लोकसभा चुनाव खत्म होते ही गायब हुआ नमो टीवी, करता था प्रधानमंत्री मोदी का प्रचार
लोकसभा चुनाव के समय अचानक से 'प्रकट' हुआ नमो टीवी चैनल चुनाव प्रचार खत्म होने के बाद अब उतने ही अजीबोगरीब तरीके से गायब हो गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर चलने वाले इस चैनल को उनकी पार्टी भारतीय जनता पार्टी ने सरकार की उपलब्धियों का प्रचार करने के लिए प्रायोजित किया था। इससे पहले चुनाव के दौरान कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों ने चुनाव आयोग से नमो चैनल के प्रसारण पर रोक लगाने की मांग की थी।
30 मार्च से अचानक शुरु हुआ था प्रसारण
30 मार्च से अचानक कई बड़े DTH प्लेटफॉर्म पर नमो टीवी का प्रसारण होने लगा था। प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा ने सोशल मीडिया पर इस चैनल का प्रमोशन भी किया । चैनल पर सरकार के कामकाज के साथ मोदी की रैलियों और संदेशों का प्रचार किया जाता था। पहले चैनल का मालिक कौन है, इसे लेकर संशय था। लेकिन जल्द ही भाजपा ने यह साफ कर दिया कि नमो टीवी उसके नमो ऐप का ही हिस्सा है।
भाजपा नेता ने कहा, अब नमो टीवी की जरूरत नहीं
अब 17 मई को आखिरी चरण का चुनाव प्रचार थमने के साथ ही नमो टीवी भी DTH प्लेटफॉर्म्स से गायब हो गया है। एक भाजपा नेता ने नाम न बताने की शर्त पर समाचार एजेंसी PTI से कहा, "नमो टीवी लोकसभा चुनाव में भाजपा के प्रचार का एक माध्यम था। चुनाव खत्म होने के बाद अब इसकी आवश्यकता नहीं है, इसलिए 17 मई को चुनाव प्रचार खत्म होने के साथ ही इसे बंद कर दिया गया।"
कांग्रेस और AAP ने की थी शिकायत
बता दें कि नमो टीवी का प्रसारण शुरु होने के बाद कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने चुनाव आयोग से शिकायत में कहा था कि चैनल चुनावों की घोषणा के बाद अस्तित्व में आया है, इसलिए इस पर रोक लगनी चाहिए। इसके बाद आयोग ने दिल्ली के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (CEO) से इस बारे में रिपोर्ट मांगी, जिसमें उन्होंने बताया कि नमो टीवी पर मीडिया सर्टिफिकेशन एंड मॉनिटरिंग कमेटी (MCMC) की इजाजत के बिना कंटेट का प्रसारण हो रहा है।
आयोग ने दिया, बिना मंजूरी कार्यक्रम न दिखाने का आदेश
इसके बाद चुनाव आयोग ने बिना MCMC की अनुमति के दिखाए जा रहे कंटेट पर तुरंत रोक लगाने का निर्देश दिया था। अपने निर्देश में आयोग ने यह भी कहा कि नमो टीवी एक राजनीतिक पार्टी द्वारा प्रायोजित है, इसलिए इस पर दिखाए जा रहे रिकॉर्डेड कार्यक्रमों और विज्ञापनों के लिए पहले से मंजूरी लेनी पड़ेगी। आयोग के इस फैसले के बाद राहुल गांधी ने उस पर निष्पक्ष न होने का आरोप लगाया था।