बजट 2021: 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' सहित महिलाओं की कई प्रमुख योजनाओं की अनदेखी
क्या है खबर?
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को लोकसभा में वित्त वर्ष 2021-22 का बजट पेश किया।
इसमें कोरोना महामारी के बीच जहां स्वास्थ्य सेवा खर्च में 137 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई है, वहीं इन्फ्रास्ट्रक्चर पर जोर देते हुए कई ऐलान किए गए हैं।
हालांकि, इस दौरान भाजपा सरकार के प्रमुख अभियान 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' सहित अन्य योजनाओं की अनदेखी करते हुए कोई घोषणा नहीं की गई।
यहां जानते हैं उन प्रमुख योजनाओं के बारे में।
#1
'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' अभियान की अनदेखी
गिरते बाल लिंग अनुपात (CSR) को रोकने और महिला सशक्तीकरण के मुद्दों के समाधान के लिए भाजपा सरकार ने साल 2015 में 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' अभियान शुरू किया था।
इसमें कम लिंगानुपात और बालिका शिक्षा वाले राज्य और जिलों पर विशेष ध्यान दिया जाता है। इसी तरह बालिकाओं की सुरक्षा और संरक्षण के लिए भी काम किया जाता है।
ऐसे में बजट में इसके लिए घोषणा नहीं होने से इसके प्रयासों में कमी आने की संभावना रहेगी।
#2
स्वाधार योजना के लिए भी नहीं हुई कोई घोषणा
बजट में वित्त मंत्री ने सरकारी की दूसरी अहम 'स्वाधार योजना' के लिए भी कोई घोषणा नहीं की है।
केन्द्र सरकार की इस योजना के तहत महिलाओं के लिए निवास स्थान बनाए जाते हैं जहां वह तीन वर्ष से लेकर पांच वर्ष तक की अवधि के लिए रह सकती हैं। यहां उनके रहने, खाने-पीने, चिकित्सा सुविधा, काउंसलिंग, वोकेशनल ट्रेनिंग आदि की व्यवस्था की जाती है।
ऐसे में बजट नहीं मिलने से इस योजना के क्रियान्वयन पर भी असर पड़ेगा।
#3
वन स्टॉप सेंटर योजना के भी नहीं हुई कोई घोषणा
बजट में सरकार ने अपनी तीसरी प्रमुख 'वन स्टॉप सेंटर' योजना के लिए भी काई घोषणा नहीं की है।
यह इंदिरा गांधी मातृ सहयोग योजना सहित राष्ट्रीय महिला सशक्तीकरण मिशन के लिए अम्ब्रेला योजना की एक उप-योजना है।
इस योजना के तहत पूरे देश में चरणबद्ध तरीके से निजी और सार्वजनिक दोनों जगहों पर हिंसा से प्रभावित महिलाओं को एक स्थान पर एकीकृत समर्थन और सहायता प्रदान करने के लिए वन स्टॉप सेंटर स्थापित किए जा रहे हैं।
जानकारी
समेकित बाल संरक्षण योजना की भी हुई अनदेखी
बजट में सरकार ने समेकित बाल संरक्षण योजना (ICPS) की भी अनदेखी की है। इसमें देखरेख और संरक्षण के जरूरतमंद बच्चों और विधि का उल्लंघन करने वाले किशोरों पर विशेष ध्यान दिया जाता है। इसी तरह असुरक्षित बच्चों की देखरेख एवं पुनर्वास किया जाता है।
#4
प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के लिए भी कुछ नहीं
बजट में भाजपा सरकार द्वारा अपग्रेड की गई प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के लिए भी कोई घोषणा नहीं की गई है।
इस योजना में गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं के कल्याण के लिए कार्य किया जाता है।
इसमें सरकार की ओर से गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को 5,000 रुपये की आर्थिक मदद दी जाती है।
ऐसे में बजट में योजना के लिए कोई भी नई घोषणा नहीं करने से इसे प्रभावी क्रियान्वयन पर असर पड़ सकता है।
कमी
WCD के बजट में की 18 प्रतिशत की कटौती
बजट में महिलाओं और बच्चों के उत्थान पर फोकस के लिए काम करने वाले केंद्रीय महिला बाल विकास (WCD) मंत्रालय के बजट में 18 प्रतिशत की कटौती की गई है।
साल 2020-21 बजट में WCD के लिए 30,001 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया था, लेकिन वित्त वर्ष 2021-22 के लिए इसमें बड़ी कटौती के साथ महज 24,435 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं।
ऐसे में इस साल मंत्रालय के विकास कार्यों पर बड़ा असर पड़ सकता है।
सबसे ज्यादा
इन दो योजनाओं को दिया सबसे अधिक बजट
वित्त मंत्री ने बजट में प्रमुख योजनाओं की अनदेखी करते हुए नई घोषित सक्षम आंगनबाड़ी और मिशन पोषण-2.0 के लिए सबसे अधिक 20,105 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया है।
वित्त मंत्री ने मिशन पोषण 2.0 में एकीकृत बाल विकास सेवा (ICDS), आंगनबाड़ी सेवाओं, पोषण अभियान, किशोरियों के लिए योजना और राष्ट्रीय क्रेच योजनाओं को भी शामिल करने की बात कही है। बजट को इन सभी पर खर्च किया जाएगा।
जानकारी
सामाजिक सेवा क्षेत्र के लिए बढ़ाया बजट
वित्त मंत्री ने बजट में सामाजिक सेवा क्षेत्र के तहत लोगों के पोषण और सामाजिक सुरक्षा तथा कल्याण के लिए साल 2020-21 में घोषित किए गए 2,411.80 करोड़ रुपये के बजट को बढ़ाकर साल 2021-22 में 3,575.96 करोड़ रुपये करने की घोषणा की है।