म्यांमार में गृहयुद्ध के बीच केंद्र सरकार का बड़ा फैसला, सीमा की करेगी बाड़बंदी
क्या है खबर?
म्यांमार में विद्रोही गुटों और सैन्य शासन जुंटा के बीच चल रहे संघर्ष का असर अब पड़ोसी भारतीय राज्य मिजोरम पर भी पड़ रहा है।
म्यांमार की सेना के सैकड़ों जवान भागकर मिजोरम में आ गए हैं। मिजोरम के मुख्यमंत्री लालदुहोमा ने इस पर चिंता जताते हुए केंद्र सरकार को सचेत किया है।
इस बीच केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए म्यांमार सीमा की बाड़बंदी करने का फैसला लिया है।
फेंसिंग
म्यांमार सीमा पर मुक्त आवाजाही बंद करेगी सरकार
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि भारत-म्यांमार सीमा पर सरकार अब फेंसिंग कराएगी। उन्होंने कहा कि म्यांमार से भागकर आ रहे आतंकियों और घुसपैठ को रोकने के लिए दोनों देशों के बीच मुक्त संचलन को भी सरकार बंद करने जा रही है।
शाह ने असम पुलिस की पासिंग आउट परेड में कहा, "म्यांमार के साथ हमारी खुली सीमा है। इसे हम बांग्लादेश की तर्ज पर फेंसिंग लगाकर सुरक्षित करेंगे।"
बयान
मिजोरम के मुख्यमंत्री ने जताई चिंता
हालात को देखते हुए लालदुहोमा ने शिलांग में हुई पूर्वोत्तर परिषद की बैठक में गृह मंत्री शाह के सामने घुसपैठ का मुद्दा उठाया था।
NDTV की रिपोर्ट के मुताबिक, मिजोरम सरकार ने राज्य में शरण लेने वाले म्यांमार सेना के जवानों की जल्द वापसी की जरूरत पर जोर दिया।
लालदुहोमा ने कहा, "लोग शरण लेने के लिए म्यांमार से भागकर हमारे देश आ रहे हैं। हम मानवीय आधार पर उनकी मदद कर रहे हैं।"
वापसी
450 सैनिकों को वापस भेजा गया
म्यांमार के करीब 600 सैनिकों ने मिजोरम के लांग्टलाई जिले में शरण ले रखी है। म्यांमार के रकाइन में एक सशस्त्र समूह अराकन आर्मी (AA) के उग्रवादियों ने सेना के शिविरों पर हमला कर दिया था। इसके बाद ये सैनिक भागकर मिजोरम में आ गए।
फिलहाल इन्हें असम राइफल्स के शिविर में रखा गया है। इससे पहले भी कई सैनिक मिजोरम में घुसे थे, जिनमें से करीब 450 को वापस भेज दिया गया है।
पांडे
सेना प्रमुख ने भी हालात पर जताई थी चिंता
कुछ दिनों पहले भारतीय सेना के प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने भी मिजोरम के हालात पर चिंता जताई थी।
उन्होंने कहा था, "म्यांमार के 416 सैनिक भारत में घुसे थे, जिन्हें वापस भेज दिया गया है। भारत-म्यांमार सीमा पर स्थिति चिंता का विषय है। विद्रोही समूह भी म्यांमार को पार करने की कोशिश कर रहे हैं। म्यांमार सेना और सशस्त्र संगठन की गतिविधियों पर हमारी नजर है। असम राइफल्स की करीब 20 बटालियन सीमा पर नजर रख रही है।"
हिंसा
म्यांमार में क्यों भड़की हिंसा?
म्यांमार में संघर्ष की शुरुआत 2020 में हुए आम चुनावों के बाद हुई थी। इसमें लोकप्रिय नेता आंग सान सू की जीत मिली थी, लेकिन सेना ने चुनाव में धांधली का आरोप लगाते हुए तख्तापलट कर दिया।
इसके बाद देश में आपातकाल लगा दिया गया। इसके खिलाफ और लोकतंत्र बहाली को लेकर 3 सशस्त्र दल साथ आए और 'ब्रदरहुड अलायंस' नाम से गठबंधन बनाया। अब ये दल सेना से संघर्ष कर रहे हैं।