राष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदान आज, मुर्मू और सिन्हा के बीच है मुकाबला
देश के 15वें राष्ट्रपति के चुनाव के लिए आज मतदान होगा और 21 जुलाई को नतीजे घोषित होंगे। इस चुनाव में भाजपा के नेतृत्व वाले NDA ने द्रौपदी मुर्मू तो विपक्ष ने यशवंत सिन्हा को अपना उम्मीदवार घोषित किया है। देश के करीब 4,800 सांसद और विधायक राष्ट्रपति चुनाव के लिए आज वोट डालेंगे। हालांकि, विपक्ष में बिखराव को देखते हुए मुर्मू की राह आसान लग रही है, लेकिन सिन्हा उन्हें कड़ी टक्कर दे सकते हैं।
संसद और विधानसभाओं में होगा मतदान
राष्ट्रपति चुनाव के लिए संसद और राज्यों की विधानसभाओं में मतदान होगा। 21 जुलाई को संसद में मतगणना होगी और 25 जुलाई को देश का अगला राष्ट्रपति पद की शपथ लेगा। रविवार को कई राज्यों में मॉक पोलिंग के जरिये विधायकों को मतदान का प्रशिक्षण दिया गया था। चुनाव की पूर्व संध्या पर विपक्षी सांसदों और विधायकों को भेजे पत्र में सिन्हा ने उनसे अंतरात्मा की आवाज पर वोट देने की अपील की है।
किस उम्मीदवार का समर्थन कर रही कौन सी पार्टी?
भाजपा और उसके सहयोगी पार्टियों द्वारा समर्थित द्रौपदी मुर्मू को NDA से बाहर की पार्टियों का भी समर्थन मिला है। शिवसेना, झारखंड मुक्ति मोर्चा, शिरोमणि अकाली दल, तेलुगू देशम पार्टी, बसपा, AIADMK, YSR कांग्रेस और बीजू जनता दल समेत कई क्षेत्रीय पार्टियां मुर्मू का समर्थन कर रही हैं। दूसरी तरफ यशवंत सिन्हा को कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, तृणमूल कांग्रेस, सपा, राष्ट्रीय जनता दल, आम आदमी पार्टी, तेलंगाना राष्ट्र समिति समेत कई पार्टियों ने समर्थन दिया है।
पहली आदिवासी राष्ट्रपति बन सकती हैं मुर्मू
NDA और गैर-NDA पार्टियों के समर्थन के चलते मुर्मू का वोट शेयर करीब 60 प्रतिशत पहुंच सकता है। अगर वो चुनी जाती हैं तो देश की पहली आदिवासी राष्ट्रपति होंगी।
कौन हैं द्रौपदी मुर्मू?
20 जून, 1958 को ओडिशा के मयूरभंज जिले में जन्मीं द्रौपदी मुर्मू आदिवासी समुदाय से आती हैं। भुवनेश्वर के रमादेवी महिला कॉलेज से ग्रेजुएशन करने के बाद उन्होंने ओडिशा सरकार में क्लर्क के तौर पर अपने करियर की शुरूआत की। वह राज्य के सिंचाई और ऊर्जा विभाग में जूनियर सहायक के तौर पर कार्यरत रही थीं। वह राज्य सरकार में मंत्री भी रह चुकी हैं। मुर्मू 18 मई, 2015 को झारखंड की पहली महिला राज्यपाल बनी थीं।
कौन हैं यशवंत सिन्हा?
यशवंत सिन्हा का जन्म 6 नवंबर, 1937 को पटना के एक मध्यवर्गीय परिवार में हुआ था। उन्होंने 1958 में पटना यूनिवर्सिटी से राजनीतिक विज्ञान में पोस्ट-ग्रेजुएशन किया और दो साल बाद सिविल सेवा परीक्षा पास करके IAS बन गए। सिन्हा ने 26 साल तक IAS के पद पर अपनी सेवाएं दीं और बिहार और दिल्ली में कई अहम पदों पर कार्यरत रहे। 1984 में नौकरी छोड़कर जयप्रकाश के मार्गदर्शन में खड़ी हुई जनता पार्टी में शामिल हो गए।
राष्ट्रपति चुनाव में केवल सांसद और विधायक करते हैं मतदान
राष्ट्रपति चुनाव में इलेक्टोरल कॉलेज के सदस्य वोट डालते हैं। इन सभी के वोट का मूल्य अलग-अलग होता है। यहां तक कि अलग-अलग राज्य के विधायकों के वोट का मूल्य भी अलग होता है। एक सांसद के वोट का मूल्य 708 होता है। वहीं, विधायकों के वोट का मूल्य उस राज्य की आबादी (1971 की जनगणना के आधार पर) और सीटों की संख्या पर निर्भर होता है। ऐसे में सभी राज्यों के विधायकों के वोट का मूल्य अलग-अलग होता है।
ऐसे निकाला जाता है विधायक के वोट का मूल्य
विधायक के वोट का मूल्य निकालने के लिए संबंधित राज्य की कुल विधानसभा सीटों को 1,000 से गुणा करके गुणनफल का राज्य की कुल आबादी में भाग दिया जाता है। जैसे, उत्तर प्रदेश की 403 विधानसभा सीटों को 1,000 से गुणा करने पर 4,03,000 गुणनफल आता है। इसका राज्य की 1971 की आबादी 8,38,49,905 में भाग देने पर एक विधायक के वोट का मूल्य 208.06 आता है। दशमलव में वोट का मूल्य न होने पर इसे 208 किया जाएगा।