अक्टूबर तक आ सकती है कोरोना की तीसरी लहर, बच्चों को अधिक खतरा- सरकारी समिति
क्या है खबर?
देश में कोरोना महामारी की दूसरी लहर के बाद अब तीसरी लहर की संभावना जताई जा रही है। कुछ राज्यों में संक्रमण के मामले फिर बढ़ रहे हैं।
इसी बीच केंद्रीय गृह मंत्रालय (MHA) के निर्देश पर गठित विशेषज्ञ समिति ने देश में अक्टूबर तक तीसरी लहर आने की संभावना जताई है।
राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान (NIDM) के तहत गठित समिति ने प्रधानमंत्री कार्यालय को भेजी रिपोर्ट में तीसरी लहर में बच्चों को अधिक खतरा बताया है।
रिपोर्ट
आवश्यकता के अनुसार नहीं है बाल चिकित्सा सुविधाएं- समिति
समिति के अनुसार, महामारी की तीसरी लहर से निपटने के लिए आवश्यक बाल चिकित्सा सुविधाओं की कमी नजर आ रही है। बच्चों के संक्रमित होने के बाद उपचार के लिए आवश्यक बच्चों के डॉक्टर, कर्मचारी, वेंटिलेटर, एम्बुलेंस इत्यादि जैसे उपकरणों की आधी व्यवस्था भी नहीं हो पाई है।
रिपोर्ट ने यह भी चिंता व्यक्त की गई है कि अपर्याप्त चिकित्सा सुविधाओं और वैक्सीनेशन में देरी के कारण स्थिति खराब हो सकती है।
जानकारी
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में शिशु रोग विशेषज्ञों की है 82 प्रतिशत कमी- रिपोर्ट
TOI के अनुसार, भारत में अभी 18 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए वैक्सीन नहीं आई है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में शिशु रोग विशेषज्ञों के 82 प्रतिशत और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में 63 प्रतिशत पद रिक्त पड़े हैं। यह बेहद गंभीर स्थिति है।
सिफारिश
पैनल ने क्या की है सिफारिश?
रिपोर्ट में अन्य बीमारियों से जूझ रहे बच्चों को वैक्सीनेशन में प्राथमिकता देने और विकलांग लोगों पर विशेष ध्यान देने की सिफारिश की गई है।
समिति ने कहा है कि एक समग्र घरेलू देखभाल मॉडल, बाल चिकित्सा क्षमता में तत्काल सुधार, बच्चों के बीच मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों को प्राथमिकता देना बहुत जरूरी है।
इसी तरह बच्चों के परिजनों के कोरोना संक्रमण के उपचार के दौरान बच्चों के साथ रहने के लिए कोरोना वार्डों का पुनर्गठन किया जाना चाहिए।
जानकारी
"राज्यों को बाल चिकित्सा कोरोना देखभाल सुविधाओं को बढ़ाना चाहिए"
समिति के समन्वयक संतोष कुमार ने कहा, "पिछली दो लहरों को देखते हुए तैयारी महत्वपूर्ण है। हमें तीसरी लहर को देखते हुए सक्रिय तैयारी करनी चाहिए। राज्यों को शिशु रोग विशेषज्ञों सहित ICU, एम्बुलेंस, दवा के लिए बाल चिकित्सा कोरोना देखभाल सुविधाओं को बढ़ाना चाहिए।"
तीसरी लहर
तीसरी लहर को करीब क्यों मानती है समिति?
समिति के अनुसार, जुलाई के अंतिम सप्ताह में कोरोना संक्रमण की R वैल्यू या प्रसार की दर में 0.9 से 1 तक की वृद्धि इस बात का संकेत है कि तीसरी लहर तेजी से बढ़ रही है।
विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि वर्तमान में केरल में कोरोना संक्रमण के मामलों में तेजी से उछाल आ रहा है। वहां R वैल्यू 1.1 के पार पहुंच गई। इससे स्पष्ट है कि तीसरी लहर ने अपना असर दिखाना शुरू कर दिया है।
समय
कब तक आएगी महामारी की तीसरी लहर?
रिपोर्ट में तीसरी लहर के तीन परिदृश्यों बताए गए हैं। पहले परिदृश्य में स्थिति सामान्य रहेगी, लेकिन दूसरे परिदृश्य में नए वेरिएंटों के साथ स्थिति बिगड़ेगी और तीसरे परिदृश्य में गंभीर परिणाम सामने आ सकते हैं।
पहले परिदृश्य में संक्रमितों की प्रतिदिन की संख्या अक्टूबर में 3.2 लाख के उच्चतर स्तर पर पहुंचेगी।
दूसरे परिदृश्य में सितंबर में ही संक्रमण के मामले पांच लाख तक पहुंच सकते हैं और तीसरी परिदृश्य में अक्टूबर के अंत में मामले घंटेंगे।
सरकार
केंद्र ने तीसरी लहर से निपटने के लिए आवंटित किया 23,000 करोड़ का बजट
केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने शुक्रवार को कहा कि केंद्र ने देश में संभावित तीसरी लहर से निपटने के लिए 23,123 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं।
ठाकुर ने कहा कि इस आशंका के बीच बाल चिकित्सा देखभाल को मजबूत करने पर जोर दिया जा रहा है कि तीसरी लहर बच्चों पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है।
इसी तरह नीति आयोग समूह ने भी प्रत्येक 100 संक्रमितों में से 23 के अस्पताल में भर्ती होने का सुझाव दिया है।
प्रभाव
क्या बच्चों को होगा अधिक खतरा?
बच्चों पर तीसरी लहर के प्रभाव को लेकर विशेषज्ञ बंटे हुए हैं। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि बच्चों का संक्रमण का अधिक प्रभाव नहीं होगा तो चिंता की बात नहीं है।
इसी तरह अन्य विशेषज्ञों का कहना है कि बच्चों में वैक्सीन की कमी उन्हें खतरें में डालेगी।
विशेष रूप से भारत ने पिछले सप्ताह ही बच्चों के लिए पहली कोरोना वैक्सीन ZyCoV-D को मंजूरी दी थी। तीन खुराक वाली यह दुनिया का पहली DNA आधारित वैक्सीन है।