विरोध के बीच प्रधानमंत्री ने किया कृषि कानूनों का बचाव, कहा- हमारा इरादा गंगा जैसा पवित्र
नए कृषि कानूनों को पंजाब और हरियाणा के किसान जमकर विरोध कर रहे हैं और सिंघु बॉर्डर (दिल्ली-हरियाणा बॉर्डर) पर ही डटे हुए हैं। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह विरोध को खत्म कराने के लिए हर जुगत बैठाने में जुटे हैं और लगातार मंत्रियों के साथ बैठक कर रहे हैं। इसी बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर से कृषि कानूनों का बचाव करते हुए कहा कि इनमें किसानों को नए विकल्प और नए कानूनी संरक्षण दिए गए हैं।
कृषि सुधारों को लेकर किसानों में फैलाया जा रहा है भ्रम- मोदी
प्रधानमंत्री मोदी ने वाराणसी-प्रयागराज राजमार्ग के छह लेन के लोकार्पण कार्यक्रम में कहा कि नए कृषि कानूनों को लेकर किसानों में भ्रम फैलाया जा रहा है। सरकार पर उद्योगपतियों को लाभ पहुंचाने के लिए कृषि कानून बनाए जाने के आरोपों पर प्रधानमंत्री ने कहा कि वह गंगा के तट पर खड़े होकर भरोसा दिलाना चाहते हैं कि वह छल के इरादे से काम नहीं कर रहे हैं। केंद्र सरकार का इरादा गंगा के जल के तरह पवित्र है ।
नहीं खत्म होगी पुरानी व्यवस्था- मोदी
प्रधानमंत्री ने कहा कि यदि कोई सोचता है कि पुरानी व्यवस्था बेहतर थी तो नए कानून उस व्यवस्था को समाप्त नहीं करते हैं। उन्होंने किसानों को आश्वस्त करने के लिए कहा कि नई खुली बाजार प्रणाली का मतलब पारंपरिक मंडियों और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को बंद करना नहीं है। उन्होंने कहा कि कृषि सुधारों से किसानों को नए विकल्प और कानूनी संरक्षण मिला हैं। अब छोटा किसान भी मंडी से बाहर हुए सौदे पर कानूनी कार्रवाई कर सकता है।
फैसले नहीं बल्कि आशंकाओं को बनाया जा रहा है विरोध का आधार- मोदी
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि अब विरोध का आधार फैसला नहीं बल्कि आशंकाओं को बनाया जा रहा है। कहा जाता है फैसला तो ठीक है, लेकिन आगे चलकर ऐसा हो सकता है। ये वही लोग हैं जिन्होंने दशकों तक किसानों के साथ लगातार छल किया है। उन्होंने कहा कि यदि मंडियों और MSP को ही हटाना था, तो किसानों ताकत देने पर इतना निवेश क्यों करते? उनकी सरकार तो मंडियों को आधुनिक बनाने के लिए करोड़ों खर्च कर रही है।
कुछ लोगों के लिए झूठ फैलाना बन चुका है मजबूरी- मोदी
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि दो बातें स्वभाविक हैं। पहली यह कि किसान यदि सरकारों की बातों से आशंकित रहता है तो उसके पीछे दशकों का इतिहास है। दूसरी यह कि जिन्होंने वादे तोड़े, छल किया, उनके लिए झूठ फैलाना मजबूरी बन चुका है।
प्रधानमंत्री ने मन की बात कार्यक्रम में भी किया था कानूनों का बचाव
प्रधानमंत्री ने 'मन की बात' कार्यक्रम में भी कृषि कानूनों का बचाव किया था। उन्होंने कहा था कि कृषि कानूनों ने किसानों के लिए नई संभावनाओं के द्वार खोले हैं। उन्होंने महाराष्ट्र के धुले के किसान जीतेंद्र भोइजी का उदाहरण देते हुए कहा कि व्यापारी ने उनके फसल का पूरा भुगतान नहीं किया था। ऐसे में कृषि कानून से उनका भुगतान मिल गया। उन्होंने कहा कि नए कानूनों के तहत एक महीने में किसानों की शिकायत का निपटारा किया जाएगा।
किसानों ने दी दिल्ली का घेराव करने की धमकी
बता दें कि सिंघु बॉर्डर पर जमे किसानों ने रविवार को गृह मंत्री अमित शाह के बुराडी पहुंचने पर वार्ता किए जाने के प्रस्ताव को ठुकरा दिया था। उन्होंने बुराडी को खुली जेल बताते हुए वहां जाने से इनकार दिया और सरकार को सोनीपत, रोहतक, जयपुर, गाजियाबाद-हापुड़ और मथुरा से आने वाले रास्तों को अवरुद्ध कर दिल्ली का घेराव करने की चेतावनी दी है। इसको लेकर गृहमंत्री शाह प्रमुख मंत्रियों के साथ कई अहम बैठके भी कर चुके हैं।
केंद्र सरकार के खिलाफ इसलिए प्रदर्शन कर रहे हैं किसान
केंद्र सरकार की ओर लोकसभा के मानसून सत्र में पारित कर बनाए गए तीन कृषि कानूनों को लेकर पंजाब और हरियाणा के किसान बड़े पैमाने पर प्रदर्शन कर रहे हैं। इन कानूनों पर केंद्र सरकार का कहना है कि इनसे किसानों की परेशानियां खत्म होगी और वह कहीं भी अपनी फसल बेच सकेंगे। इधर, किसानों का कहना है कि कानून उन्हें बड़े व्यापारियों का गुलाम बना देंगे और उन्हें न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) भी नहीं मिलेगा।