नोएडा: कोरोना मरीज की मौत के बाद अस्पताल ने परिवार को थमाया 14 लाख का बिल
कोरोना महामारी के काल में निजी अस्पतालों द्वारा उपचार के लिए मनमानी राशि वसूलने का मामला गरमाया हुआ है। इसको लेकर गत दिनों केंद्र सरकार ने निजी अस्पतालों द्वारा उपचार के लिए एक निर्धारित राशि लेने की घोषणा की थी, लेकिन उत्तर प्रदेश के नोएडा स्थित निजी अस्पतालों पर इसका कोई असर नहीं है। यही कारण है कि फोर्टिस अस्पताल ने कोरोना मरीज की मौत के बाद उसके परिजनों को 14 लाख रुपये का बिल थमा दिया।
15 दिन वेंटीलेटर पर रहने के बाद हुई कोरोना संक्रमित की मौत
HT की रिपोर्ट के अनुसार मृतक नोएडा निवासी एक यूनानी चिकित्सक है और वह अपना क्लिनिक चलाते थे। गत 7 जून को तबीयत बिगड़ने पर उन्हें सेक्टर-62 स्थित फोर्टिस अस्पताल में भर्ती कराया गया था। 8 जून को उनमें कोरोना संक्रमण की पुष्टि हुई। 13 जून को उनकी तबीयत बिगड़ गई, जिसके बाद उन्हें वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया। वह करीब 15 दिन वेंटिलेटर पर रहे और रविवार को उनकी मौत हो गई।
परिजनों ने लगाया मनमानी राशि वसूलने का आरोप
मृतक के बेटे ने बताया कि पिता की मौत के बाद अस्पताल प्रशासन ने उन्हें 14 लाख रुपये का बिल सौंप दिया। ICMR के अनुसार गंभीर रोगी के इलाज में प्रतिदिन 10 हजार रुपये खर्च आता है। वेंटिलेटर और PPE किट का चार्ज 10 हजार अधिक मानकर प्रतिदिन का खर्च 20 हजार रुपये भी लगाएं तो भी 20 दिन के इलाज का खर्च चार लाख रुपये आता है, लेकिन अस्पताल ने इलाज के बदले 14 लाख रुपये मांगे हैं।
बीमा क्लेम के बाद अस्प्ताल प्रशासन ने घटाया बिल
मृतक के परिजनों का आरोप है कि अस्पताल ने 14 लाख का बिल थमाने के बाद बिल चुकाने के बाद ही शव ले जाने की बात कही थी। उन्होंने इतनी राशि चुकाने में असमर्थता जाहिर की और मरीज का बीमा होने की भी जानकारी दी। इस पर अस्पताल ने बीमा पॉलिसी की जांच कर बिल में चार लाख रुपये घटाकर उसे 10.2 लाख रुपये कर दिया। इसके बाद उन्होंने अस्पताल को 25,000 रुपये ही होने की मजबूरी जताई।
10 रुपये के कानूनी स्टाम्प पर लिखवाया आश्वासन
मृतक के परिजनों का आरोप है कि पैसे नहीं होने की मजबूरी बताने पर अस्पताल प्रशासन ने उनसे 10 रुपये के स्टाम्प पर बाद में पैसे देने का आश्वासन लिखवा लिया। इसके बाद ही अस्पताल प्रशासन ने उन्हें शव ले जाने की इजाजत दी।
जिला प्रशासन ने दिया मामले की जांच का आश्वासन
इस मामले में गौतमबुद्ध नगर के जिला मजिस्ट्रेट सुहास एलवाई ने कहा कि चिकित्सा विभाग के अधिकारी मामले की जांच कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि सरकार ने कोरोना संक्रमितों के इलाज के लिए प्राइवेट अस्पतालों को अधिकतम राशि का पैमाना भी तय किया है। यहां ICU में 10,000 और वेंटिलेटर के लिए अतिरिक्त 5,000 रुपये का शुल्क तय किया गया है। राज्य के चिकित्सा विभाग के उच्चाधिकारियों ने जिला स्तर पर कीमत तय करने की बात कही है।
अस्पताल प्रशासन ने किया परिजनों को पूरा खर्च बताने का दावा
मामले में अस्पताल प्रशासन का कहना है कि मरीज के परिजनों को मरीज की हालत और खर्च दोनों से पहले ही अवगत करा दिया था। अस्पताल का दावा है कि मामले की सारी जानकारी और डिटेल CMO को भेज दिया गया है। अस्पताल प्रशासन का कहना है कि प्रत्येक जांच और दवा का रिकॉर्ड उनके पास है। मरीज को दो बार 40-40 हजार के इंजेक्शन भी दिए गए थे। बिल में कोई भी अतिरिक्त शुल्क नहीं लगाया गया है।
केंद्र की गाइडलाइंस के बाद दिल्ली और हरियाणा सरकार ने तय की कीमतें
ICMR द्वारा निजी अस्पतालों में इलाज के खर्च की गाइडलाइंस जारी करने के बाद गत 20 जून को दिल्ली सरकार ने आइसोलेशन बेड के लिए 10,000, बिना वेंटीलेटर के ICU बेड के 15,000 और वेटीलेटर के साथ 18,000 रुपये प्रतिदिन शुल्क निर्धारित किया था। इसके बाद हरियाणा सरकार ने भी निजी अस्पतालों के लिए यही शुल्क निर्धारित किया था, लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार ने शुल्क निर्धारण के लिए जिला प्रशासन को जिम्मेदार बनाया है।