AAP में फिर कलह, अलका लांबा ने शीर्ष नेतृत्व से पूछा- मुझे कमजोर करके क्या मिलेगा?
क्या है खबर?
एक बार फिर से आम आदमी पार्टी (AAP) में दरार की खबर आ रही है।
चांदनी चौक से AAP विधायक अलका लांबा ने पार्टी नेतृत्व पर उन्हें कमजोर करने का आरोप लगाया है।
उन्होंने दावा किया है कि उनके विधानसभा क्षेत्र में होने वाली अरविंद केजरीवाल की जनसभा की उन्हें जानकारी तक नहीं दी गई है।
बता दें कि दिसंबर में AAP नेतृत्व और अलका में हुए टकराव के बाद से ही वह पार्टी में हाशिये पर चल रही हैं।
अरविंद केजरीवाल
केजरीवाल की जनसभा में ना बुलाए जाने पर टकराव
मौजूदा टकराव का मुद्दा 20 जनवरी को जामा मस्जिद इलाके में AAP संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की जनसभा को लेकर है।
अलका का आरोप है कि उनकी विधानसभा में कार्यक्रम होने के बावजूद भी उन्हें इसमें नहीं बुलाया गया।
मामले में बयान जारी करते हुए उन्होंने कहा, '20 फ़रवरी को मेरी विधानसभा चांदनी चौक, जामा मस्जिद गेट नम्बर 1 पर मुख्यमंत्री जनसभा करने आ रहे हैं, जिसकी मुझे कोई ख़बर नहीं है।'
अलका लांबा
'मुझे कमजोर करके पार्टी को क्या लाभ होगा'
अलका ने पार्टी पर खुद को कमजोर करने का आरोप लगाया।
उन्होंने कहा, 'क्षेत्र से पार्टी ने पुराने चेहरे को मैदान में 2020 के लिये अभी से उतार भी दिया है, जबकि मैं एक विधायक के तौर पर आज भी जनता के बीच सक्रिय रहते हुए विकास कार्यो को आगे बढ़ा रही हूं।'
उन्होंने सवाल किया कि उन्हें कमजोर करके पार्टी को क्या लाभ होगा।
उन्होंने कहा, 'मुझे जनता ने चुना है और यूं ही अपना काम जारी रखूंगी।'
कांग्रेस
कांग्रेस से गठबंधन की कोशिश पर शीर्ष नेतृत्व को घेरा
खुद के कांग्रेस में शामिल होने के आरोपों पर भी अलका ने पार्टी नेतृत्व को जमकर घेरा।
उन्होंने कहा, 'मुझ पर आरोप लगाए जा रहे हैं कि मैं कांग्रेस में जा सकती हूं, जबकि कांग्रेस से गठबंधन के कोई और ही किसी भी स्तर पर समझौता करने को तैयार बैठा है।'
उनका इशारा शीर्ष पार्टी नेतृत्व और खुद केजरीवाल की ओर था जो भाजपा को रोकने के लिए दिल्ली में कांग्रेस से गठबंधन के लिए तैयार थे।
शुरुआत
राजीव गांधी को लेकर शुरु हुआ था अलका और शीर्ष नेतृत्व में टकराव
अलका और AAP नेतृत्व में टकराव दिल्ली विधानसभा में राजीव गांधी से भारत रत्न वापस लिए जाने के एक प्रस्ताव से शुरु हुआ था।
AAP का कहना था कि 1984 हिंसा संबंधित मूल प्रस्ताव में राजीव से जुड़ा हिस्सा नहीं था और इसे अलका ने दिल्ली कांग्रेस के एक नेता के कहने पर सोमनाथ भारती के जरिए शामिल कराया था।
जबकि अलका ने कहा था कि पार्टी ने उनसे जबरदस्ती प्रस्ताव पर समर्थन करने को कहा था।
केजरीवाल पर आरोप
केजरीवाल पर लगते रहे हैं तानाशाही के आरोप
मामला इतना बढ़ गया था कि केजरीवाल ने अलका का इस्तीफा तक मांग लिया था।
बता दें कि AAP में अक्सर केजरीवाल की तानाशाही को लेकर आवाज उठती रहती हैं और कहा जाता है कि केजरीवाल अपने आगे किसी की नहीं सुनते।
योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण से लेकर कुमार विश्वास जैसे नेताओं जिन्होंने पार्टी की नींव मजबूत बनाने में अहम योगदान दिया था, तक को केजरीवाल के साथ असहमति का परिणाम झेलना पड़ा था।