प्रधानमंत्री और जम्मू-कश्मीर के नेताओं के बीच बैठक खत्म, राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग
क्या है खबर?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज दिल्ली स्थित अपने आवास पर जम्मू-कश्मीर के नेताओं के साथ महत्वपूर्ण बैठक की। तीन घंटे चली इस बैठक में जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक प्रक्रिया फिर से शुरू करने पर विचार हुआ और पार्टियों ने राज्य के दर्जे की बहाली की मांग रखी।
बैठक में चार पूर्व मुख्यमंत्रियों- महबूबा मुफ्ती, उमर अब्दुल्ला, फारूक अब्दुल्ला और गुलाम नबी आजाद- समेत जम्मू-कश्मीर की सभी बड़ी पार्टियों के कुल 14 नेता शामिल हुए।
मुद्दे
बैठक में किन मुद्दों पर चर्चा हुई?
बैठक में केंद्र सरकार ने पार्टियों से परिसीमन (सीमाएं निर्धारित करना की) प्रक्रिया जल्द से जल्द पूरी करने में मदद करने की अपील की, ताकि इसके बाद विधानसभा चुनाव कराए जा सकें।
वहीं जम्मू-कश्मीर के नेताओं की मुख्य मांग जम्मू-कश्मीर को फिर से राज्य का दर्जा देने की रही।
प्रधानमंत्री मोदी ने नेताओं को आश्वासन देते हुए कहा कि वे जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करने को लेकर प्रतिबद्ध हैं।
मांगें
कांग्रेस ने बैठक में रखीं पांच मांगें
बैठक के बाद कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि उनकी पार्टी ने बैठक में पांच मागें रखीं जिनमें राज्य के दर्जे की बहाली, लोकतंत्र को पटरी पर लाने के लिए विधानसभा चुनाव, कश्मीर पंडितों का राज्य में पुनर्वास, सभी राजनीतिक बंदियों की रिहाई और अधिवासी नियम शामिल रहें।
उन्होंने कहा कि बैठक में जम्मू-कश्मीर के सभी नेताओं ने राज्य के दर्जे की मांग की जिस पर अमित शाह ने उन्हें आश्वासन दिया।
हाई अलर्ट
जम्मू-कश्मीर और LoC पर हाई अलर्ट
इस बैठक के महत्व को देखते हुए पूरे जम्मू-कश्मीर और नियंत्रण रेखा (LoC) पर हाई अलर्ट घोषित किया गया है। सीमा और सीमा से लगे इलाकों में जवानों की गश्त को भी बढ़ा दिया गया है। हाइवे पर वाहनों की गहन जांच की जा रही है।
हाल ही में गृह मंत्री अमित शाह ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजित डोभाल के साथ बैठक कर जम्मू-कश्मीर के सुरक्षा हालातों पर चर्चा भी की थी।
सुलह का प्रयास
अनुच्छेद 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर के नेताओं और केंद्र की पहली वार्ता
बता दें कि अगस्त, 2019 में अनुच्छेद 370 हटने के बाद यह जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक नेतृत्व और केंद्र सरकार के बीच पहली वार्ता है।
इस फैसले के बाद से ही यहां राजनीतिक प्रक्रिया ठप पड़ी है। हाल ही में यहां जिला स्तर के चुनाव हुए थे जिसके बाद अब विधानसभा चुनाव की तरफ कदम बढ़ाए जा रहे हैं।
इस वार्ता के जरिए सरकार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह संदेश देना चाहती है कि कश्मीर में चीजें सामान्य हो रही हैं।
चुनाव
जम्मू-कश्मीर में आखिरी बार 2014 में हुए थे चुनाव
जम्मू-कश्मीर में आखिरी बार दिसंबर, 2014 में विधानसभा चुनाव हुए थे और तब यह एक राज्य हुआ करता था। भाजपा और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) के गठबंधन की सरकार गिरने के बाद जून, 2018 में यहां राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया।
अगस्त, 2019 में केंद्र सरकार ने राष्ट्रपति के आदेश के जरिए अनुच्छेद 370 में बदलाव कर राज्य का विशेष दर्जा खत्म कर दिया और इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों- जम्मू-कश्मीर और लद्दाख- में बांट दिया गया।
संकेत
बाइडन प्रशासन ने हाल ही में दिया था चुनावी प्रक्रिया शुरू होने का संकेत
बता दें कि जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक भविष्य को लेकर ये वार्ता ऐसे समय पर शुरू हुई है जब हाल ही में अमेरिकी संसद की एक सुनवाई में राष्ट्रपति जो बाइडन के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा था कि अमेरिका भारत सरकार को कश्मीर में चुनावी कराने को लेकर प्रोत्साहित कर रहा है।
उन्होंने कहा था कि अमेरिका ने भारत से कश्मीर में जल्द हालात सामान्य करने को कहा है और इस दिशा में कुछ कदम भी उठाए गए हैं।