कोर्ट का 17 मई तक ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वे पूरा करने का आदेश, वीडियोग्राफी भी होगी
क्या है खबर?
वाराणसी की एक कोर्ट ने काशी विश्वनाथ मंदिर के बगल में स्थित ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वे 17 मई तक पूरा करने का आदेश दिया है।
पिछले शुक्रवार को ये सर्वे शुरू किया गया था, लेकिन मस्जिद के अंदर घुसने और वीडियोग्राफी करने पर विवाद के कारण ये पूरा नहीं हो पाया था।
मस्जिद समिति ने कहा था कि कोर्ट ने मस्जिद में घुसकर वीडियोग्राफी करने का आदेश नहीं दिया है।
अब कोर्ट ने वीडियोग्राफी करने की मंजूरी दे दी है।
मामला
क्या है पूरा मामला?
दिल्ली की पांच महिलाओं ने कोर्ट में याचिका दायर कर मांग की थी कि मस्जिद परिसर में मौजूद मां शृंगार गौरी, भगवान गणेश, भगवान हनुमान, आदि विशेश्वर, नंदीजी और अन्य देवी-देवताओं के दर्शन, पूजा और भोग की इजाजत साल भर मिलनी चाहिए। अभी साल में केवल एक बार दर्शन की इजाजत है।
उन्होंने मस्जिद के परिसर में मौजूद कुएं में शिवलिंग होने का दावा भी किया और मूर्तियों के अस्तित्व को सुनिश्चित करने के लिए निरीक्षण की मांग की।
पुराना फैसला
कोर्ट ने दिया था सर्वे करने का आदेश, लेकिन विरोध के कारण नहीं हो सका अमल
9 अप्रैल को इस याचिका पर फैसला सुनाते हुए रवि कुमार दिवाकर की वाराणसी सिविल कोर्ट (सीनियर डिविजन) ने एडवोकेट कमिश्नर अजय कुमार को मस्जिद परिसर का निरीक्षण और वीडियोग्राफी करने का आदेश दिया था।
शुक्रवार को ये सर्वे शुरू किया गया, लेकिन अगले ही दिन वीडियोग्राफी और मस्जिद में प्रवेश को लेकर मस्जिद समिति के विरोध के कारण इसे बंद करना पड़ा।
अब कोर्ट ने फिर से वीडियाग्राफी के साथ सर्वे करने का आदेश दिया है।
राजनीतिक प्रतिक्रिया
ओवैसी ने उठाए फैसले पर सवाल
AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने सर्वे कराने के कोर्ट के फैसले पर आपत्ति जताई है। उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा कि ये आदेश पूजा स्थल अधिनियम, 1991 का उल्लंघन करता है जिसमें धार्मिक स्थलों के परिवर्तन पर रोक लगाई गई है।
उन्होंने कहा, "ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि कोर्ट सरेआम सुप्रीम कोर्ट का उल्लंघन कर रही है। इस आदेश के जरिए कोर्ट 1980-90 के रथ यात्रा और मुस्लिम विरोधी रक्तपात के लिए रास्ता खोल रही है।"
विवाद
क्या है ज्ञानवापी मस्जिद और काशी विश्वनाथ मंदिर का सदियों पुराना विवाद?
हिंदू पक्ष का दावा है कि ज्ञानवापी मस्जिद को मुगल शहंशाह औरंगजेब के निर्देश पर बनाया गया था और इसके लिए काशी विश्वनाथ मंदिर के एक हिस्से को तोड़ा गया था। उनका कहना है कि मस्जिद मंदिर की जमीन पर बना हुआ है।
दूसरी तरह मस्जिद समिति का कहना है कि मंदिर का मस्जिद से कोई संबंध नहीं है और ये अलग जमीन पर बनी हुई है। पिछले तीन दशक में ये विवाद कई बार सुर्खियों में रह चुका है।