औरंगाबाद मालगाड़ी दुर्घटना: मजदूरों ने किया था ई-पास का आवेदन, जबाव न मिलने पर पैदल निकले
महाराष्ट्र के औरंगाबाद में मालगाड़ी के नीचे आने के कारण मारे गए प्रवासी मजदूरों ने एक हफ्ते पहले ई-ट्रांसमिट पास के लिए आवेदन किया था, लेकिन मध्य प्रदेश प्रशासन की तरफ से कोई जबाव न मिलने के बाद उन्होंने पैदल ही अपने घर जाने का फैसला किया और ये फैसला उनके लिए जानलेवा साबित हुआ। घटना में बचे तीन प्रवासी मजदूरों में से एक ने मीडिया से बात करते हुए ये जानकारी दी।
क्या है पूरा मामला?
शुक्रवार सुबह 5:15 बजे औरंगाबाद में एक मालगाड़ी के नीचे आकर 16 प्रवासी मजदूरों की मौत हो गई थी, वहीं पांच घायल हो गए थे। ये मजदूर महाराष्ट्र के जालना की एक फैक्ट्री में काम करते थे और काम बंद होने के बाद मध्य प्रदेश स्थित अपने घरों की तरफ लौट रहे थे। रास्ते में थकावट के कारण वे आराम करने के लिए पटरी पर बैठ गए और इस दौरान उनकी आंख लग गई। यही गलती उन्हें भारी पड़ गई।
घटना में मजदूर ने कहा- ई-पास पर नहीं मिली कोई प्रतिक्रिया
घटना में बचे तीन प्रवासी मजदूरों में से एक धीरेंद्र सिंह ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि सभी मजदूरों ने मध्य प्रदेश के अधिकारियों के पास ई-पास के लिए आवेदन किया था, लेकिन उन्हें कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली। उन्होंने कहा कि उनके घर पर अधूरा काम पड़ा हुआ था और परिवार था, इसलिए वे और अधिक समय तक इंतजार नहीं कर पाए और पैदल ही अपने घरों की तरफ निकल लिए।
ट्रेन की आवाज में दब गई धीरेंद्र की चेतावनी
धीरेंद्र ने बताया कि वे घटना में इसलिए बच गए क्योंकि वे बाकी समूह से कुछ दूर ही टहल रहे थे। उन्होंने कहा कि जिंदा बचे अन्य दोनों मजदूरों के साथ मिलकर उन्होंने पटरी पर सो रहे मजदूरों को तेजी से आ रही मालगाड़ी के बारे में चेताने की कोशिश की थी, लेकिन ट्रेन की आवाज में उनकी आवाज दब गई। मारे गए मजदूरों में 12 आदिवासी बहुत शाहदौल और बाकी उमरिया जिले से थे।
मध्य प्रदेश प्रशासन पर उठ रहे सवाल
मामले में मध्य प्रदेश के अधिकारियों पर सवाल उठ रहे हैं और ई-पास की व्यवस्था में कई कमियां सामने आ रही हैं। ऐसे कई मामले सामने आई हैं जिनमें ई-पास के पोर्टल या तो ठीक से काम नहीं कर रहे या अवैध पास दे रहे हैं। अधिकारियों का कहना है कि बड़ी संख्या में आवेदनों के कारण ये समस्या आ रही है। दलालों के जल्दी पास दिलाने के नाम पर लोगों को ठगने के मामले भी सामने आए हैं।
मजदूरों को लगा लॉकडाउन के कारण नहीं चल रही ट्रेनें- रेलवे
इस बीच मुख्य रेलवे सुरक्षा आयुक्त ने रेलवे बोर्ड चेयरमैन को पत्र लिख कहा है कि प्रवासी मजदूरों पटरी पर इसलिए सो गए थे क्योंकि उन्हें लगा था कि लॉकडाउन के कारण ट्रेनें बंद हैं। रेलवे ने मामले में जांच के आदेश दिए हैं। वहीं रेलवे मंत्रालय ने कहा है कि मालगाड़ी के लोको पायलट ने मजदूरों को देखने के बाद हॉर्न बजाकर उन्हें चेतावनी देने की कोशिश की थी और उसने ट्रेन रोकने की कोशिश भी की थी।