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    कोलकाता में मिला पोलियो वायरस, क्या इससे देश को चिंतित होने की जरूरत है?
    क्या कोलकाता में पोलियो वायरस का मिलना देश के लिए चिंता का कारण है?

    कोलकाता में मिला पोलियो वायरस, क्या इससे देश को चिंतित होने की जरूरत है?

    लेखन भारत शर्मा
    Jun 18, 2022
    02:41 pm

    क्या है खबर?

    विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की ओर से साल 2014 में भारत को पोलियो मुक्त घोषित करने के आठ साल बाद देश में अब फिर से पोलियो वायरस ने दस्तक दी है।

    WHO की टीम को कोलकाता के छह इलाकों में नाले के पानी में पोलियो वायरस के टाइप-1 का नया वेरिएंट मिला है। इसने चिकित्सा विशेषज्ञों को चिंतित कर दिया है।

    आइये जानते हैं कि क्या पोलियो वायरस का नए वेरिएंट से देश को चिंतित होने की जरूरत है।

    पुष्टि

    कोलकाता के इन इलाकों में मिला पोलियो वायरस

    स्वास्थ्य विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि विभाग की ओर से कोलकाता में विभिन्न इलाकों में नाले के पानी (सीवरेज) का नियमित परीक्षण किया जाता है।

    हाल ही में मेटियाब्रुज, श्यामलाल लेन, वर्ल्ड विजन स्कूल क्षेत्र, धापा लॉकगेट, महेशतला और नारकेलडांगा इलाके में नाले के पानी में पोलियो वायरस के नए वेरिएंट का पता चला है।

    इसके बाद राज्य स्वास्थ्य विभाग के साथ केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और WHO के अधिकारी सक्रिय हो गए हैं।

    जानकारी

    कैसे होता है पोलियो संक्रमण?

    पोलियो संक्रमण पोलियोमेलाइटिस वायरस के कारण होता है। यह एक गंभीर, जानलेवा और अक्षम करने वाली बीमारी है।

    यह वायरस एक व्यक्ति से दूसरे में फैलता है और रीढ़ की हड्डी को संक्रमित कर लकवे का कारण बनता है। संक्रमित लोगों में केवल फ्लू जैसे लक्षण नजर आते हैं।

    हालांकि, 100 मरीजों में से एक में पैराएस्थेसिया (पैरों में पिन चुभने का अहसास), मेनिन्जाइटिस (मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी में संक्रमण) और लकवा जैसे गंभीर लक्षण नजर आते हैं।

    जानकारी

    कुछ मामलों में मौत का कारण भी बनता है पोलियो वायरस

    विशेषज्ञों के अनुसार, पक्षाघात पोलियो का सबसे गंभीर लक्षण है। यह स्थायी विकलांगता और मौत का कारण भी बनता है। यह संक्रमित के गले और आंतों में रहता है। यह मल के संपर्क में आने और संक्रमित व्यक्ति के छींकने या खांसने भी फैलता है।

    प्रकार

    कितने प्रकार के होते हैं पोलियो वायरस?

    पोलियो वायरस के तीन प्रकार (टाइप-1, टाइप-2 और टाइप-3) होते हैं। इस बीमारी से बचने के लिए तीनों प्रकार से बचाव जरूरी है।हालांकि, इसका कोई इलाज नहीं है, लेकिन पोलियो वैक्सीनेशन से इसे फैलने से रोका जा सकता है।

    टाइप-2 को सितंबर 2015 में विश्व स्तर पर समाप्त घोषित कर दिया था। भारत में इसका अंतिम मामला 1999 में मिला था।

    इसी तरह टाइप-3 को अक्टूबर 2019 में समाप्त घोषित किया गया था।

    बचाव

    दो प्रकार की वैक्सीनों से किया जाता है पोलियो से बचाव

    पोलियो वायरस से बचाव के लिए दो प्रकार के वैक्सीनों का इस्तेमाल किया जाता है। इसमें ओरल (मुंह से दी जाने वाली) पोलियो वैक्सीन (OPV) और इंजेक्शन पोलियो वायरस वैक्सीन (IPV) शामिल है।

    बता दें कि पोलियो वायरस का टाइप-3 प्रकार आखिरी बार 2012 में नाइजीरिया में मिला था।

    पाकिस्तान जैसे कुछ देशों में वर्तमान में केवल टाइप 1 वाइल्ड पोलियो वायरस ही पाया जाता है और इसके उपचार फोकस किया जा रहा है।

    वैक्सीनेशन

    भारत में कैसे चलाया जाता है पोलियो वैक्सीनेशन अभियान?

    वेल्लोर में क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज के वरिष्ठ वायरोलॉजिस्ट और पोलियो संबंधित शोध कार्यों से जुड़े डॉ टी जैकब जॉन के अनुसार, भारत में पोलियो वारयस के टाइप-1 के लिए साल में एक बार और टाइप-3 के लिए दो बार पांच साल से कम उम्र के बच्चों के लिए OPV पोलियो वैक्सीनेशन अभियान आयोजित किया जाता है। यह खुराक बच्चों के नियमित वैक्सीनेशन के अलावा होती है।

    हालांकि, उन्होंने OPV वैक्सीन की जगह IPV वैक्सीनेशन की सलाह दी है।

    वायरस

    कोलकाता में कैसे मिला पोलियो वायरस?

    भारत में पोलियो का आखिरी मामला 2011 में पश्चिम बंगाल के हावड़ा में मिला था और 2014 में WHO ने भारत को पोलियो मुक्त घोषित कर दिया था।

    हालांकि, भारत में OPV वैक्सीनेशन के जारी होने से पोलियो संक्रमित बच्चे अपने मल में वायरस का त्याग कर देते हैं।

    इसका खुलासा राष्ट्रीय सार्वजनिक स्वास्थ्य निगरानी कार्यक्रम में सीवरेज लाइनों के पानी की जांच में पोलियो वायरस की पुष्टि होने से हुआ है। पहले भी सीवरेज में वायरस मिल चुके हैं।

    खतरा

    क्या वायरस का मिलना है चिंता की बात?

    बता दें कि भारत में पोलियो वायरस का पता लगाने के लिए हर सप्ताह 13 राज्यों में 58 जगहों पर सीवरेज लाइनों के पानी की जांच की जाती है।

    जांच में CVDVP (वैक्सीनेशन के बाद मल के द्वारा बाहर आया वायरस) या IVDPV (इंजेक्शन द्वारा दी गई पोलियो वैक्सीन के बाद मल के द्वारा वायरस का बाहर आना) मामले सामने आते हैं।

    CVDVP का मामला मिलना इस बात का संकेत है कि यह दूसरे लोगों को संक्रमित कर सकता है।

    तैयारी

    कोलाकाता में 19 जून से चलाया जाएगा विशेष पोलियो वैक्सीनेशन अभियान

    कोलकाता में पोलियो वायरस का नया वेरिएंट सामने आने के बाद राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने 19 जून से विशेष पोलियो वैक्सीनेशन अभियान चलाने का निर्णय किया है।

    इसके तहत हावड़ा, हुगली, दक्षिण 24 परगना, उत्तर 24 परगना, उत्तर दिनाजपुर, मालदा और मुर्शिदाबाद में बच्चों को पोलियो की खुराक पिलाई जाएगी।

    इसके अलावा सभी सरकारी मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों को भर्ती बच्चों का स्टूल टेस्ट कराने के भी निर्देश दिए गए हैं।

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