मराठा आरक्षण आंदोलन: मराठों को मिलेगा कुनबी जाति का प्रमाणपत्र, सुप्रीम कोर्ट भी जाएगी सरकार
महाराष्ट्र सरकार आज मराठा समुदाय के लिए कुनबी जाति के 11,530 नए प्रमाणपत्र जारी करेगी। आरक्षण आंदोलन के बीच राज्य के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने मराठा समुदाय को शांत करने के लिए इसकी घोषणा की थी। राजस्व विभाग आज से मराठा समुदाय के सदस्यों को वैध दस्तावेजों के साथ कुनबी प्रमाणपत्र जारी करेगा। इसके अलावा सरकार ने वादा किया कि वो मराठा आरक्षण रद्द करने के 2018 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर भी उपचारात्मक याचिका दायर करेगी।
कौन हैं कुनबी और मराठाओं को ये प्रमाणपत्र मिलना क्यों अहम?
मराठा एक खास वर्ग न होकर वर्गों का एक समूह है, जिसमें किसान, जमींदार और योद्धा शामिल हैं। देशमुख, भोंसले, मोरे, शिर्के और जाधव जैसे उपनाम वाले मराठा क्षत्रिय माने जाते हैं, वहीं बाकियों के कुनबी नामक कृषि उपजाति से होने का दावा किया जाता है। कुनबी जाति पहले से ही अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) में शामिल हैं, ऐसे में अगर मराठों को कुनबी होने के प्रमाणपत्र जारी किए जाते हैं तो वो OBC आरक्षण का लाभ उठा सकेंगे।
किस आधार पर जारी किए जा रहे कुनबी प्रमाणपत्र?
मराठा समुदाय के लोगों को निजाम युग के दस्तावेजों, वंश, शिक्षा और आय प्रमाणपत्र और उस अवधि के समझौतों से संबंधित दस्तावेजों की जांच करके कुनबी जाति के प्रमाणपत्र जारी किए जा रहे हैं। इस दस्तावेजों की जांच के लिए शिंदे सरकार ने एक समिति का गठन किया था। समिति की अगुवाई सेवानिवृत्त न्यायाधीश संदीप शिंदे कर रहे हैं। समिति ने सोमवार को मुख्यमंत्री शिंदे की अध्यक्षता में हुई बैठक में 13 पन्नों की अपनी पहली रिपोर्ट पेश की।
पहली रिपोर्ट में कही गई 11,530 कुनबी की पहचान होने की बात
अपनी पहली रिपोर्ट में समिति ने कहा कि वह 1.73 करोड़ रिकॉर्ड की जांच कर चुकी है, जिसमें 11,530 कुनबी की पहचान हुई। आज इस रिपोर्ट को कैबिनेट के समक्ष पेश किया जाएगा और इन सभी को कुनबी प्रमाणपत्र मिलेगा।
सुप्रीम कोर्ट में अपील के लिए विशेषज्ञ समिति के गठन का भी ऐलान
कुनबी को प्रमाणपत्र देने के अलावा राज्य सरकार ने ऐलान किया कि वो एक विशेषज्ञ समिति का गठन करेगी, जो उपचारात्मक याचिका को लेकर उन्हें परामर्श देगी। इस समिति में 3 सेवानिवृत न्यायाधीश होंगे, जो सुप्रीम कोर्ट द्वारा बताए गए आरक्षण रद्द करने के कारणों की जांच करेंगे और कोई रास्ता निकालेंगे। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 5 मई, 2021 को महाराष्ट्र सरकार द्वारा मराठा समुदाय को दिए गए आरक्षण के फैसले को रद्द कर दिया था।
क्या है मराठा आरक्षण का पूरा मामला?
2018 में तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की सरकार ने नौकरी सहित कई क्षेत्रों में मराठा समुदाय को 16 प्रतिशत आरक्षण दिया था। बॉम्बे हाई कोर्ट ने इसे कम कर नौकरियों में 12 प्रतिशत और शिक्षा में 13 प्रतिशत आरक्षण कर दिया। हालांकि, 2021 में सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने इसे पूरी तरह रद्द कर दिया। कोर्ट ने इसे असंवैधानिक करार देते हुए समानता के अधिकार का उल्लंघन बताया। अभी मराठा फिर से आरक्षण के लिए आंदोलन कर रहे हैं।