चीन में फैल रही बीमारी से सरकार चिंतित, श्वसन संबंधी बीमारी वाले बच्चों की करेगी निगरानी
चीन में बच्चों में फैल रही सांस संबंधी बीमारी को लेकर अब भारत सरकार भी चिंतित हो गई है। सरकार ने जिला स्तर पर ऐसे बच्चों की निगरानी करने के आदेश दिए हैं, जिनमें श्वसन संबंधी बीमारियों के लक्षण देखे जा रहे हैं। प्रशासन अब इन बच्चों की निगरानी करेगा और इनके सैंपल प्रयोगशालाओं में भेजे जाएंगे। इन सैंपल की जांच कर बीमारी के पीछे संभावित वायरस का पता लगाने की कोशिश की जाएगी।
खतरे वाली बात नहीं, लेकिन निगरानी जरूरी- अधिकारी
हिंदुस्तान टाइम्स से बात करते हुए केंद्र सरकार के एक अधिकारी ने कहा, "यह पूरी तरह एहतियात के तौर पर किया जा रहा है। अभी कोई खतरे वाली बात नहीं है, लेकिन निगरानी बढ़ाना महत्वपूर्ण है। कोरोना वायरस के कारण श्वसन संबंधी बीमारियों पर नजर रखने के लिए पहले से ही एक निगरानी प्रणाली मौजूद है, जिसका उपयोग आगे की निगरानी के लिए किया जाएगा। भारत के लिए जोखिम कम बना हुआ है।"
स्वास्थ्य मंत्रालय ने दिशा-निर्देश लागू करने की दी सलाह
स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी राज्यों को कोरोना वायरस महामारी के दौरान साझा किए गए परिचालन दिशा-निर्देशों को लागू करने की सलाह दी है। केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव ने राज्यों से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि एकीकृत रोग निगरानी परियोजना (IDSP) की जिला और राज्य इकाइयों द्वारा बच्चों और किशोरों के बीच इंफ्लुएंजा बीमारी (ILI) और गंभीर तीव्र श्वसन रोग (SARI) के मामलों की बारीकी से निगरानी की जानी चाहिए।
बच्चों और किशोरों के सैंपल की होगी जांच
स्वास्थ्य सचिव ने राज्यों को लिखे पत्र में कहा कि सभी सार्वजनिक स्वास्थ्य संस्थानों में ऐसे मरीजों की जानकारी IDSP पोर्टल पर अपलोड की जाए। इसके अलावा श्वसन संबंधी बीमारियों से जूझ रहे बच्चों और किशोरों के नाक और गले के सैंपलों को भी जांच के लिए भेजा जाएगा। पत्र में कहा गया है कि इन एहतियाती उपायों से किसी भी संभावित स्थिति में नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की उम्मीद है।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने 26 नवंबर को भी दिए थे निर्देश
इससे पहले 26 नवंबर को भी स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी राज्यों को निर्देश जारी किए थे। मंत्रालय ने राज्यों को अस्पतालों में मानव संसाधन की उपलब्धता, बेड, इन्फ्लूएंजा के लिए दवाएं और टीके, ऑक्सीजन संयंत्रों और वेंटिलेटरों की कार्यक्षमता, एंटीबायोटिक्स, व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण, टेस्ट किट, ऑक्सीजन संयंत्रों और वेंटिलेटर की कार्यक्षमता की समीक्षा करने को कहा था। मंत्रालय ने कहा था कि वो स्थिति पर बारीकी से नजर रख रहा है और फिलहाल चिंता करने की आवश्यकता नहीं है।
चीन में क्या हो रहा है?
चीन में बच्चों में सांस संबंधी बीमारियों के मामले बढ़ रहे हैं। इसकी चपेट में आए लगभग 1,200 बच्चों को अस्पतालों में भर्ती करना पड़ा है। बच्चों के फेफड़ों में सूजन आ रही है और तेज बुखार की वजह से शरीर का तापमान बढ़ रहा है। विशेषज्ञ इसे माइकोप्लाज्मा निमोनिया से जोड़कर देख रहे हैं, जिसे 'वॉकिंग निमोनिया' भी कहा जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भी इस संबंध में चीन से जानकारी मांगी है।