कोरोना वायरस: महाराष्ट्र में चुने गए प्रतिनिधियों और सरकारी कर्मचारियों की सैलरी में कटौती का ऐलान
कोरोना वायरस के खिलाफ जंग में जुटी महाराष्ट्र सरकार ने मंगलवार को राज्य के चुने गए प्रतिनिधियों और सरकारी कर्मचारियों की मार्च महीने की सैलरी में कटौती का ऐलान किया। राज्य सरकार को आशंका है कि कोरोना वायरस के कारण राज्य के 2019-20 आर्थिक वर्ष के राजस्व में कमी आ सकती है और इसलिए ये ऐलान किया है। सरकार का कहना है कि ये फैसला इस महामारी के खिलाफ लड़ाई में वित्तीय तौर पर उसकी मदद करेगा।
चुने गए प्रतिनिधियों की सैलरी में सबसे अधिक कटौती
महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री और वित्त मंत्री अजित पवार द्वारा जारी किए गए इस आदेश के अनुसार, मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से लेकर ग्राम पंचायत सदस्यों तक सभी चुने गए प्रतिनिधियों की सैलरी में मार्च महीने के लिए 60 प्रतिशत की कटौती की गई है। वहीं क्लास ए और क्लास बी के सरकारी अधिकारियों की मार्च महीने की सैलरी में 50 प्रतिशत कटौती की गई है। इन दोनों क्लास में सचिव और डेस्क अधिकारी स्तर के कर्मचारी आते हैं।
क्लास सी के लिपिक अधिकारियों की सैलरी में 25 प्रतिशत कटौती
इसके अलावा क्लास सी के लिपिक कर्मचारियों की मार्च महीने की सैलरी में 25 प्रतिशत की कटौती की गई है। क्लास डी के सरकारी कर्मचारियों की सैलरी में कोई कटौती नहीं की गई है और उन्हें पूरी सैलरी की जाएगी। इस क्लास में चपरासी और कार्यालय सहायक स्तर के कर्मचारी आते हैं। सरकारी कर्मचारी यूनियनों के साथ बैठक के बाद अजित पवार ने ये घोषणाएं की और उम्मीद जताई की सभी कर्मचारी पूरे दिल से इसमें सरकार का सहयोग करेंगे।
कोरोना वायरस से सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है महाराष्ट्र
बता दें कि भारत में महाराष्ट्र कोरोना वायरस से सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है। मंगलवार दोपहर एक बजे तक राज्य में कोरोना वायरस से संक्रमण के 225 मामले सामने आ चुके हैं, वहीं 10 लोगों को इसके कारण जान गंवानी पड़ी है। राज्य के दो हिस्से, मुंबई और पुणे, उन 10 इलाकों में शामिल हैं जिनकी केंद्र सरकार ने कोरोना वायरस के केंद्र के तौर पर पहचान की है और यहां से कई मामले सामने आ चुके हैं।
केंद्र सरकार से 25,000 करोड़ रुपये के राहत पैकेज की मांग
कोरोना से राज्य की अर्थव्यवस्था पर भी बेहद बुरा असर पड़ा है और सोमवार को ही अजित पवार ने केंद्र सरकार से 25,000 करोड़ रुपये के पैकेज की मांग की थी। उन्होंने केंद्र पर बकाया टैक्स और ग्रांट से संबंधित 16,654 करोड़ रुपये की राशि को तत्काल जारी करने की मांग की थी। इससे अलग राज्य की सभी बड़ी पार्टियां अपने विधायकों की एक महीने की सैलरी राज्य सरकार के राहत कोष में दान करने का ऐलान कर चुकी हैं।