महाराष्ट्र्र: जालना में मराठा आरक्षण को लेकर दूसरे दिन भी हिंसा जारी, वाहनों में लगाई आग
महाराष्ट्र के जालना जिले में शुक्रवार को मराठा आरक्षण की मांग को लेकर भड़की हिंसा शनिवार को भी जारी है। प्रदर्शनकारियों ने शनिवार को अंबाड में एक ट्रक समेत कई अन्य वाहनों को आग लगा दी, जबकि घटनास्थल पर मौजूद एक पत्रकार भी घायल हो गया। गौरतलब है कि शुक्रवार शाम को प्रदर्शनकरियों और पुलिस के बीच हुई हिंसक झड़प में भी करीब 40 पुलिसकर्मियों समेत कई लोग घायल हो गए थे।
पुलिस ने 360 लोगों के खिलाफ दर्ज किया केस
न्यूज18 के मुताबिक, पुलिस ने हिंसा में कथित तौर पर शामिल होने को लेकर 360 से अधिक लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया है, जिनमें से 16 लोगों की पहचान हो चुकी है। पुलिस ने भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 307 (हत्या का प्रयास), धारा 333 (लोक सेवक को उसके कर्तव्य से रोकने के लिए जानबूझकर गंभीर चोट पहुंचाना) और धारा 353 (लोक सेवक को कर्तव्य के निर्वहन से रोकने के लिए हमला करना) के तहत दर्ज किया है।
कैसे भड़की थी हिंसा?
जालना की अंबाड तहसील में धुले-सोलापुर रोड पर अंतरवाली सारथी गांव में स्थानीय नेता मनोज जारांगे के नेतृत्व में प्रदर्शनकारी मंगलवार से शिक्षा और नौकरियों में मराठा समुदाय के लिए आरक्षण की मांग को लेकर भूख हड़ताल कर रहे थे। अधिकारियों ने कहा कि जब पुलिस ने डॉक्टरों की सलाह पर जारांगे को अस्पताल में स्थानांतरित करने की कोशिश की तो भीड़ अचानक उग्र हो गई और पुलिसकर्मियों पर पथराव करना शुरू कर दिया।
पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर किया था लाठीचार्ज
पुलिस ने प्रदर्शनकारियों की भीड़ को तितर-बितर करने के लिए लाठीचार्ज और आंसू गैस के गोलों का इस्तेमाल किया था। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने पुलिस के कई वाहनों को आग के हवाले कर दिया और जमकर पत्थरबाजी भी की, जिसमें कई पुलिस अधिकारियों भी घायल हो गए। पुलिस की जवाबी कार्रवाई में कई प्रदर्शनकारी भी घायल हो गए। ग्रामीणों का दावा किया है कि पुलिस ने हवा में भी कुछ राउंड फायरिंग की थी।
मुख्यमंत्री शिंदे ने की शांति की अपील
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने लोगों से शांति की अपील करते हुए कहा है कि हिंसा की उच्च स्तरीय जांच के लिए एक समिति का गठन किया जाएगा। शिंदे ने कहा कि महाराष्ट्र मराठा समुदाय को आरक्षण देने के लिए प्रतिबद्ध है और किसी को भी हिंसा का सहारा नहीं लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि पहले भी फडणवीस सरकार ने मराठा समुदाय को आरक्षण दिया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे रद्द कर दिया था।
सुप्रीम कोर्ट में उठाएंगे आरक्षण का मामला- फडणवीस
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री और गृह मंत्री देवेंद्र फडणवीस ने प्रदर्शनकारियों से अपना प्रदर्शन वापस लेने का अनुरोध किया है। उन्होंने कहा, "हम आरक्षण मामले को गंभीरता से ले रहे हैं और हम इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में उठा रहे हैं। मामला ऐसा है कि इसे एक दिन में नहीं सुलझाया जा सकता है।" उन्होंने हिंसा को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि प्रदर्शनकारियों द्वारा पथराव शुरू करने के बाद पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा था।
विपक्ष ने महाराष्ट्र सरकार पर साधा निशाना
विपक्ष ने पूरे मामले को लेकर महाराष्ट्र सरकार पर निशाना साधा है। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) प्रमुख शरद पवार ने कहा है कि फडणवीस स्थिति को ठीक से नहीं संभाल सके। शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) नेता आदित्य ठाकरे ने कहा कि पुलिस की कार्रवाई अपमानजनक है और महाराष्ट्र में अपने अधिकारों के लिए विरोध करना असंभव हो गया है। महाराष्ट्र कांग्रेस प्रमुख नाना पटोले ने कहा कि अगर सरकार मराठों को आरक्षण नहीं दे सकती तो उसे इस्तीफा देना चाहिए।
पवार ने प्रदर्शनकारियों से की मुलाकात
शरद पवार ने शनिवार को अंबाड में प्रदर्शनकारियों के साथ मुलाकात की। उन्होंने गृह विभाग को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि पुलिस की लाठीचार्ज की कार्रवाई अमानवीय है।
न्यूजबाइट्स प्लस
महाराष्ट्र में इससे पहले भी मराठा समुदाय कई बार सरकारी नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण की मांग करता रहा है। इसे लेकर बड़े स्तर पर हिंसा की घटनाएं होती रही हैं, जिसमें हजारों करोड़ की संपत्ति को नुकसान पहुंचा था। सुप्रीम कोर्ट ने 2021 में कहा था कि मराठा समुदाय को सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़ा घोषित नहीं किया जा सकता है और उन्हें आरक्षण दिया जाना 50 प्रतिशत आरक्षण की सीमा का उल्लंघन है।