म्यांमार में गृहयुद्ध के बीच 151 सैनिक भारत में घुसे, असम राइफल्स के सामने किया आत्मसमर्पण
म्यांमार की सत्तारूढ़ सेना और विद्रोही बलों में जारी संघर्ष के बीच सेना के कम से कम 151 जवान सीमा पार कर मिजोरम के सीमावर्ती गांवों में घुस गए हैं। द प्रिंट ने इस बात की जानकारी दी है। बताया जा रहा है कि ये सभी सैनिक दक्षिण मिजोरम के लांग्टलाई जिले के तुईसेंटलांग गांव में घुस गए हैं। फिलहाल असम राइफल्स के जवान इन्हें वापस स्वदेश लौटाने की कार्रवाई पर काम कर रहे हैं।
जवानों ने किया आत्मसमर्पण
द प्रिंट के मुताबिक, राज्य पुलिस द्वारा की गई प्रारंभिक जांच के आधार पर, तुईसेंटलांग के करीब स्थित एक गांव के पास म्यांमार सेना के अड्डे पर विद्रोहियों ने कब्जा कर लिया, जिसके बाद ये सैनिक शिविर छोड़ भाग गए। इन सैनिकों के पास हथियार भी हैं और सभी ने असम राइफल्स के सामने आत्मसमर्पण कर दिया है। फिलहाल सभी को पर्वा नामक एक जगह पर रखा गया है।
अब तक म्यांमार के 255 सैनिक भारत में घुसे
13 नवंबर से अब तक म्यांमार की सेना के 255 सैनिक असम रायफल्स के सामने आत्मसमर्पण के इरादे से भारत में घुस चुके हैं। इससे पहले नवंबर में अलग-अलग जगहों से 45, 29 और 30 सैनिक भारत में घुसे थे, जिन्हें जरूरी कार्रवाई के बाद वापस म्यांमार भेज दिया गया था। मिजोरम पुलिस ने कहा कि 151 सैनिकों को भी मणिपुर के मोरेह ले जाया जाएगा और फिर म्यांमार भेजा जाएगा।
5,000 से ज्यादा नागरिक भी भारत में घुसे
म्यांमार में जारी संघर्ष की वजह से 5,000 से ज्यादा आम लोग भी सीमा पार कर मिजोरम में शरण लेने पर मजबूर हैं। 2021 के बाद से अब तक म्यांमार के 31,364 लोग मिजोरम में आए हैं। दरअसल, म्यांमार के राज्य चिन और मिजोरम के बीच 510 किलोमीटर लंबी सीमा है। दोनों ही ओर लोगों को 25 किलोमीटर तक जाने पर कोई रोक नहीं है। म्यांमार के चिन और मिजोरम के मिजों लोगों के बीच संबंध भी अच्छे हैं।
न्यूजबाइट्स प्लस
1948 में आजादी के बाद से ही म्यांमार में गृहयुद्ध जारी है। यहां 1962 में सैन्य तख्तापलट हुआ था। इसके बाद 5 दशक तक सैन्य तानाशाही बनी रही और इसी दौरान लोकतंत्र समर्थक नेता आंग सान सू की ने लगभग 2 दशक नजरबंदी में गुजारे। 2020 में हुए चुनावों में सू की की पार्टी को जीत मिली, लेकिन सेना ने चुनाव में धांधली का आरोप लगाया और तख्तापलट कर दिया और देश में आपातकाल लगा दिया।