राष्ट्रपति चुनाव: यशवंत सिन्हा और द्रौपदी मुर्मू में से किसका पलड़ा है भारी?
राष्ट्रपति चुनाव की तरीख नजदीक आने के साथ इसकी सरगर्मी तेज हो गई है। मंगलवार को विपक्षी पार्टियों ने तृणमूल कांग्रेस (TMC) नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा हो अपना संयुक्त उम्मीदवार घोषित किया है। इसी तरह भाजपा की अगुवाई वाले राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन (NDA) ने झारखंड की पूर्व राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू को अपना उम्मीदवार घोषित किया है। ऐसे में आइये जानते हैं कि राष्ट्रपति चुनाव में दोनों में से किसका पलड़ा भारी नजर आ रहा है।
पवार और अब्दुल्ला के पीछे हटने के बाद आया सिन्हा का नाम
विपक्ष ने काफी विचार-विमर्श के बाद यशवंत सिन्हा को अपना संयुक्त उम्मीदवार घोषित किया है। विपक्ष ने पहले राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) प्रमुख शरद पवार का नाम सुझाया था, लेकिन उन्होंने अपना नाम वापस ले लिया। उसके बाद TMC प्रमुख ममता बनर्जी ने नेशनल कांफ्रेंस प्रमुख फारूक अब्दुल्ला और गोपालकृष्ण गांधी का नाम सुझाया, लेकिन अब्दुल्ला ने भी अपना नाम वापस ले लिया। उसके बाद बनर्जी ने सिन्हा का नाम आगे किया और उस पर संयुक्त सहमति बन गई।
सिन्हा ने 1984 में किया था राजनीति में प्रवेश
सिन्हा 1984 में भारतीय प्रशासनिक सेवा से इस्तीफा देकर राजनीति में आए थे। वह 1986 में जनता पार्टी के अखिल भारतीय महासचिव बने और दो साल बाद सांसद बनकर राज्यसभा पहुंचे। बाद में वो भाजपा में शामिल हुए और 1996 में पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता बने थे। साल 2018 में लंबी नाराजगी के बाद वह भाजपा से अलग हो गए और पिछले साल मार्च में पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव से पहले ममता बनर्जी की TMC का दामन थाम लिया था।
कई अहम पदों पर रह चुके हैं सिन्हा
IAS अधिकारी रह चुके सिन्हा पहली बार 1998 में पहली बार लोकसभा सांसद बने थे। वो अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में वित्त मंत्री और विदेश मंत्री रहे थे। इससे पहले वो पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर की 1990-1991 तक चली सरकार में भी वित्त मंत्री थे।
मुर्मू को उम्मीदवार बनाकर NDA ने खेला बड़ा दाव
विपक्ष के उम्मीदवार की घोषणा करने के कुछ देर बाद ही NDA ने झारखंड की पूर्व राज्यपाल और ओडिशा की आदिवासी नेता द्रौपदी मुर्मू को अपना उम्मीदवार बनाकर बड़ा दाव खेल दिया। उनके नाम के ऐलान के बाद प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि मुर्मू एक महान राष्ट्रपति होंगी। उन्होंने अपना जीवन हाशिए पर रहने वालों के लिए समर्पित किया है। ऐसे में यदि वह जीत हासिल करती है तो ओडिशा से जन्मी पहली राष्ट्रपति होंगी।
मुर्मू ने पार्षद के तौर पर की राजनीतिक करियर की शुरूआत
ओडिशा के मयूरभंज जिले में जन्मी मुर्मू आदिवासी समुदाय से आती हैं। भुवनेश्वर के रमादेवी महिला कॉलेज से स्नातक के बाद उन्होंने क्लर्क के तौर पर करियर शुरू किया था। उसके बाद वह शिक्षक बन गईं। उन्होंने 1997 में रायरंगपुर नगर पंचायत के पार्षद के तौर पर अपने राजनीतिक शुरूआत की और इस नगर पंचायत की उपाध्यक्ष भी रहीं। इसके बाद वह 2000 और 2009 में दो बार भाजपा के टिकट पर रायरंगपुर सीट से विधायक चुनी गईं।
2015 में बनीं झारखंड की पहली महिला राज्यपाल
मुर्मू को 18 मई, 2015 को झारखंड का राज्यपाल नियुक्त किया गया था और वह छह साल से अधिक समय तक इस पद पर रहीं। वह झारखंड की पहली महिला राज्यपाल थीं। राज्यपाल बनने के बाद ही वह भाजपा की सक्रिय राजनीति से दूर हैं।
कष्टों से भरा रहा मुर्मू का जीवन, पति और दो बेटों की असमय मौत
मुर्मू का निजी जीवन बेहद संघर्षों से भरा रहा है। उनकी शादी श्याम चरण मुर्मू से हुई थी, लेकिन कम उम्र में ही उनका निधन हो गया। दोनों की तीन संतानें थीं, लेकिन इनमें से भी दो बेटों का असमय निधन हो गया। अभी मुर्मू की केवल एक बेटी जिंदा है। 2009 के हलफनामे के अनुसार, उनके पास कोई कार नहीं थी और कुल जमापूंजी नौ लाख रुपये थी। उन पर चार लाख रुपये कर्ज भी था।
राष्ट्रपति चुनाव में क्या है वोटों का गणित?
आंकड़ों पर गौर करें तो राष्ट्रपति चुनाव में वोट डालने वाले लोकसभा और राज्यसभा के सभी निर्वाचित सांसदों और सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली और पुडुचेरी की विधानसभाओं के विधायकों के वोटों का मूल्य 10.79 लाख होगा। ऐसे में किसी भी उम्मीदवार को चुनाव जीतने के लिए आधे यानी 5,39,500 मूल्य के वोटों आवश्यकता होगी। भाजपा के वर्तमान में 49 प्रतिशत यानी 5.26 लाख वोट हैं। ऐसे में उसे महज 13,000 और वोटों की आवश्यकता है।
दोनों उम्मीदवारों में से किसका पलड़ा है भारी?
चुनाव में NDA उम्मीदवार मुर्मू का दावा अधिक मजबूत नजर आ रहा है। NDA को वोटों की कमी पूरी करने के लिए 45,500 मूल्य से अधिक के वोट रखने वाली आंध्र प्रदेश की YSR-कांग्रेस और 31,000 से ज्यादा मूल्य के वोट वाली ओडिशा की बीजू जनता दल (BJD) के समर्थन की जरूरत होगी। साल 2017 के राष्ट्रपति चुनाव में भी इन दलों के साथ JDU और AIADMK ने भी NDA को अपना समर्थन दिया था।
NDA को BJD से समर्थन मिलने की है पूरी उम्मीद
NDA के मुर्मू को उम्मीदवार घोषित करने के बाद उसे BJD का समर्थन मिलने की पूरी उम्मीद है। इसका कारण है BJD अपने क्षेत्र से पहला राष्ट्रपति बनाने के लिए NDA के साथ मनमुटाव को दूर कर नए सिरे से आगे बढ़ने की उम्मीद है।
अगले महीने है राष्ट्रपति चुनाव
राष्ट्रपति पद के लिए मतदान 18 जुलाई को होगा और अगर जरूरत पड़ी तो 21 जुलाई को मतगणना की जाएगी। 25 जुलाई को देश के 15वें राष्ट्रपति शपथ लेंगे। चुनाव के लिए नामांकन की आखिरी तारीख 29 जून रखी गई है और 30 जून को नामांकन पत्रों की जांच की जाएगी। वहीं नाम वापस लेने की अंतिम तारीख 2 जुलाई होगी। अगर किसी उम्मीदवार के नाम पर सर्वसम्मति नहीं बनती है तो 18 जुलाई को मतदान होगा।