'ब्लैक बजट' से लेकर 'ड्रीम बजट' तक, लंबे समय तक याद रहेंगे ये पांच बजट
आम बजट पेश होने में अब कुछ ही दिन बाकी है। आगामी 1 फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का दूसरा बजट पेश करेंगी। इस मौके पर आज हम आपको आजाद भारत के इतिहास के कुछ ऐसे बजट के बारे के बताने जा रहे हैं, जिन्होंने अर्थव्यवस्था को नया मोड़ दिया और जो लंबे समय तक याद रखे जाएंगे। आइये, ऐसे ही कुछ बजट पर एक नजर डालते हैं।
1950 का बजट, जिसमें हुई योजना आयोग बनाने की बात
28 फरवरी, 1950 को तत्कालीन वित्त मंत्री जॉन मथई ने गणतंत्र भारत का पहला बजट पेश किया था। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के पहले अध्यक्ष और पेशे से अर्थशास्त्री मथई देश के पहले रेलमंत्री भी रहे थे। इस बजट में उन्होंने योजना आयोग की स्थापना की बात की थी। योजना आयोग को देश के विकास के लिए योजनाएं तैयार करने का काम सौंपा गया था। मोदी सरकार के कार्यकाल में नीति आयोग ने इसकी जगह ले ली है।
1973 का 'ब्लैक बजट'
1973 का बजट तत्कालीन वित्त मंत्री यशवंतराव सी च्वहाण ने पेश किया था। उन्होंने बजट में 550 करोड़ रुपये का घाटा दिखाया था और कोयले की खदानों का राष्ट्रीयकरण करने की बात कही थी। ऐसा माना जाता है कि इस फैसले से कोयले के उत्पादन पर बुरा असर पड़ा। कोयला खदानें सरकार के तहत आने से इस क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा का माहौल नहीं रह गया था। उस फैसले के बाद से भारत कोयले का आयात करता आ रहा है।
1991 का बजट, जिसने बदल दी भारतीय अर्थव्यवस्था की सूरत
24 जुलाई, 1991 में तत्कालीन वित्त मंत्री मनमोहन सिंह ने भारतीय अर्थव्यवस्था को दुनिया के लिए खोल दिया था। इस बजट ने भारत की अर्थव्यवस्था की तस्वीर बदली थी। इसके साथ उदारीकरण के रास्ते खुले और लाइसेंस-परमिट राज का दौर खत्म हुआ था। मनमोहन सिंह ने यह बजट पेश करते हुए 18,177 शब्दों का भाषण दिया था, जो अब तक के सबसे लंबे बजट भाषणों में से एक है। इस बजट को लंबे समय तक याद रखा जाएगा।
1997 का 'ड्रीम बजट'
28 फरवरी, 1997 को तत्कालीन वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने बजट पेश किया था। इस बजट को 'ड्रीम बजट' के नाम से जाना जाता है। इसमें देश के इकॉनोमिक रिफॉर्म की खाका तैयार किया गया था। चिदंबरम ने बजट में टैक्स प्रावधान को तीन अलग-अलग स्लैब में बांट दिया था। साथ ही उन्होंने कालेधन के बारे में जानकारी देने के लए वॉलेंटरी डिसक्लोजर ऑफ इनकम स्कीम लॉन्च की। इस बजट के बाद टैक्स कलेक्शन में भारी बढ़ोतरी हुई थी।
मिलेनियम बजट 2000
29 फरवरी, 2000 को तत्कालीन वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा द्वा पेश किए गए बजट को 'मिलेनियम बजट' कहा जाता है। इसमें सॉफ्टवेयर निर्यात से होने वाली आय को टैक्स फ्री किया गया था। साथ ही इसमें सर्व शिक्षा अभियान की शुरुआत की गई थी।
यशवंत सिन्हा का रोलबैक बजट
वित्त वर्ष 2002-03 के लिए तत्कालीन वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा द्वारा पेश किए गए बजट को रोलबैक बजट कहा जाता है। इसमें पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम के तहत मिलने वाले सामानों के दाम बढ़ाए गए थे। इसके अलावा छोटी बचत योजनाओं पर ब्याज दरों और खाद पर मिलने वाली सब्सिडी को कम किया गया था। विपक्ष ने इसे लेकर सरकार पर दबाव बनाया था, जिसके बाद बजट के कई प्रस्तावों को वापस लिया गया। इस कारण इसे रोलबैक बजट कहते हैं।