आज लोकसभा में पेश होगा तीन तलाक पर रोक वाला विधेयक, हंगामा होने के आसार
लोकसभा में आज तीन तलाक पर रोक लगाने वाले मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक 2018 पर चर्चा होगी। कांग्रेस और भाजपा दोनों पार्टियों ने अपने सासंदों को व्हिप जारी किया है। इसके तहत सासंदों का संसद में उपस्थित रहना अनिवार्य है। पिछले सप्ताह इस विधेयक पर चर्चा होनी थी, लेकिन हंगामे के चलते चर्चा नहीं हो पाई। लोकसभा से यह विधेयक पहले ही पास किया जा चुका है, लेकिन राज्यसभा ने इसे वापस लौटा दिया था।
कांग्रेस का विरोध
केंद्र सरकार और भाजपा इस विधेयक को पास कराने के लिए पूरा जोर लगा रही है। सरकार ने इस मुद्दे पर अध्यादेश जारी किया था। वहीं कांग्रेस, विधेयक में सजा के प्रावधान के खिलाफ है। साथ ही कांग्रेस पीड़ित महिलाओं को मुआवजा दिए जाने के प्रावधान की मांग कर रही है। कांग्रेस ने इस विधेयक को लेकर होने वाली चर्चा में भाग लेने की बात कही है। इसके लिए पार्टी ने बैठक बुलाई है, जिसमें रणनीति पर चर्चा की जाएगी।
एक बार में तीन तलाक देना होगा गैरकानूनी
प्रस्तावित कानून के तहत एक बार में तीन तलाक देना गैरकानूनी और अमान्य होगा। इसके लिए तीन साल तक की सजा का प्रावधान किया गया है। कुछ दलों ने विधेयक के प्रावधानों को लेकर विरोध जताया था, जिसके बाद इसमें संशोधन किए गए हैं।
विधेयक में किए गए हैं ये संशोधन
इस मामले में पहले कोई भी केस दर्ज करा सकता था। पुलिस खुद भी संज्ञान लेकर मामला दर्ज कर सकती थी, लेकिन अब पीड़िता या सगा रिश्तेदार ही केस दर्ज करा सकेगा। पहले एक बार में तीन तलाक देना गैर-जमानती और संज्ञेय अपराध था और पुलिस बिना वारंट के गिरफ्तार कर सकती थी, लेकिन अब मजिस्ट्रेट को जमानत देने का अधिकार होगा। पहले समझौते का प्रावधान नहीं था, अब मजिस्ट्रेट के सामने पति-पत्नी में समझौते का विकल्प भी होगा।
AIMPLB ने किया विधेयक का विरोध
विधेयक पर चर्चा से पहले ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने विधेयक का विरोध किया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बोर्ड महासचिव मौलाना वली रहमानी ने कहा कि इस विधेयक को मुस्लिम समुदाय से विचार-विमर्श किये बगैर तैयार किया गया है। उन्होंने कहा कि इस विधेयक में कई कमियां हैं इसलिए इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता। बोर्ड ने राजनीतिक दलों से इस विधेयक का समर्थन न करने की अपील की है।
बढ़े हैं मुस्लिम औरतों को तलाक देने के मामले
2011 के जनगणना के मुताबिक, देश में कुल 8.4 करोड़ मुस्लिम महिलाएं हैं और एक तलाकशुदा पुरुष की तुलना में चार तलाकशुदा औरतें हैं। वहीं 2001-2011 के बीच मुस्लिम औरतों को तलाक देने के मामलों में 40 फीसदी बढ़ोतरी हुई है।