भारत बायोटेक की नेजल कोविड वैक्सीन लगभग 800 रुपये में मिलेगी, जनवरी से शुरू होगा इस्तेमाल
क्या है खबर?
भारत बायोटेक ने अपनी इंट्रानेजल (नाक से दी जाने वाली) कोविड वैक्सीन iNCOVACC की कीमत घोषित कर दी है।
कंपनी के अनुसार, निजी अस्पतालों में यह वैक्सीन 800 रुपये में मिलेगी। इसके अलावा GST अलग से देना होगा।
राज्यों और केंद्र सरकार के लिए इसकी कीमत 325 रुपये प्रति खुराक रखी गई है। इसके लिए उन्हें बड़ी मात्रा में ऑर्डर करना होगा।
कोविड प्लेटफॉर्म पर स्लॉट बुक करके इस वैक्सीन की खुराक लगवाई जा सकेगी।
इस्तेमाल
बूस्टर खुराक के तौर पर होगा iNCOVACC का इस्तेमाल
बता दें कि चीन और अन्य देशों में कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों को देखते हुए केंद्र सरकार ने iNCOVACC नेजल वैक्सीन का बूस्टर खुराक के तौर पर इस्तेमाल करने का फैसला लिया है।
भारत बायोटेक के अनुसार, जनवरी के चौथे हफ्ते से वैक्सीन इस्तेमाल के लिए उपलब्ध होगी। इसे सबसे पहले प्राइवेट अस्पतालों में उपलब्ध कराया जाएगा।
देशभर में नौ जगहों पर हुए ट्रायल में इस नेजल वैक्सीन को बूस्टर खुराक के तौर पर कारगर पाया गया था।
जानकारी
लोगों से बूस्टर खुराक लगवाने की अपील कर चुके हैं सरकार और प्रधानमंत्री
गौरतलब है कि कोरोना का संक्रमण एक बार फिर से फैलने की आशंका को देखते हुए केंद्र सरकार ने लोगों से वैक्सीन की तीसरी (बूस्टर) खुराक लगवाने की अपील की है। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोगों से ये अपील की थी।
विकास
भारत बायोटेक ने वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर विकसित की है वैक्सीन
भारत बायोटेक ने iNCOVACC वैक्सीन को सेंट लुईस स्थित वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी की मदद से विकसित किया है।
इस वैक्सीन को एडिनोवायरल से बनाया गया है जिसमें कोरोना वायरस की स्पाइक प्रोटीन को जोड़ा गया। इसे इस तरह से विकसित किया गया है कि इसे नाक के जरिए दिया जा सके।
लगभग 4,000 लोगों पर हुए तीसरे चरण के क्लिनिकल ट्रायल में वैक्सीन को प्रभावी और सुरक्षित पाया गया था। ट्रायल में गंभीर साइड इफेक्ट्स भी नहीं देखने को मिले।
काम
कैसे काम करती है iNCOVACC वैक्सीन?
कोरोना वायरस समेत कई वायरस म्यूकोसा (नाक, मुंह और फेफड़ों को जोड़ने वाले टिश्यू) के जरिये इंसानी शरीर में प्रवेश करते हैं।
नाक के जरिए दी जाने वाली iNCOVACC वैक्सीन या अन्य कोई नेजल वैक्सीन सीधे म्यूकोसा के पास जाती है, जिससे वायरस के प्रवेश करने की जगह पर ही एक तरह की सुरक्षा परत बन जाती है।
खास बात यह है कि यह कोरोना वायरस के संक्रमण और इसके प्रसार दोनों को रोकने में कारगर है।
फायदे
इंट्रानेजल वैक्सीन के क्या फायदे हैं?
जिस वैक्सीन को नाक के जरिए दिया जाता है, उसे इंट्रानेजल वैक्सीन कहा जाता है। ऐसी वैक्सीनों के सहारे लोगों का बड़ी संख्या में तेजी से वैक्सीनेशन संभव हो पाता है और कम समय में ज्यादा लोगों को खुराक देने में मदद मिलती है।
इंट्रानेजल वैक्सीन की मदद से बड़े वैक्सीनेशन अभियान को सरल बनाया जा सकता है।
इन वैक्सीनों में सिरिंज और सुईयों की जरूरत नहीं होती, वहीं खुराक देने के लिए प्रशिक्षित लोगों पर निर्भर नहीं रहना पड़ता।
वैक्सीनेशन
भारत में क्या है वैक्सीनेशन अभियान की स्थिति?
भारत में अब तक कोविड वैक्सीन की 2.20 अरब खुराकें लगाई जा चुकी हैं। देश में 18 साल से अधिक उम्र के 92.22 करोड़ वयस्कों को वैक्सीन की पहली खुराक लग चुकी है, वहीं 86.51 करोड़ वयस्कों को दोनों खुराकें लग चुकी हैं।
इसी तरह 15 से 18 साल के 5.36 करोड़ लोगों को भी दोनों खुराकें लग चुकी हैं। 12-14 साल के 3.25 करोड़ बच्चों को दोनों खुराकें लगी हैं।
22.38 करोड़ लोग बूस्टर खुराक लगवा चुके हैं।