कौन हैं रातोंरात महाराष्ट्र का खेल बदलने वाले अजित पवार और उन्होंने क्यों किया ऐसा?
क्या है खबर?
महाराष्ट्र में आज सुबह बेहद नाटकीय घटनाक्रम में भाजपा के देवेंद्र फडणीस ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।
उनके साथ राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के अजित पवार ने उप मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।
खबरों के अनुसार, अजित पवार ने राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को NCP के सभी विधायकों के हस्ताक्षर वाला शपथ पत्र दिया, जिसके बाद ये सरकार बनी है।
इस शपथ पत्र की पूरी कहानी क्या है और अजित पवार कौन हैं, आइए आपको बताते हैं।
परिवार और राजनीति
शरद पवार के भतीजे हैं अजित
अजित पवार NCP प्रमुख शरद पवार के बड़े भाई अनंतराव के बेटे हैं।
अजित का राजनीतिक सफर अपने चाचा शरद पवार जैसा रहा है और उनकी महाराष्ट्र के कॉऑपरेटिव सेक्टर पर अच्छी पकड़ है।
अजित 1991-92 से शरद पवार के साथ काम कर रहे हैं और खुद को उनका राजनीतिक उत्तराधिकारी मानते हैं।
बारामती से विधायक अजित कांग्रेस के साथ गठबंधन की सरकार में महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं।
मतभेद
शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले के राजनीति में आने से शुरू हुए मतभेद
अजित और शरद पवार के बीच रिश्तों में मतभेद 2009 से आना शुरू हुआ जब शरद की बेटी सुप्रिया सुले ने राजनीति में एंट्री ली।
सुप्रिया सुले 2009 लोकसभा चुनाव लड़ीं और इससे खुद को शरद का उत्तराधिकारी मानने वाले अजित को अपनी दावे पर खतरा नजर आया।
इसके बाद शरद पवार के पर-भतीजे रोहित पवार के रूप में पवार परिवार की तीसरी पीढ़ी के चुनावी मैदान में आने से अजित और असुरक्षित महसूस करने लगे।
जानकारी
अजित पवार के बेटे पार्थ के चुनावी मैदान में आने से झगड़ा और बढ़ा
अजित पवार ने भी 2019 लोकसभा चुनाव में अपने बेटे पार्थ पवार को चुनावी मैदान में उतार दिया। पार्थ के कारण ही शरद पवार लोकसभा चुनाव नहीं लड़े। इस फैसले और पार्थ की हार के कारण परिवार में मतभेद और बढ़े।
भ्रष्टाचार के आरोप
अजित पवार पर है सिंचाई घोटाले में शामिल होने का आरोप
अजित पवार पर महाराष्ट्र के 70 हजार करोड़ रुपये के सिंचाई घोटाले में शामिल होने के आरोप हैं।
अजित के राज्य के सिंचाई मंत्री के तौर पर कार्यकाल के दौरान ये घोटाला हुआ था।
सिंचाई घोटाले में उन पर लगे आरोपों के कारण उन्होंने 2012 में उप मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा भी दे दिया था। इसके अलावा उन्होंने अन्य मंत्री पदों से भी इस्तीफा दे दिया था।
उनके इस्तीफे के बाद कांग्रेस-NCP सरकार पर संकट पैदा हो गया था।
अन्य घोटाला
महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक घोटाले में मिला ED का नोटिस
अजित पवार पर महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक घोटाले में भी गंभीर आरोप लगे हैं और मामले में उन्हें प्रवर्तन निदेशालय (ED) का नोटिस मिल चुका है।
अजित इस बैंक के निदेशक रह चुके हैं और इस दौरान बैंक पर चीनी मिलों को कम दरों पर कर्ज देने, दिवालियों की संपत्ति कम कीमत पर बेचने और पुराना लोन न चुकाने के बावजूद दोबारा कर्ज दिए जाने के आरोप हैं।
इससे बैंक को कथित तौर पर 25,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
फैसला
अजित का भाजपा के साथ जाना चौंकाने वाला नहीं
राजनीतिक उत्तराधिकार के लिए पवार परिवार में लड़ाई, शरद पवार की छाया से बाहर निकलने की इच्छा और घोटालों के आरोपों के इतिहास को देखते हुए अजित पवार का भाजपा के साथ जाना बहुत ज्यादा चौंकाने वाला नहीं लगता।
असली सवाल ये है कि क्या उन्होंने इसके लिए बगावत की है और NCP दो हिस्सों में बंट चुकी है या फिर ये पूरा सियासी ड्रामा शरद पवार के आशीर्वाद से हुआ है और अभी केवल दिखावा किया जा रहा है।
जानकारी
शरद पवार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में अजित के खिलाफ करवाई के नहीं दिए संकेत
देवेंद्र फड़णवीस के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद शिवसेना-NCP ने साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में भी शरद पवार ने ऐसा कोई संकेत नहीं दिया जिससे ये अंदाजा लगाया जा सके की NCP अजित पवार के खिलाफ कोई बड़ी करवाई करेगी।
सवाल
क्या अजित पवार ने धोखे से हासिल किया शपथ पत्र?
खबरों की मानें तो अजित पवार ने अपनी मर्जी से भाजपा को समर्थन दिया है।
रिपोर्ट्स के अनुसार, कल NCP की बैठक में जिस पर्चे पर सभी विधायकों के हस्ताक्षर लिए गए उसमें मुख्यमंत्री के नाम को खाली रखा गया था। बाद में अजित पवार ने इस पर्चे पर देवेंद्र फडणवीस का नाम लिखा और इसे ही राज्यपाल को शपथ पत्र के तौर पेश किया गया है।
लेकिन असल में क्या हुआ, इसकी तस्वीर साफ होने में समय लगेगा।