आधार से जुड़ेगा वोटर आईडी कार्ड, चुनाव आयोग को कानूनी शक्ति देगी सरकार
देश के नागरिकों के आधार कार्ड अब जल्द ही वोटर आईडी कार्ड से लिंक होंगे। सरकार चुनाव आयोग की ओर से आधार को वोटर आईडी से लिंक करने के प्रस्ताव को मंजूरी देने को तैयार है। इसके लिए सरकार की ओर से आधार अधिनियम में संशोधन करने के साथ चनुाव आयोग को कानूनी शक्ति भी दी जाएगी। वोटर आईडी कार्ड के आधार से लिंक होने के बाद आयोग फर्जी वोटर आईडी कार्ड को आसानी से हटा सकेगा।
एक-जगह से दूसरी जगह जाने वाले लोग भी कर सकेंगे मतदान
चुनाव आयोग को आधार से वोटर आईडी को लिंक करने के लिए कानूनी शक्ति मिलने के बाद अपनी विधानसभा से दूर रहने वाले लोग वहीं से वोटिंग कर सकेंगे। अभी तक यह प्रावधान नहीं है। इसके लिए कानून मंत्रालय चुनाव प्रक्रिया में बदलाव करेगा। ऐसे में लोग भारत में कहीं भी रहकर अपने चुनाव क्षेत्र के लिए मतदान कर सकेंगे। वर्तमान चुनाव प्रक्रिया के अनुसार कोई भी भारतीय चुनाव क्षेत्र में मौजूद होने पर ही मतदान कर सकता है।
पेड न्यूज और गलत चुनावी हलफनामे को अपराध बनाने की मांग
कानून सचिव के साथ बैठक में मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने मंत्रालय के सामने पेड न्यूज और चुनावी हलफनामे में गलत सूचना देने को भी अपराध बनाने और जनप्रतिनिधि कानून में संशोधन का प्रस्ताव भी दिया। इसके तहत वोटर आईडी कार्ड बनवाने और मतदाता सूची में शामिल लोगों से आधार नंबर मांगने का प्रावधान होगा। काननू मंत्रालय ने इसे मंजूरी देते हुए डाटा को कई स्तरों पर सुरक्षित करने के निर्देश दिए हैं।
आधार अधिनियम में संशोधन के लिए कैबिनेट नोट लाएगी सरकार
बैठक में चुनाव आयोग के प्रस्तावों पर विचार करने के बाद कानून मंत्रालय के सचिव जी नारायण राजू कहा कि आयोग के प्रस्ताव को पूरा करने के लिए सरकार पूरी तैयारी में हैं। जल्द ही सरकार की ओर से एक कैबिनेट नोट लाया जाएगा। चुनाव आयोग ने कहा कि वोटर आईडी का आधार से लिंकेज होने पर मतदातओं की आसानी से पहचान हो सकेगी और उन्हें वोट डालने का अधिकार मिल जाएगा।
सभी को देना होगा अपना आधार नंबर
चुनाव आयोग ने बैठक में कहा कि वोटर आईडी को आधार से लिंक करने के लिए सभी मतदाताओं को अपना आधार नंबर देना होगा। इसके बाद ही फर्जी वोटर आईडी कार्ड का पता चल सकेगा और उसे मतदाता सूची से हटाया जा सकेगा। हालांकि, अगर कोई व्यक्ति आधार नंबर नहीं देता है तो भी उसका नाम मतदाता सूची से नहीं हटाया जा सकता है और न ही उसे मतदाता सूची में शामिल होने से रोका जा सकता है।
चुनाव आयोग ने पिछले साल दिया था प्रस्ताव
चुनाव आयोग ने साल 2015 में अपने राष्ट्रीय मतदाता सूची शुद्धिकरण और प्रमाणीकरण कार्यक्रम में वोटर आईडी और आधार को लिंक करना शुरू किया था, लेकिन बाद में सुप्रीम कोर्ट के आधार के इस्तेमाल पर रोक लगाने के बाद आयोग ने प्रक्रिया को बंद कर दिया था। साल 2019 में सुप्रीम कोर्ट के आधार को अनिवार्य करने की अनुमति देने के बाद आयोग ने सरकार को वोटर आईडी को आधार से लिंक करने का प्रस्ताव दिया था।