
महाराष्ट्र के कोरोना वायरस के ज्यादा मामले सामने आने के पीछे वजह क्या है?
क्या है खबर?
महाराष्ट्र में बुधवार को कोरोना वायरस (COVID-19) के 100 से ज्यादा मामले सामने आए।
अभी तक यह भारत का एकमात्र राज्य है, जहां महामारी के 1,000 से ज्यादा मामले हैं।
बुधवार तक यहां कोरोना वायरस के 1,135 मामले सामने आ चुके थे, जिनमें से 72 की मौत हुई है। यहां 30 दिनों में संक्रमितों की संख्या एक से 1,000 पहुंच गई।
आइये, जानते हैं कि जानकार महाराष्ट्र के सबसे बुरी तरह प्रभावित होने के पीछे क्या वजह मानते हैं।
कोरोना वायरस
मुंबई देश का सबसे बुरी तरह प्रभावित शहर
महाराष्ट्र में कोरोना वायरस के कारण मरने वालों की दर 5.98 प्रतिशत है, जबकि पूरे देश में यह 2.66 प्रतिशत है।
राज्य की राजधानी मुंबई देश का सबसे बुरी तरह प्रभावित शहर है। यहां अब तक 696 मामले सामने आ चुके हैं।
ये महाराष्ट्र के कुल मामलों का आधे से ज्यादा है, जबकि यहां अब तक कोरोना वायरस के कारण 45 मौतें हो चुकी हैं जो महाराष्ट्र में हुई कुल मौतों का 62.5 प्रतिशत है।
महाराष्ट्र
संक्रमण बढ़ने के पीछे ये कारण बताते हैं विशेषज्ञ
डॉक्टर और मेडिकल विशेषज्ञ इन आंकड़ों के पीछे राज्य सरकार की दोषपूर्ण नीतियों को वजह मानते हैं।
उनका कहना है कि विदेशों से आने वाले यात्रियों की यूनिवर्सल स्क्रीनिंग में हुई देरी और कम लोगों के टेस्ट करने की वजह से राज्य में हालात बिगड़ते जा रहे हैं।
यहां औसतन 4,000 से ज्यादा लोगों पर एक टेस्ट किया जा रहा है। जानकारों का कहना है कि संक्रमण रोकने के लिए ज्यादा टेस्ट की जरूरत है।
कोरोना वायरस
9 मार्च को महाराष्ट्र में सामने आया था पहला मामला
9 मार्च को राज्य में महामारी का पहला मामला सामने आया था, जब पुणे के रहने वाले एक दंपत्ति को कोरोना वायरस से संक्रमित पाया गया था। अगले दिन दंपत्ति के संपर्क में आए तीन और लोगों में संक्रमण की पुष्टि हुई।
11 मार्च को दंपत्ति के साथ आने वाले मुंबई के दो लोगों में भी संक्रमण की पुष्टि हुई। ये सभी लोग दुबई से 1 मार्च को मुंबई लौटे 40 सदस्यीय टूर ग्रुप का हिस्सा थे।
महाराष्ट्र
17 मार्च से राज्य सरकार ने शुरू की यूनिवर्सल स्क्रीनिंग
मुंबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर लौटे इन 40 लोगों की स्क्रीनिंग नहीं हुई थी। तब तक सरकार ने केवल 12 देशों से आने वाले यात्रियों की स्क्रीनिंग शुरू की थी और संयुक्त अरब अमीरात इस सूची में नहीं था।
17 मार्च को सरकार ने एयरपोर्ट पर आने वाले सभी यात्रियों की स्क्रीनिंग करना शुरू किया, लेकिन तब तक बड़ी संख्या में विदेशों से आए लोग बिना स्क्रीनिंग के अपने घरों को चले गए थे।
बयान
स्क्रीनिंग शुरू करने में हुई देरी
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की महाराष्ट्र यूनिट के प्रमुख डॉक्टर अविनाश भोंडवे कहते हैं, "महाराष्ट्र में 40 प्रतिशत से अधिक संक्रमित लोग UAE से आए थे। यहां के पहले दो मरीज भी दुबई से आए थे। इसके बावजूद राज्य सरकार ने UAE से आने वाले लोगों की स्क्रीनिंग शुरू करने में 10 दिन लगा दिए। यह स्क्रीनिंग प्रक्रिया में एक बड़ी खामी थी।"
वो विदेशों से लौटने वाले लोगों को क्वारंटाइन न करने के फैसले पर भी सवाल उठाते हैं।
बयान
विदेशों से आए लोगों को क्वारंटाइन भी नहीं किया गया
डॉक्टर भोंडवे ने कहा, "चीन में दिसंबर में इसका पहला मामला सामने आाय था। इसके बाद भी BMC ने 18 मार्च को सेवनहिल्स अस्पताल में क्वारंटाइन फैसिलिटी शुरू होने तक विदेशों से आने वाले लोगों को क्वारंटाइन करने का कोई इंतजाम नहीं किया था। मुंबई में भारत के सबसे बड़े इंटनेशनल एयरपोर्ट्स में से एक है। इसलिए सरकार को विदेशों से आने वाले यात्रियों पर कड़ी नजर रखनी थी।"
महाराष्ट्र
सरकार की टेस्ट नीति पर भी उठ रहे सवाल
इसके अलावा विशेषज्ञ राज्य सरकार की टेस्टिंग नीति पर भी सवाल उठाते हैं। वो एक 43 वर्षीय महिला मरीज का उदाहरण देते हैं जो न तो विदेश से आई थी और न ही किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आई थी।
जब महिला को कोरोना वायरस के लक्षण दिखे तो वो सरकारी अस्पताल में टेस्ट कराने गई, लेकिन उसका टेस्ट नहीं किया गया। बाद में प्राइवेट लैब में टेस्ट में महिला संक्रमित पाई गई।
जानकारी
अब तक केवल 20,000 लोगों के टेस्ट
महाराष्ट्र की 11.5 करोड़ जनसंख्या में से केवल 20,000 लोगों के टेस्ट हुए हैं। स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक राज्य में कुल संक्रमित लोगों में 76 प्रतिशत हैं, जिनमें लक्षण नहीं देखे गए थे। ऐसे में जानकार ज्यादा टेस्ट करने पर जोर दे रहे हैं।