मथुरा की शाही ईदगाह मस्जिद का होगा सर्वे, कोर्ट ने हिंदू सेना की याचिका की स्वीकार
उत्तर प्रदेश के मथुरा की जिला अदालत ने शनिवार को श्री कृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्जिद विवाद में एक बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने मामले में पक्षकार हिंदू सेना की याचिका को स्वीकार करते हुए वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद की तरह शाही ईदगाह मस्जिद परिसर का सर्वे कराने का आदेश दिया है। बता दें कि सर्वे भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा किया जाएगा और मामले की अगली सुनवाई 20 जनवरी को होगी।
2 जनवरी के बाद शुरू होगा सर्वे
NDTV के मुतबिक, कोर्ट ने सर्वे का काम 2 जनवरी के बाद शुरू करने का आदेश दिया है। बता दें कि हिंदू सेना के विष्णु गुप्ता ने दावा किया था कि शाही ईदगाह मस्जिद में स्वास्तिक का चिह्न, मंदिर होने के प्रतीक के साथ मस्जिद के नीचे भगवान श्री कृष्ण का गर्भ गृह है। उन्होंने अपनी याचिका में कहा था कि शाही ईदगाह में हिंदू स्थापत्य कला के सबूत मौजूद हैं और ये वैज्ञानिक सर्वे के बाद सामने आ जाएंगे।
मथुरा कोर्ट ने स्वीकार की थी मस्जिद हटाने की मांग करने वाली याचिका
बता दें कि मथुरा की जिला अदालत ने इस साल मई में मस्जिद को हटाने की मांग करने वाली याचिका स्वीकार की थी। याचिकाकर्ताओं ने अदालत से श्रीकृष्ण जन्मस्थान की 13.37 एकड़ वापस दिलाने की गुहार लगाई थी। साथ ही इसमें उपासना स्थल अधिनियम 1991 को भी चुनौती देते हुए कहा गया है कि धर्मस्थानों का प्रबंधन और कानून-व्यवस्था राज्यों के अधीन है। ऐसे में केंद्र ने यह कानून बनाकर राज्यों के अधिकार क्षेत्र में हस्तक्षेप किया है।
पहले सिविल अदालत ने खारिज की थी याचिका
याचिकाकर्ता का कहना है कि कृष्ण जन्मभूमि पर गलत तरीके से इस मस्जिद का निर्माण किया गया था। कई साल पहले इस जगह को लेकर समझौता किया गया था, लेकिन वह अवैध है। पहले सिविल अदालत ने 2020 में इस याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि इसे उपासना स्थल अधिनियम 1991 के तहत दायर नहीं किया जा सकता। सिविल अदालत के इस फैसले के खिलाफ याचिकाकर्ता जिला अदालत पहुंचे थे।
क्या है शाही ईदगाह मस्जिद से जुड़ा विवाद?
यह पूरा विवाद कृष्ण जन्मभूमि के 13.37 एकड़ भूमि के मालिकाना हक को लेकर है। इसमें से 10.9 एकड़ जमीन श्रीकृष्ण जन्मस्थान और 2.5 एकड़ जमीन शाही ईदगाह के पास है। हिंदुओं का दावा है कि मुगल शासक औरंगजेब ने यहां भगवा केशवदेव का मंदिर तोड़कर मस्जिद बनवाई थी। पिछले साल अखिल भारतीय हिंदू महासभा ने मस्जिद के भीतर श्रीकृष्ण की मूर्ति स्थापित करने का ऐलान किया था, जिसके बाद यह विवाद तूल पकड़ता गया।