AAP नेता सत्येंद्र जैन की बढ़ेंगी मुश्किलें, गृह मंत्रालय ने राष्ट्रपति से मांगी ये अहम मंजूरी
क्या है खबर?
दिल्ली की सत्ता से बाहर होने के बाद आम आदमी पार्टी (AAP) की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। अब दिल्ली सरकार के पूर्व मंत्री सत्येंद्र जैन के खिलाफ कोर्ट में मामला चलाने के लिए गृह मंत्रालय ने राष्ट्रपति से अनुमति मांगी है।
गृह मंत्रालय ने जैन के खिलाफ भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNS), 2023 की धारा 218 के तहत कोर्ट में मामला चलाने के लिए अभियोजन की मंजूरी देने के लिए राष्ट्रपति से इजाजत मांगी है।
मामला
क्या है मामला?
बता दें कि जैन के खिलाफ 2017 में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया था। उन पर शेल कंपनियां बनाकर करोड़ों रुपये का काला धन ट्रांसफर करने का आरोप है।
बाद में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने भी जैन के खिलाफ मामला दर्ज किया था और 2022 में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था। अक्टूबर, 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने जैन को जमानत दे दी थी।
अनुमति
राष्ट्रपति से क्यों मांगी जा रही है अनुमति?
जैन AAP सरकार में मंत्री रह चुके हैं और कई अहम विभागों की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं।
मौजूदा नियमों के तहत, आधिकारिक कर्तव्यों के दौरान किए गए अपराध से जुड़े मामलों में मुकदमा चलाने के लिए सरकार से मंजूरी लेना जरूरी होता है। ऐसे में जैन के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए गृह मंत्रालय ने मंजूरी मांगी है।
मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि ED की जांच और पर्याप्त सबूतों के आधार पर मंजूरी मांगी गई है।
धारा 218
क्या है BNS की धारा 218?
BNS की धारा 218 में 5 उपधाराएं हैं। धारा 218 में जज, मजिस्ट्रेट और सरकारी अधिकारियों पर मुकदमा चलाने के नए नियम बताए गए हैं।
धारा 218(1) के मुताबिक, अगर कोई जज, मजिस्ट्रेट या ऐसा सरकारी अधिकारी, जिसे सरकार की मंजूरी से ही नौकरी से हटाया जा सकता है, अपने कर्तव्यों के दौरान किसी अपराध में फंसता है तो उस पर मुकदमा चलाने से पहले सरकार की अनुमति लेना जरूरी होता है।
आरोप
जैन पर क्या आरोप हैं?
जैन पर अपने परिजनों और रिश्तेदारों के साथ मिलकर 2011-12 में 11.78 करोड़ रुपये और 2015-16 में 4.63 करोड़ रुपये की मनी लॉन्ड्रिंग के लिए फर्जी कंपनियां बनाने का आरोप है।
CBI ने आरोप पत्र में कहा था कि जैन की संपत्ति 1.47 करोड़ रुपये थी, जो 2015-17 के बीच उनकी कुल आय से करीब 217 प्रतिशत ज्यादा थी।
ED ने जैन पर हवाला और शेल कंपनियों के जरिए काला धन ट्रांसफर करने के आरोप लगाए थे।