क्यों एक बार फिर से सुर्खियों में आया काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद का मामला?
क्या है खबर?
वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद का मामला एक बार फिर से गर्मा गया है और एक स्थानीय कोर्ट के आदेश के बाद मस्जिद के एक हिस्से का सर्वे और वीडियोग्राफी की जा रही है।
यह सर्वे यह पता लगाने के लिए किया जा रहा है कि क्या मस्जिद में हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां हैं। मस्जिद समिति ने इस सर्वे का विरोध किया है।
ये पूरा मामला क्या है, आइए आपको विस्तार से बताते हैं।
विवाद
क्या है ज्ञानवापी मस्जिद और काशी विश्वनाथ मंदिर का सदियों पुराना विवाद?
हिंदू पक्ष का दावा है कि ज्ञानवापी मस्जिद को मुगल शहंशाह औरंगजेब के निर्देश पर बनाया गया था और इसके लिए काशी विश्वनाथ मंदिर के एक हिस्से को तोड़ा गया था। उनका कहना है कि मस्जिद मंदिर की जमीन पर बना हुआ है।
दूसरी तरह मस्जिद समिति का कहना है कि मंदिर का मस्जिद से कोई संबंध नहीं है और ये अलग जमीन पर बनी हुई है।
पिछले तीन दशक में ये विवाद कई बार सुर्खियों में रह चुका है।
मौजूदा विवाद
अब कैसे सुर्खियों में आया विवाद?
मंदिर-मस्जिद का ये विवाद अभी राखी सिंह के नेतृत्व में दिल्ली की पांच महिलाओं की याचिका के कारण सुर्खियों में आया है।
वाराणसी के एक कोर्ट में याचिका दाखिल करते हुए इन महिलाओं ने कहा था कि उन्हें मस्जिद परिसर में मौजूद माँ शृंगार गौरी, भगवान गणेश, भगवान हनुमान, आदि विशेश्वर, नंदीजी और अन्य देवी-देवताओं के दर्शन, पूजा और भोग की इजाजत साल भर मिलनी चाहिए।
अभी साल में केवल एक बार दर्शन की इजाजत है।
अन्य अनुरोध
याचिका में अन्य क्या-क्या अनुरोध किए गए?
महिलाओं ने अपनी याचिका में मस्जिद समिति को देवी-देवताओं की मूर्तियों को तोड़ने, गिराने या नुकसान पहुंचाने से रोकने का निर्देश देने का अनुरोध भी किया है।
इसके अलावा उत्तर प्रदेश सरकार को सुरक्षा के सभी इंतजाम करने का निर्देश देने की अपील भी की गई है।
याचिकाकर्ताओं ने मस्जिद के परिसर में मौजूद कुएं में शिवलिंग होने का दावा भी किया और मूर्तियों के अस्तित्व को सुनिश्चित करने के लिए निरीक्षण की मांग की।
फैसला
कोर्ट ने क्या फैसला सुनाया?
रवि कुमार दिवाकर की वाराणसी सिविल कोर्ट (सीनियर डिविजन) ने 9 अप्रैल को फैसला सुनाते हुए एडवोकेट कमिश्नर अजय कुमार को मस्जिद परिसर का निरीक्षण और वीडियोग्राफी करने का आदेश दिया था।
मस्जिद समिति इस फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट गई जिसने उसकी याचिका को खारिज कर दिया।
सिविल कोर्ट ने ईद के बाद और 10 मई तक सर्वे करने का आदेश दिया था जिसके अनुरूप शुक्रवार से ये सर्वे शुरू हो गया। इसके तीन-चार दिन चलने की संभावना है।
जानकारी
मस्जिद समिति ने किया वीडियोग्राफी का विरोध
मस्जिद समिति ने परिसर की वीडियोग्राफी का विरोध किया है। उनका कहना है कि सर्वे किया जा सकता है, लेकिन वो वीडियो नहीं बनाने देंगे। इसी कारण इलाके में भारी मात्रा में पुलिस बल तैनात किया गया है।
राजनीतिक प्रतिक्रिया
ओवैसी ने उठाए फैसले पर सवाल
AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कोर्ट के फैसले पर आपत्ति जताई है। उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा कि ये आदेश पूजा स्थल अधिनियम, 1991 का उल्लंघन करता है जिसमें धार्मिक स्थलों के परिवर्तन पर रोक लगाई गई है।
उन्होंने कहा, "ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि कोर्ट सरेआम सुप्रीम कोर्ट का उल्लंघन कर रही है। इस आदेश के जरिए कोर्ट 1980-90 के रथ यात्रा और मुस्लिम विरोधी रक्तपात के लिए रास्ता खोल रही है।"