प्रिकॉशन खुराक ले चुके लोगों को नहीं लगाई जाएगी नेजल वैक्सीन- वैक्सीनेशन समूह प्रमुख
क्या है खबर?
भारत में वैक्सीनेशन पर राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह (NTAGI) के कोविड वर्किंग ग्रुप के चेयरमैन डॉ एनके अरोड़ा ने कहा है कि कोरोना वायरस वैक्सीन की बूस्टर (प्रिकॉशन) खुराक ले चुके लोगों को नेजल वैक्सीन नहीं लगाई जाएगी।
उन्होंने कहा कि वैक्सीनेशन अभियान के अनुसार प्रिकॉशन खुराक ले चुके व्यक्ति को कोविन प्लेटफॉर्म पर चौथी खुराक की मंजूरी नहीं मिलेगी।
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने हाल ही में भारत बायोटेक की iNCOVACC नेजल वैक्सीन को मंजूरी दी थी।
बयान
डॉ अरोड़ा ने चौथी खुराक को लेकर क्या कहा?
डॉ एनके अरोड़ा ने NDTV के साथ बातचीत के दौरान कहा, "मान लीजिए कि कोई व्यक्ति चौथी खुराक लेना चाहता है। एंटीजन सिंक की अवधारणा के अनुसार, यदि किसी व्यक्ति को विशेष प्रकार के एंटीजन के साथ बार-बार प्रतिरक्षित किया जाता है तो शरीर प्रतिक्रिया देना ही बंद कर देता है या खराब प्रतिक्रिया देता है। इससे कोई खास मदद नहीं मिलेगी और फिलहाल चौथी खुराक लगवाने के कोई मायने नहीं हैं।"
वैक्सीन
क्या भविष्य में और खुराक लगवाने की जरूरत पड़ेगी?
यह पूछे जाने पर कि क्या नेजल वैक्सीन की बूस्टर खुराक लगवाने के बाद लोगों को और बूस्टर खुराक की आवश्यकता पड़ेगी, डॉ अरोड़ा ने कहा कि इस समय इस बात का कोई वैज्ञानिक सबूत नहीं है कि आगे और खुराक लगवाने की आवश्यकता होगी।
उन्होंने कहा कि उत्तरी अमेरिका या यूरोप के कई देशों में जिन लोगों ने किसी वैक्सीन की तीन, चार या पांच खुराक ली हैं, वे भी लगातार कोरोना वायरस संक्रमण से पीड़ित हो रहे हैं।
इस्तेमाल
बूस्टर खुराक के तौर पर होगा iNCOVACC का इस्तेमाल
बता दें कि चीन और अन्य देशों में कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों को देखते हुए केंद्र सरकार ने iNCOVACC नेजल वैक्सीन का बूस्टर खुराक के तौर पर इस्तेमाल करने का फैसला लिया है।
भारत बायोटेक के अनुसार, जनवरी के चौथे हफ्ते से वैक्सीन इस्तेमाल के लिए उपलब्ध होगी। इसे सबसे पहले प्राइवेट अस्पतालों में उपलब्ध कराया जाएगा।
देशभर में नौ जगहों पर हुए ट्रायल में इस नेजल वैक्सीन को बूस्टर खुराक के तौर पर कारगर पाया गया था।
जानकारी
भारत बायोटेक ने वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर विकसित की है नेजल वैक्सीन
भारत बायोटेक ने iNCOVACC वैक्सीन को सेंट लुईस स्थित वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी की मदद से विकसित किया है।
इस वैक्सीन को एडिनोवायरल से बनाया गया है जिसमें कोरोना वायरस की स्पाइक प्रोटीन को जोड़ा गया। इसे इस तरह से विकसित किया गया है कि इसे नाक के जरिए दिया जा सके।
लगभग 4,000 लोगों पर हुए तीसरे चरण के क्लिनिकल ट्रायल में वैक्सीन को प्रभावी और सुरक्षित पाया गया था। ट्रायल में गंभीर साइड इफेक्ट्स भी नहीं देखने को मिले।
वैक्सीन
कैसे काम करती है iNCOVACC वैक्सीन?
कोरोना वायरस समेत कई वायरस म्यूकोसा (नाक, मुंह और फेफड़ों को जोड़ने वाले टिश्यू) के जरिये इंसानी शरीर में प्रवेश करते हैं।
नाक के जरिए दी जाने वाली iNCOVACC वैक्सीन या अन्य कोई नेजल वैक्सीन सीधे म्यूकोसा के पास जाती है, जिससे वायरस के प्रवेश करने की जगह पर ही एक तरह की सुरक्षा परत बन जाती है।खास बात यह है कि यह कोरोना वायरस के संक्रमण और इसके प्रसार दोनों को रोकने में कारगर है।