प्रधानमंत्री ने फिर किया कृषि कानूनों का बचाव, किसान आंदोलन के लिए विपक्ष को ठहराया जिम्मेदार
केंद्र सरकार की ओर से लागू किए गए तीन कृषि कानूनों के विरोध में किसानों का प्रदर्शन जारी है। सरकार के कई बार समझाने के बाद भी किसानों को कानूनों से होने वाले फायदों पर भरोसा नहीं हो रहा है और वह अपनी मांग पर अड़े हैं। इसी बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर से कृषि कानूनों का बचाव किया है और देश में हो रहे किसान आंदोलन के लिए पूरी तरह से विपक्ष को जिम्मेदार ठहराया है।
किसानों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है सरकार- मोदी
गुजरात के कच्छ में डिसेलिनेशन प्लांट और दूध प्रसंस्करण और पैकेजिंग संयंत्र के शिलान्यास समारोह में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, "भारत सरकार हमेशा किसानों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है और हम किसानों को आश्वासन देते हैं कि उनकी सभी चिंताओं को दूर किया जाएगा।" उन्होंने कहा, "नए कृषि कानूनों से वही सुधार हुआ है, जिसके बारे में किसान और यहां तक भी विपक्षी दल भी सालों से पूछते आ रहे हैं और जिसकी मांग करे हैं।"
दिल्ली के आस-पास के किसानों को किया गया है भ्रमित- मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि दिल्ली और उसके आस-पास के क्षेत्रों के किसानों को भ्रमित किया जा रहा है। सत्ता में रहते जिन लोगों ने कृषि क्षेत्र में सुधार का काम नहीं किया आज भी किसानों को गुमराह कर अपना राजनीतिक हित साधने का प्रयास कर रहे हैं। प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि आज विपक्ष किसानों के कंधे पर बंदूक रखकर गोली चला रहा है, लेकिन देश के जागरूक किसान उनको इसका जवाब जरूर देगा।
किसानों की समस्या के समाधान के लिए 24 घंटे तैयार है सरकार- मोदी
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि गुजरात का किसान मुक्त बाजार का फायदा उठा रहा है तो देश के अन्य राज्यों के किसानों को भी यह व्यवस्था मिलनी चाहिए। उन्होंने लोगों से पूछा कि डेयरी में दूध देने वाले पशुपालकों से जब कांट्रेक्ट किया जाता है तो क्या उनके पशु या गाय भैंस को कोई ले गया है या किसी किसान की जमीन पर किसी ने कब्जा किया है। किसानों की समस्या के समाधान के लिए सरकार 24 घंटे तैयार है।
कृषि कानूनों से जुड़ा मुद्दा क्या है?
मोदी सरकार कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए तीन कानून लेकर लाई है जिनमें सरकारी मंडियों के बाहर खरीद के लिए व्यापारिक इलाके बनाने, अनुबंध खेती को मंजूरी देने और कई अनाजों और दालों की भंडारण सीमा खत्म करने समेत कई प्रावधान किए गए हैं। पंजाब और हरियाणा समेत कई राज्यों के किसान इन कानूनों का जमकर विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि इनके जरिये सरकार मंडियों और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से छुटकारा पाना चाहती है।
सोमवार को भूख हड़ताल पर बैठे थे किसान
कृषि कानूनों को निरस्त कराने की मांग को लेकर सभी किसान यूनियनों के नेता सोमवार को सिंघु बॉर्डर पर सामूहिक भूख हड़ताल पर बैठे थे। किसान नेताओं के भूख हड़ताल पर बैठने के साथ ही सभी जिला मुख्यालयों पर भी प्रदर्शन किए गया था। 32 किसान संगठनों ने इस भूख हड़ताल का आह्वान किया था। हालांकि, भारतीय किसान यूनियन (उगराहां) इस आह्वान से अलग रहा और उसने भूख हड़ताल में हिस्सा नहीं लिया था।
किसानों से बातचीत की तैयार कर रही है सरकार
इधर, किसानों के आंदोलन को खत्म कराने के लिए सरकार उनसे बातचीत आगे बढ़ाने का प्रयास कर रही है। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि सरकार दोनों पक्षों के बीच वार्ता की अगली तारीख का फैसला करने के लिए किसानों नेताओं के संपर्क में है। उन्होंने कहा कि सरकार किसी भी समय बातचीत के लिए तैयार है। किसान नेताओं को फैसला कर सरकार को बताना है कि वो अगली बातचीत के लिए कब तैयार हैं।