राइवेट लैब COVID-19 टेस्ट के लिए भरसक प्रयास कर रहे हैं। प्राइवेट लैब्स के पास स्पेशल और बहुत महंगी मशीनों, कुशल कर्मियों और जगह की कमी है। इसलिए सरकारी और प्राइवेट लैब्स की तुलना ठीक नहीं है। बिजनेस में बने रहने के लिए लैब के सामान्य काम भी जरूरी है, जो इन दिनों मंदे हैं।"
बयान
"COVID-19 टेस्टिंग के कारण लैब में नहीं आते बाकी लोग"
डांग ने आगे कहा, "हम संक्रमण रोकने के लिए सभी प्रयास करते हैं, लेकिन अभी भी COVID-19 टेस्टिंग के प्रति लोगों के मन में शंका हैं। हम ड्राइव-थ्रू और घरों से सैंपल लेने की कोशिश करते हैं। इसमें काफी मेहनत और संसाधन लगते हैं।"
वहीं कई प्राइवेट लैब्स ने मशीनों की ज्यादा लागत और COVID-19 की टेस्टिंग के कारण दूसरे ग्राहकों के लैब में न आने पर भी चिंता व्यक्त की है।