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    सात साल बाद निर्भया को मिला इंसाफ, चारों दोषियों को फांसी पर लटकाया गया

    सात साल बाद निर्भया को मिला इंसाफ, चारों दोषियों को फांसी पर लटकाया गया

    लेखन मुकुल तोमर
    संपादन प्रमोद कुमार
    Mar 20, 2020
    06:01 am

    क्या है खबर?

    पूरे देश और निर्भया के परिवार का सात साल का इंतजार आखिर खत्म हुआ और आज सुबह निर्भया के साथ गैंगरेप के चारों दोषियों को फांसी पर लटका दिया गया।

    पवन जल्लाद ने सुबह ठीक 5:30 बजे चारों दोषियों, मुकेश सिंह, अक्षय ठाकुर, पवन गुप्ता और विनय शर्मा, को फांसी पर लटका दिया।

    इस दौरान तिहाड़ जेल प्रशासन के कुछ अधिकारी और डॉक्टर मौके पर मौजूद रहे। तिहाड़ में पहली बार एक साथ चार दोषियों को फांसी दी गई है।

    प्रतिक्रिया

    निर्भया को मिला इंसाफ- आशा देवी

    निर्भया की मां ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा, "यह सालों के संघर्ष का नतीजा है। पहली बार चार दोषियों को एक साथ फांसी पर लटकाया गया। आज के दिन निर्भया को इंसाफ मिला है। यह महिलाओं और बच्चियों का दिन है। आखिरकार देर से ही सही, हमें न्याय मिला। मैं इसके लिए हमारी न्यायपालिका और सरकारों समेत हर किसी का धन्यवाद करती हूं। दोषियों ने जितनी तेजी से याचिकाएं डाली, अदालतों ने उसी हिसाब से सक्रियता दिखाई।"

    जानकारी

    पूरे देश के लिए बड़ा दिन- निर्भया के पिता

    चारों दोषियों को फांसी दिए जाने के बाद निर्भया के पिता ने कहा, "यह न सिर्फ हमारे लिए बल्कि पूरे देश के लिए बड़ा दिन है। हम पिछले सात सालों से इस दिन का इंतजार कर रहे थे।"

    ट्विटर पोस्ट

    "निर्भया की तस्वीर को गले लगाकर कहा- बेटा आज आपको न्याय मिला है"

    #WATCH Asha Devi, mother of 2012 Delhi gang rape victim says, "As soon as I returned from Supreme Court, I hugged the picture of my daughter and said today you got justice". pic.twitter.com/OKXnS3iwLr

    — ANI (@ANI) March 20, 2020

    याचिका

    फांसी रुकवाने के लिए रात को हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट पहुंचे दोषियों के वकील

    फांसी से कुछ ही घंटों पहले गुरुवार देर रात दोषियों ने फांसी पर रोक लगाने के लिए पहले दिल्ली हाईकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया था। दोनों कोर्ट से ही उनकी याचिका रद्द हो गई।

    हाईकोर्ट से याचिका खारिज होने के बाद दोषियों के वकील एपी सिंह दोषी पवन की तरफ से सुप्रीम कोर्ट गए थे। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार से फांसी पर रोक लगाने के मामले पर तुरंत सुनवाई करने की मांग की थी।

    जानकारी

    तिहाड़ के बाहर किए गए थे सुरक्षा के कड़े इंतजाम

    दोषियों को फांसी देने से पहले दिल्ली के तिहाड़ जेल के बाहर कड़ी सुरक्षा की व्यवस्था की गई थी। जेल के गेट बंद कर दिए गए थे। गेट के बाहर बड़ी संख्या में लोग बैनर और पोस्टर लेकर जुटे थे।

    पृष्ठभूमि

    16 दिसंबर, 2012 की रात हुई थी निर्भया के साथ हैवानियत

    16 दिसंबर, 2016 की रात अपने दोस्त के साथ फिल्म देखकर लौट रही 23 वर्षीय छात्रा के साथ छह लोगों ने चलती बस में गैंगरेप किया था।

    आरोपियों ने इस दौरान हैवानियत की सारे हदें पार कर दी थीं और बुरी तरह से घायल छात्रा और उसके दोस्त को सड़क किनारे फेंक कर भाग गए थे।

    छात्रा का पहले सफदरजंग अस्पताल में इलाज चला, लेकिन कुछ दिन बाद सिंगापुर शिफ्ट कर दिया जहां उसकी मौत हो गई।

    जानकारी

    दिल्ली में हुआ था बड़ा आंदोलन

    निर्भया के साथ हुई हैवानियत सामने आने के बाद दिल्ली में लोगों ने राष्ट्रपति भवन के सामने बड़ा प्रदर्शन किया, जिसने जल्द ही आंदोलन का रूप ले लिया। देश के बाकी हिस्सों में भी दोषियों को फांसी की सजा देने के लिए प्रदर्शन हुए थे।

    कानूनी कार्रवाई

    एक आरोपी ने लगाई फांसी, एक नाबालिग होने के कारण कठोर सजा से बचा

    मामले में दिल्ली पुलिस ने कुछ दिनों के अंदर ही बस ड्राइवर राम सिंह, उसके भाई मुकेश सिंह, विनय शर्मा, पवन गुप्ता, बस के हेल्पर अक्षय सिंह और एक 17 वर्षीय नाबालिग को गिरफ्तार कर लिया था।

    राम सिंह ने मार्च 2013 में तिहाड़ जेल में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी, वहीं नाबालिग आरोपी को किशोर न्याय अधिनियम के तहत तीन साल के लिए बाल सुधार गृह भेजा गया था।

    सजा

    सितंबर, 2013 में चारों दोषियों को सुनाई गई फांसी की सजा

    बाकी चारों आरोपियों पर दिल्ली स्थित ट्रायल कोर्ट में फास्ट ट्रैक सुनवाई की गई और 13 सितंबर, 2013 को चारों को फांसी की सजा सुनाई गई।

    इस सजा के खिलाफ दोषियों ने दिल्ली हाई कोर्ट में अपील की जिसने मार्च, 2014 में उनकी अपील को खारिज करते हुए फांसी की सजा को बरकरार रखा।

    इसके बाद दोषी सुप्रीम पहुंचे लेकिन उसने भी 2017 में हाई कोर्ट के फैसले को सही ठहराते हुए फांसी पर रोक लगाने से इनकार कर दिया।

    नोटिस

    अक्टूबर, 2019 में तिहाड़ जेल ने दिया दोषियों को सात दिन का नोटिस

    इसके बाद चारों दोषियों ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिकाएं भी डालीं, लेकिन जुलाई, 2018 में कोर्ट ने ये याचिकाएं भी खारिज कर दीं।

    इसके बाद दोषी बैठे रहे और उनकी फांसी पर आगे कोई कार्रवाई नहीं हुई।

    अक्टूबर, 2019 में तिहाड़ जेल प्रशासन ने सुस्ती तोड़ते हुए चारों दोषियों को सात दिन के अंदर उनके सारे कानूनी विकल्प इस्तेमाल करने को कहा और इसके बाद दोषियों के एक-एक कर याचिका डाल फांसी में देरी करने का खेल शुरू हुआ।

    फांसी टालने की कोशिश

    तीन बार रद्द करना पड़ा डेथ वारंट

    पहले चारों दोषियों ने एक-एक करके सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव पिटिशन डाली और फिर एक-एक करके राष्ट्रपति के पास दया याचिका डाली।

    इस दौरान पटिलाया कोर्ट द्वारा जारी तीन डेथ वारंट दोषियों के कानूनी विकल्प बचने के कारण रद्द करने पड़े।

    चारों दोषियों के सभी कानूनी विकल्प खत्म होने के बाद कोर्ट ने 5 मार्च को चौथा डेथ वारंट जारी किया और 20 मार्च को फांसी की तारीख मुकर्रर किया।

    व्यर्थ प्रयास

    कानूूनी विकल्प खत्म होने के बाद भी याचिकाएं डालते रहे दोषी

    अपने सभी कानूनी विकल्प खत्म होने के बाद भी चारों दोषी कभी सुप्रीम कोर्ट तो कभी पटियाला कोर्ट में याचिकाएं डालते रहे और तरह-तरह के तर्क देकर फांसी को रुकवाने की कोशिश की।

    मुकेश ने तो अपनी याचिका में ये तक कह डाला कि वो 16 दिसंबर, 2012 को अपराध की रात दिल्ली में था ही नहीं।

    इसके अलावा तीन दोषियों के वकील एपी सिंह ने फांसी पर रोक लगाने के लिए अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) में भी याचिका डाली थी।

    डाटा

    इनसे पहले आजाद भारत में हुई 57 फांसी

    आजाद भारत में पहली फांसी नाथूराम गोडसे को दी गई थी। इन चारों से पहले कुल 57 अपराधियों को फांसी की सजा दी जा चुकी है। अंतिम बार याकूब मेनन को 30 जुलाई, 2015 को फांसी पर लटकाया गया था।

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