लॉकडाउन के दौरान सैलरी नहीं देने वाली कंपनियों पर नहीं होगी कार्रवाई, SC ने लगाई रोक
क्या है खबर?
सु्प्रीम कोर्ट ने लॉकडाउन के दौरान कर्मचारियों को पूरी सैलरी नहीं देने वाली निजी कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई पर जुलाई के अंत तक रोक लगा दी है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने ये आदेश जारी किया था, जिसको सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी।
कोर्ट ने सरकारों से कंपनियों और कर्मचारियों के बीच बातचीत कराने और बीच का रास्ता निकालने को कहा है। केंद्र सरकार को मामले में जबाव दाखिल करने के लिए चार हफ्ते का समय दिया गया है।
पृष्ठभूमि
गृह मंत्रालय ने 29 मार्च को जारी किया था सर्कुलर
लॉकडाउन शुरू होने के बाद 29 मार्च को गृह मंत्रालय ने सर्कुलर जारी करते हुए सभी कंपनियों से लॉकडाउन के दौरान अपने सभी कर्मचारियों को बिना किसी कटौती के अनिवार्य तौर पर सैलरी देने का आदेश दिया था।
इस आदेश के खिलाफ कुटीर, लघु और मध्यम उद्योगों (MSMEs) समेत कई कंपनियों ने 18 याचिकाएं दायर की थीं। कंपनियों ने गृह मंत्रालय के इस आदेश को गैरकानूनी बताते हुए इसकी वैधानिकता को चुनौती दी है।
याचिका
कंपनियों ने दिया खुद को हुए नुकसान का हवाला
कंपनियों ने कर्मचारियों को पूरी सैलरी न देने के पीछे लॉकडाउन के दौरान खुद को हुए नुकसान का तर्क दिया है।
कपड़ा बनाने वाली एक कंपनी ने अपनी याचिका में कहा था कि 25 मार्च को लॉकडाउन शुरू होने के बाद से काम बंद है और 25 अप्रैल तक उसे डेढ़ करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है।
उसने कहा कि सरकार के आदेश के मुताबिक उसे कर्मचारियों को पूरा वेतन देना होगा जो पौने दो करोड़ रुपये होता है।
सुनवाई
कोर्ट ने कहा- उद्योगों और मजदूरों को एक-दूसरे की जरूरत
आज इन याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए जस्टिस अशोक भूषण, संजय किशन कौल और एमआर शाह की बेंच ने अपनी अगली सुनवाई तक कर्मचारियों को वेतन न देने वाली कंपनियों पर कोई भी कार्रवाई करने पर रोक लगा दी।
बेंच ने कहा, "इस बात पर बहस नहीं की जा सकती कि उद्योगों और मजदूरों को एक-दूसरे की जरूरत है। 50 दिन की सैलरी के भुगतान के विवाद को सुलझाने के लिए प्रयास किए जाने चाहिए।"
जबाव
केंद्र सरकार से मांगा आदेश की वैधानिकता पर जबाव
सुप्रीम कोर्ट ने कंपनियों और कर्मचारियों के बीच बातचीत कराने और विवाद को सुलझाने का जिम्मा राज्यों के श्रम विभागों को दिया है।
इसके अलावा केंद्र सरकार को 29 मार्च को जारी गृह मंत्रालय के आदेश की वैधानिकता पर अगली सुनवाई तक विस्तृत जबाव दाखिल करने को कहा गया है।
बेंच मामले की अगली सुनवाई जुलाई के आखिरी हफ्ते में करेगी और तब तक कंपनियों के खिलाफ किसी भी कार्रवाई पर रोक जारी रहेगी।
जानकारी
भारत में 25 मार्च से 31 मई तक रहा था लॉकडाउन
बता दें कि कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए भारत में 25 मार्च से 31 मई तक राष्ट्रीय लॉकडाउन रहा था। इस दौरान ज्यादातर आर्थिक गतिविधियां पूरी तरह से बंद रही थीं। अभी 'अनलॉक 1' के तहत देश को खोला जा रहा है।