क्या है भारत, चीन और नेपाल सीमा पर स्थित लिपुलेख दर्रा का विवाद?
भारत के उत्तराखंड स्थित लिपुलेख दर्रा तक सड़क बनाने पर पड़ोसी देश नेपाल ने आपत्ति दर्ज कराई है और नेपाल में इसका जबरदस्त विरोध हो रहा है। जबाव में भारतीय सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने कहा कि हो सकता है नेपाल "किसी और के इशारे" पर ऐसा कर रहा है। उनका इशारा चीन की तरफ था। उन्होंने चीन की तरफ इशारा क्यों किया और ये पूरा विवाद क्या है, आइए आपको बताते हैं।
नेपाल, चीन और भारत की सीमा के बीच स्थित है लिपुलेख
17,060 फुट की ऊंचा पर स्थित लिपुलेख दर्रा भारत, नेपाल और चीन की सीमा के बीच स्थित है। इसके ऊपर चीन (तिब्बत) है, दक्षिण-पूर्व में नेपाल है और उत्तर-पश्चिम में भारत है। इस लिहाज से इसकी रणनीतिक अहमियत भी बहुत है। इस दर्रे से भारत और चीन के बीच स्थानीय व्यापार भी होता है और ये दोनों देशों के बीच सबसे पुरानी ट्रेडिंग पोस्ट है। इस व्यापार पर नेपाल कई बार विरोध जता चुका है।
अभी क्यों उठा है विवाद?
अभी भारत ने उत्तराखंड के घटियाबगढ़ से लिपुलेख दर्रा तक 80 किलोमीटर की सड़क बनाई है। इस सड़क से तिब्बत स्थिति कैलाश मानसरोवर की यात्रा पर जाने वाले भारतीय तीर्थयात्रियों के लिए रास्ता छोटा होगा। अभी तक भारतीय तीर्थयात्री सिक्कम और नेपाल से होकर जाने वाले दो रास्तों से ये यात्रा करते थे और उन्हें 80 प्रतिशत यात्रा चीन की जमीन पर करनी पड़ती थी। अब वे 80 प्रतिशत यात्रा भारत की जमीन पर करेंगे।
लिपुलेख को अपनी सीमा का हिस्सा मानता है नेपाल
भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने हाल ही में इस सड़क का उद्घाटन किया था जिसके बाद नेपाल ने इस पर विरोध दर्ज कराया है। दरअसल, नेपाल लिपुलेख दर्रा को अपनी सीमा का हिस्सा मानता है। उसका कहना है कि सड़क बनाने का भारत का फैसला एकतरफा है और प्रधानमंत्री के स्तर पर सीमा विवाद सुलझाने की भावना के खिलाफ जाता है। नेपाल पहले भी अन्य कई अवसरों पर लिपुलेख में भारतीय गतिविधियों पर विरोध दर्ज करा चुका है।
1816 की संधि से निर्धारित होती है भारत-नेपाल सीमा
भारत और नेपाल के बीच 1816 की 'सुगौली संधि' के तहत सीमा निर्धारित की गई है, जिसमें कहा गया है महाकाली नदी के पश्चिम में स्थित पूरा हिस्सा भारत का है, वहीं पूर्व का हिस्सा नेपाल में आता है।
इसलिए है सीमा की स्थिति पर विवाद
विवाद इस बात को लेकर है कि महाकाली नदी कहां से शुरू होती है। दरअसल, महाकाली नदी दो धाराओं से मिलकर बनती है। एक धारा लिपुलेख के उत्तर-पश्चिम में स्थित लिम्पियाधुरा से निकलती है, वहीं दूसरी धारा लिपुलेख के दक्षिण से निकलती है। नेपाल लिम्पियाधुरा से निकलने वाली धारा को महाकाली नदी का स्त्रोत मानता है और कालापानी, लिम्पियाधुरा और लिपुलेख को अपना हिस्सा बताता है। वहीं भारत लिपुलेख के दक्षिण से निकलने वाली धारा को इसकी मुख्यधारा मानता है।
क्यों रणनीतिक तौर पर महत्वपूर्ण है लिपुलेख दर्रा?
अब लिपुलेख के रणनीतिक महत्व की बात करते हैं। चीनी सीमा के पास मौजूद होने के कारण ये और इस पर बनाई गई सड़क भारत को रणनीतिक लाभ प्रदान करती हैं। यहां से चीन पर आसानी से नजर रखी जा सकती है। भारत-चीन सीमा के पास सड़क बनाना भारत की एक अहम रणनीति रही है और ये सड़क उसी का हिस्सा है। भारत के पड़ोस में चीन के बढ़ते दबदबे के कारण इस जगह की अहमियत और बढ़ गई है।
क्या चीन के इशारों पर खेल रहा है नेपाल?
चीन ने आधिकारिक तौर पर लिपुलेख तक भारत की सड़क पर कुछ नहीं कहा है, लेकिन ये लद्दाख में भारत के ऐसी ही सड़कें बनाने पर विरोध जताता रहा है। हाल ही में चीन ने भारत के साथ सीमा पर आक्रामक रुख अपनाया है और इस बीच कुछ दिनों में दोनों देशों के सैनिकों के बीच झड़प हुई है। इसी कारण आशंका जताई जा रही है कि चीन ने ही नेपाल को उकसाया है।