महाराष्ट्र: पत्नी ने बच्चे के लिए डायपर लाने को कहा तो पति ने दिया तीन तलाक
केंद्र सरकार ने मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक जैसी समस्या से निजात दिलाने के लिए भले ही तीन तलाक कानून बना दिया है, लेकिन इसके बाद भी तीन तलाक की घटनाएं रुकने का नाम नहीं ले रही है। ताजा मामला सामने आया है माया नगरी मुंबई के नागपाड़ा इलाके में, जहां एक महिला के अपने बेटे के लिए डायपर लाने की कहने पर गुस्साए पति ने उसे तीन तलाक दे दिया। महिला ने इस संबंध में रिपोर्ट दर्ज कराई है।
लॉकडाउन में बेटे के लिए डायपर लाने की कहने पर गुस्सा हुआ आरोपी पति
नागपाड़ा थानाप्रभारी ने बताया कि पीड़ित महिला अपने पति के साथ नागपाड़ा इलाके में रहती है। उसके दो साल का बेटा भी है। लॉकडाउन के कारण वह अपने बेटे के लिए डायपर नहीं पा रही थी। सोमवार को उसने अपने पति से बेटे के लिए डायपर लाने के लिए कहा था। इस पर पति ने इनकार कर दिया। इसको देकर दोनों में बहस हो गई और गुस्साए पति ने उसे तीन बार तलाक-तलाक-तलाक बोलकर तलाक दे दिया।
इस धारा में दर्ज किया मामला
थानाप्रभारी ने बताया कि महिला की शिकायत के आधार पर आरोपी पति के खिलाफ मुस्लिम महिलाओं के सेक्शन 4 के तहत मामला दर्ज किया है। कोरोना वायरस महामारी के चलते अभी आरोपी को गिरफ्तार नहीं किया है। मामले की जांच जारी है।
महिला ने साल 2018 में भी की थी प्रताड़ना की शिकायत
थानाप्रभारी ने बताया कि पीड़ित महिला मूल रूप से उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद की रहने वाली है। उसका पति शादी के बाद से ही उसे मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित करता आ रहा है। इसी से दुखी होकर महिला ने साल 2018 में भी उसके खिलाफ उत्पीड़न की शिकायत दर्ज कराई थी। महिला ने अपनी शिकायत में कहा है कि उसका पति पिछले दो सालों से उसे मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित कर रहा है।
रांची में भी पति ने पत्नी को दिया तीन तलाक
रांची में भी मंगलवार को तीन तलाक का मामला सामने आया था। डोरंडा की रहने वाली विवाहिता शगुफ्ता परवीन को पति इमरान ने तीन तलाक दे दिया। इसके पीछे कारण यह रहा कि इमरान का बेटा उससे पतंग दिलाने की जिद कर रहा था और उसने बच्चे को डांट दिया। इस पर इमरान और शगुफ्ता में झगड़ा हो गया। इस दौरान इमरान ने पत्नी के साथ मारपीट भी की। उसने डोरंडा थाने में पति के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई है।
पिछले साल राष्ट्रपति की मुहर लगने के बाद कानून बन गया था तीन तलाक बिल
बता दें कि 31 जुलाई, 2019 को राष्ट्रपति की मुहर लगने के साथ ही तीन तलाक बिल कानून बन गया था। उस दौरान कानून को 19 सितंबर, 2018 से लागू माना गया था। कानून के तहत तीन तलाक यानी तलाक-ए-बिद्दत को गैर कानूनी माना गया है। इसे संज्ञेय अपराध की श्रेणी में रखा गया है और पुलिस आरोपी को बिना वारंट के गिरफ्तार कर सकती है। इस कानून के तहत दोषी को तीन साल तक की सजा का प्रावधान है।