देश में कुत्तों के काटने के मामले बढ़े, अब अस्पतालों में एंटी-रेबीज टीके मिलेंगे मुफ्त
क्या है खबर?
केंद्र सरकार ने कुत्तों के काटने के मामलों में वृद्धि को देखते हुए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) की आवश्यक दवा सूची में एंटी-रेबीज टीके को शामिल करने का निर्णय लिया है।
स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, भारत में कुत्तों के काटने की घटनाओं में साल-दर-साल 26.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। साल 2022 में 21.8 लाख घटनाएं सामने आई थी, जो 2023 में बढ़कर 27.5 लाख तक पहुंच गई।
आइये पूरी खबर जानते हैं।
रिपोर्ट
अन्य दवाएं आवश्यक दवा सूची में की गईं शामिल
न्यूज 18 की रिपोर्ट्स के अनुसार, भारत में लगभग 75 प्रतिशत मामले आवारा कुत्तों के कारण होते हैं। सभी कुत्तों के काटने से रेबीज संक्रमण नहीं होता है, लेकिन इससे बचने के लिए एंटी-रेबीज टीका लगाने की सलाह दी जाती है।
अब एंटी-रेबीज टीके के अलावा, सिकल सेल रोग और हीमोफिलिया की दवाएं भी NHM की आवश्यक दवा सूची में शामिल की गई हैं।
इसका मतलब है कि ये सभी दवाएं अब सरकारी अस्पतालों में मुफ्त उपलब्ध कराई जाएंगी।
पत्र
सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को दिए निर्देश
NHM के अतिरिक्त सचिव और निदेशक एलएस चांगसन ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को लिखे अपने पत्र में कहा है कि सिकल सेल एनीमिया, हीमोफिलिया और रेबीज संक्रमण घातक है और इससे पीड़ित परिवारों पर वित्तीय और भावनात्मक बोझ पड़ता है।
इसमें आगे लिखा गया है कि रोगों की रोकथाम के लिए परामर्श, शीघ्र निदान और दवाओं की उपलब्धता आवश्यक है और इस उद्देश्य से दवाओं की खरीद के लिए वित्तीय सहायता भी प्रदान की जाएगी।
साल
एनीमिया और हीमोफीलिया को जड़ से खत्म करने का रखा लक्ष्य
स्वास्थ्य मंत्रालय ने NHM के तहत सिकल सेल एनीमिया और हीमोफीलिया जैसी बीमारियों को भी जड़ से खत्म करने का निर्णय लिया है। इसके तहत अगले 3.5 सालों में मिशन मोड में 7 करोड़ लोगों की जांच की जाएगी।
इसके अलावा सरकार ने 17 चयनित राज्यों पर ध्यान केंद्रित करते हुए इन बीमारियों की व्यापकता से निपटने और NHM के तहत नवजात से लेकर 40 साल तक की व्यक्तियों की जांच करने का लक्ष्य रखा है।
क्या होता है
क्या हैं सिकल सेल एनीमिया और हीमोफीलिया रोग?
सिकल सेल एनीमिया एक अनुवांशिक रोग है। यह मरीज की लाल रक्त कोशिकाओं को प्रभावित करता है। इससे शरीर में पर्याप्त स्वस्थ लाल रक्त कोशिकाएं नहीं बनती है, जिसके कारण एनीमिया (खून की कमी) हो जाती है।
इसी तरह हीमोफीलिया भी एक अनुवांशिक रोग है। इससे पीड़ित मरीज के शरीर में खून का थक्का ठीक से नहीं जमता है। इससे पीड़ित लोगों में कुछ निश्चित प्रोटीन की कमी होती है, जिसे खून का थक्का नहीं जमता।